Fatehpur News: फतेहपुर में 1 अरब की संपत्ति बंटवारे को लेकर पूर्व ब्लॉक प्रमुख का परिवार आमने सामने ! जानिए कौन थे कमल किशोर तिवारी?
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व ब्लॉक प्रमुख स्व. कमल किशोर तिवारी के परिवार में संपत्ति विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. अपने की बेटे के विरुद्ध एक मां और छोटे भाईयों ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. जानिए क्या है पूरा मामला?

Fatehpur News: फतेहपुर जिले के प्रतिष्ठित तिवारी परिवार में पैतृक संपत्ति को लेकर तकरार चरम पर पहुंच गई है. कांग्रेस नेता संजय उर्फ पप्पू तिवारी पर उनके ही छोटे भाइयों अखिलेश तिवारी और धनंजय तिवारी ने संपत्ति हड़पने, दस्तावेजों में हेरफेर करने और मां के साथ दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप लगाए हैं. इस पूरे विवाद में संजय तिवारी की मां रामलली तिवारी भी छोटे बेटों के समर्थन में उतर आई हैं. मामला घर की चार दिवारी के बीच से निकल पुलिस और प्रशासन तक पहुंच चुका है.
कमल किशोर तिवारी का परिवार, राजनीतिक विरासत और विवाद की जड़
फतेहपुर (Fatehpur) की राजनीति में तिवारी परिवार का नाम लंबे समय से चर्चा में रहा है. स्वर्गीय कमल किशोर तिवारी कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. वो न सिर्फ बहुआ ब्लॉक प्रमुख रहे बल्कि कांग्रेस के कार्यवाहक जिला अध्यक्ष और कई बार महामंत्री भी रह चुके थे. उन्होंने MLC (विधान परिषद) का चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके.
कमल किशोर तिवारी के पिता छोटेलाल तिवारी, जो एक अनुभवी मुनीम थे, वर्षों पहले अयाह से फतेहपुर आकर बस गए थे. उनके दो बेटे हुए कमल किशोर तिवारी और विमल किशोर तिवारी.
कमल किशोर के तीन बेटे हुए संजय तिवारी उर्फ पप्पू, राजेश, अखिलेश उर्फ सोनू वहीं विमल किशोर का एक बेटा है धनंजय उर्फ लूटे. अब इन्हीं परिवारों के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. आरोप है कि करीब 1 अरब की पैतृक संपत्ति में जबरन कब्जा किया गया है, जिसे लेकर कानूनी लड़ाई छिड़ गई है.
संपत्ति पर कब्जे के आरोप, मां और भाइयों का सीधा हमला
बुधवार को कलक्टरगंज स्थित घर पर आयोजित प्रेसवार्ता में अखिलेश तिवारी और धनंजय तिवारी ने अपने बड़े भाई संजय तिवारी पर गंभीर आरोप लगाए. उनके साथ उनकी मां रामलली तिवारी भी मौजूद रहीं.
छोटे भाइयों ने आरोप लगाया कि संजय तिवारी ने पिता की मृत्यु के बाद पारिवारिक संपत्ति को अपने नाम करवाने के लिए फर्जीवाड़ा किया और मां को उनके ही घर से बेदखल करने की कोशिश की.
अखिलेश तिवारी ने कहा कि संजय तिवारी ने मां की जमीन को धोखे से अपनी पत्नी के नाम करवा लिया और ईंट-भट्ठे की साझेदारी खत्म कर खुद को एकमात्र मालिक बन गए. उन्होंने यह भी दावा किया कि पिता की मृत्यु के बाद बीमा कंपनी से मिले 5 लाख रुपये फर्जी हस्ताक्षर कर निकाल लिए गए.
मां रामलली तिवारी ने मीडिया के सामने कहा कि बड़े बेटे ने उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट तक की, जिसकी शिकायत पुलिस में दर्ज है. छोटे बेटों का आरोप है कि संजय तिवारी अब संपत्ति हड़पने के लिए प्रशासन और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं.
परशुराम जयंती समारोह पर भी विवाद
संपत्ति विवाद के साथ अब परशुराम जयंती समारोह को लेकर भी घर में विवाद छिड़ गया है. हर साल ब्राह्मण चेतना सेवा संस्थान द्वारा 30 अप्रैल को कमल तिवारी हाता में परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, लेकिन इस बार अखिलेश और धनंजय तिवारी ने इसके आयोजन का विरोध किया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि वे भी इस जमीन के सहखाताधारक हैं, लेकिन बिना उनकी अनुमति के यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने प्रशासन से कार्यक्रम को रोकने की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर जबरन आयोजन हुआ, तो वे खुलकर विरोध करेंगे. मामला अब पुलिस तक पहुंच चुका है. अखिलेश तिवारी ने साफ कहा है कि संपत्ति के बंटवारे से पहले वे किसी भी कार्यक्रम को नहीं होने देंगे.
संजय तिवारी की चुप्पी और प्रशासन की भूमिका
युगान्तर प्रवाह ने जब संजय तिवारी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया और कोई बयान भी नहीं दिया. उनकी यह चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है. दूसरी ओर, प्रशासन भी सतर्क हो गया है. पुलिस ने कहा है कि मामले की जांच जारी है और कानूनी प्रक्रिया के तहत सभी पक्षों की सुनवाई की जाएगी.
परिवार में दरार गहरी, क्या कोर्ट तक पहुंचेगा मामला?
तिवारी परिवार का यह विवाद अब पूरी तरह सार्वजनिक हो चुका है और इसके राजनीतिक रूप लेने की संभावना भी बन रही है. छोटे भाइयों का आरोप है कि संजय तिवारी सत्ता और प्रभाव का इस्तेमाल कर संपत्ति पर कब्जा करना चाहते हैं, जबकि दूसरी ओर संजय तिवारी की चुप्पी मामले को और उलझा रही है. अब देखना यह होगा कि यह मामला न्यायालय तक पहुंचेगा या पारिवारिक स्तर पर कोई हल निकलेगा.