Ram Mandir Time Capsule News: क्या है टाइम कैप्सूल? जिसे राम मंदिर के 2000 फीट नीचे गाड़ा जाएगा ! जानिए क्या है सच्चाई
What is Time Capsule?
सोशल मीडिया (Social Media) के जरिए ऐसा दावा किया जा रहा है कि अयोध्या राम मंदिर के करीब 2000 फीट नीचे टाइम कैप्सूल (Time Capsule) रखा जाएगा. जिसका उद्देश्य यह है कि इससे मंदिर का इतिहास जिंदा रहे टाइम कैप्सूल की मदद से आने वाली पीढ़ियां (Generation) किसी विशेष युग समाज और देश के बारे में जानकारी (Information) हासिल कर सकती है हालांकि इस टाइम कैप्सूल को नीचे गाढ़ा जाएगा या नहीं इसकी सच्चाई क्या है नीचे देखेंगे.
क्या राम मंदिर के नीचे गाढ़ा जाएगा टाइम कैप्सूल?
अयोध्या स्थित रामलला मंदिर के करीब 2000 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल (Time Capsule) रखा जाएगा. जानकारी के मुताबिक इस टाइम कैप्सूल में राम मंदिर से जुड़ी सारी जानकारी और 500 वर्षो के इतिहास (History) की हर जानकारी होगी. इस कदम को राम मंदिर के इतिहास (Ram Mandir History) में अलग-अलग पहेलियां को लेकर भविष्य में होने वाली बहस से बचने और एक शिक्षा (Education) के लिहाज से देखा जा रहा है, क्योंकि राम मंदिर के लिए किए गए संघर्ष का एक अपना इतिहास है. बात आती है कि क्या यह टाइम कैप्सूल मन्दिर के नीचे गाढ़ा जाएगा या नही, इस पर सच्चाई (Truth) क्या है नीचे जानिए. पहले तो आपको हम उस टाइम कैप्सूल के बारे में बताएंगे कि क्या है यह टाइम कैप्सूल अन्य जानकारी भी देंगे.
क्या है टाइम कैप्सूल?
यह टाइम कैप्सूल (Time Capsule) किसी कालखंड या किसी जगह की जानकारी के लिए रखा जाता है. इसे जमीन की गहराइयों में दफन कर दिया जाता है. तांबे की धातु से बने इस कैप्सूल जिसके पीछे मकसद यह होता है कि आने वाले 500 या 1000 सालों में विनाश के समय अगर कभी यह कैप्सूल किसी इंसान को मिले तो इस कैप्सूल में दी गई जानकारी के जरिए वह इस जगह का सारा इतिहास पता (Confirmation History) कर सकता है. इस टाइम कैप्सूल में कई दस्तावेज (Documents), तस्वीर और सूचना रखी जाती है और फिर इस जमीन के नीचे गाढ़ दिया जाता है ताकि आने वाले भविष्य में शोधकर्ता को किसी तरह की कोई समस्या ना हो. इसे तमाम तरह के एसिड में रखा जाता है जो वर्षों तक खराब नहीं हो सकता है.
जानकारी लिखने के लिए संस्कृत भाषा का किया गया चयन
टाइम कैप्सूल (Time Capsule) में अयोध्या भगवान राम और उनके जन्म स्थान के बारे में संस्कृत भाषा का प्रयोग करते हुए एक संदेश लिखा जाएगा. टाइम कैप्सूल को साइट के नीचे रखने से पहले एक तांबे की प्लेट के अंदर रखा जाएगा. ट्रस्ट के अनुसार संस्कृत भाषा को इसलिए चुना गया है क्योंकि इसमें कम शब्दों में लंबे वाक्य लिखे जा सकते हैं. साधारण भाषा में समझे तो भविष्य में यदि कोई विनाश आता है और किसी व्यक्ति के हाथ ही है कैप्सूल लगता है तो उसे इस धरोहर के बारे में पूरी जानकारी और उसके इतिहास के बारे में पूरी सूचना मिल जाएगी
मन्दिर के नीचे टाइम कैप्सूल गाढ़े जाने की सूचना की सच्चाई
बाद में जब इस टाइम कैप्सूल (Time Capsule) के संबंध में जानकारी की गई और पड़ताल की गई तो सच्चाई सबके सामने आई. मंदिर ट्रस्ट के लोगों ने फिलहाल इस जानकारी से इनकार किया है कि यहां पर कोई टाइम कैप्सूल गाढ़ा जाएगा. चंपत राय भी वर्ष 2020 में एक वीडियो के माध्यम से अयोध्या मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल को नीचे गाढ़े जाने खबर को गलत बता चुके हैं. इसका मतलब यही है कि ऐसा अभी तक कोई टाइम कैप्सूल को लेकर जानकारी नहीं मिली हैं कि अयोध्या राम मंदिर के नीचे यह टाइम कैप्सूल रखा जाएगा. हालांकि विदेश में इसका बहुत चलन है भारत में भी कई बड़ी-बड़ी इमारत (Buildings) और धरोहर में यह टाइम कैप्सूल (Time Capsule) रखा गया है.
स्पेन में मिला था टाइम कैप्सूल, भारत में भी कई जगह
30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में ईसा मसीह की मूर्ति के अंदर एक 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल पाया गया था. जिसमें साल 1777 की आर्थिक राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारी थी, शोधकर्ताओं के अनुसार यह सबसे पुराना टाइम कैप्सूल है.
भारत में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण जगह है जहां पर टाइम कैप्सूल रखे गए हैं लेकिन इनमें सबसे चर्चित मामला लाल किले (Red Fort) का है जहां साल 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने लाल किले के अंदर टाइम कैप्सूल लगाया था. हालांकि कुछ वक्त बात ही उसे बाहर भी निकाल लिया गया था इसके अलावा आईआईटी कानपुर, महात्मा मंदिर गांधीनगर और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी जालंधर जैसी जगह पर इस तरह के टाइम कैप्सूल रखे गए हैं.