Fatehpur News Today: फतेहपुर के पिछड़े गांव का बेटा सेना में बना लेफ्टिनेंट ! किसान पिता के छलके आंसू
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में पिछड़े गांव के संदीप कुमार पाल (Sandeep Kumar Pal) ने NDA की परीक्षा पास कर सेकेंड लेफ्टिनेंट (lieutenant) बन गए हैं. उन्होंने एनडीए की परीक्षा में 26 वीं रैंक अर्जित की थी. ट्रेनिंग के बाद वर्दी में देख माता-पिता के आंसू छलक पड़े.
Fatehpur News Today: सेना में जाने की हसरत और माता-पिता के सपनों ने फतेहपुर के लाल को बुलंदी तक पहुंचा दिया है. जिले के यमुना कटरी क्षेत्र के जीत सिंह का डेरा मजरे सरकंडी गांव के साधारण किसान परिवार में जन्में संदीप कुमार पाल (Sandeep Kumar Pal) सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट बन गए हैं उनको NDA परीक्षा में 26 वीं रैंक मिली थी.
संदीप ने माता-पिता के साथ-साथ अपने जनपद का भी नाम रोशन किया है. बताया जा रहा है कि जैसे ही कि सेना के अधिकारियों द्वारा देहरादून में वर्दी बैज पहनाया गया तो माता-पिता के खुशी के आंसू छलक पड़े. जीत सिंह के डेरा में इस अवसर पर मिठाइयां बांटी गईं हैं.
किसान का बेटा बना लेफ्टिनेंट, गांव से ली प्रारंभिक शिक्षा
फतेहपुर (Fatehpur) के बहुआ ब्लॉक (Bahua Block) के जीत सिंह का डेरा मजरे सरकंडी के रहने वाले किसान इंद्रसेन पाल के बेटे संदीप पाल ने सेना में लेफ्टिनेंट बन पिता का सम्मान बढ़ा दिया है. संदीप की मां मंजू पाल सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं.
प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही विद्यालय से हुई. बताया जा रहा है कि संदीप ने ज्ञान विद्या परीक्षा पास की थी जिसके बाद उन्हें आवासीय विद्यालय सीतापुर भेज दिया गया था. इंटर की परीक्षा पास करने के बाद संदीप NDA की परीक्षा में शामिल हुए और 26 वीं रैंक अर्जित की.
पिता इंद्रसेन कहते हैं कि उनका बेटा बचपन से ही मेधावी था. उसका सपना था कि देश के लिए काम करूंगा. उसके जज्बे को देख कर हम लोगों ने सदैव उसको प्रोत्साहित किया.
चार साल की ट्रेनिंग के बाद मिली वर्दी, माता-पिता भी हुए सम्मानित
संदीप को एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद तीन साल की ट्रेनिंग के लिए पुणे भेज दिया गया. जानकारी के मुताबिक पुणे की ट्रेनिंग खत्म हुई तो उसे देहरादून में एक साल की ट्रेनिंग दी गई.
बताया जा रहा है कि बीते 8 जून को संदीप के पिता और मां को भी देहरादून बुलाया गया था. संदीप को लेफ्टिनेंट की वर्दी पहनाने के बाद इंद्रसेन और मंजू पाल को भी सम्मानित किया गया. सेना की वर्दी में बेटे को देख माता पिता अपने आंसू नहीं रोंक पाए और बेटे को गले से लगा लिया. गांव पहुंचने के बाद खुशियां मनाई गईं और बधाईयों का ताता घर में लगा रखा