Fatehpur News: फतेहपुर में शिक्षा या व्यापार? डीआईओएस की छापेमारी में स्कूल की मनमानी उजागर
Fatehpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में द ट्रुथ मिशन स्कूल की शिकायत पर डीआईओएस ने छापेमारी करते हुए विद्यालय की मनमानी उजागर कर दी है. प्रबंधक को इस संबंध नोटिस जारी करते हुए कड़ी फटकार लगाई गई है.

Fatehpur News: यूपी के फतेहपुर जिले के द ट्रुथ मिशन स्कूल में जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) की छापेमारी में चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई. स्कूल परिसर में बाकायदा काउंटर लगाकर कक्षावार किताबों और कॉपियों की खुलेआम बिक्री हो रही थी. छात्रों और अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा था कि वे इन्हीं काउंटरों से किताबें खरीदें. बताया जा रहा है कि शिकायत के बाद प्रशासन के पहुंचने पर हड़कंप मच गया.
शासनादेश को ठेंगा दिखाकर हो रही थी बिक्री
उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 की धारा 3(10) के अनुसार, किसी भी स्कूल को यह अधिकार नहीं कि वह छात्रों को किसी विशिष्ट दुकान या स्थान से किताबें, जूते-मोजे या अन्य सामान खरीदने के लिए बाध्य करे. लेकिन द ट्रुथ मिशन स्कूल में जब डीआईओएस ने निरीक्षण किया, तो पाया कि स्कूल परिसर में काउंटर बनाकर किताबों की बिक्री की जा रही थी.
इस मामले में डीआईओएस राकेश कुमार ने स्कूल प्रबंधक को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है कि क्यों न अधिनियम के उल्लंघन पर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए. डीआईओएस ने पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी (डीएम) को सौंप दी है और आगे की कार्रवाई की सिफारिश की है.
अभिभावकों की मजबूरी, शिक्षा का बाजार
यह मामला सिर्फ एक स्कूल का नहीं है. जिले के कई निजी स्कूलों ने किताब विक्रेताओं से साठगांठ कर रखी है, जिससे छात्रों को ऊंचे दामों पर किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है.
- प्री-प्राइमरी का बैग – 3,000
- पहली कक्षा का बैग – 5,800
- ऊंची कक्षाओं का बैग – 9,000 से 10,000 तक
किताबों के बढ़ते दाम और स्कूलों की यह जबरदस्ती अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है. सवाल उठता है कि शिक्षा का यह धंधा कब बंद होगा?
अब कार्रवाई होगी या रसूखदारों को मिलेगा संरक्षण?
नियमों के मुताबिक, पहली बार पकड़े जाने पर एक लाख रुपये, दूसरी बार पांच लाख रुपये का जुर्माना और तीसरी बार स्कूल की मान्यता रद्द करने का प्रावधान है. फिलहाल, इस छापेमारी के बाद जिले के अन्य निजी स्कूलों में भी खलबली मची हुई है.अब देखना यह होगा कि शिक्षा का यह ‘मुनाफा मॉडल’ यूं ही जारी रहेगा या प्रशासन इसमें सख्ती दिखाएगा.