Who Is IPS Arun Dev Gautam: फतेहपुर के प्राइमरी स्कूल से CG के DGP तक का सफ़र ! जानिए कौन हैं आईपीएस अरुण देव सिंह गौतम
IPS Arun Dev Gautam Biography
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) जिले के रहने वाले आईपीएस अरुण देव सिंह गौतम (IPS Arun Dev Gautam) को छत्तीसगढ़ (CG) का नया DGP बनाया गया है. उनको मिली नई जिम्मेदारी से पैतृक गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है. जानिए किसान के बेटे अरुण देव के जीवन का सफ़र
Who Is IPS Arun Dev Gautam: छत्तीसगढ़ के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) अरुण देव सिंह गौतम ने राज्य के 12वें डीजीपी के रूप में कार्यभार संभाल लिया है. इससे पहले, इस पद पर अशोक जुनेजा कार्यरत थे. हालाँकि, फिलहाल उन्हें कार्यवाहक के रूप में नियुक्त किया गया है, लेकिन जल्द ही उनके स्थायी रूप से पदभार ग्रहण करने की संभावना है. उनके इस महत्वपूर्ण पद पर पहुंचने से उनके पैतृक जिले फतेहपुर (Fatehpur) उत्तर प्रदेश में खुशी की लहर दौड़ गई है.
किसान परिवार से डीजीपी तक का सफर
अरुण देव सिंह गौतम का जन्म 2 जुलाई 1967 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर (Fatehpur) जिले के मलवां ब्लॉक के अभयपुर गांव में हुआ था. वे एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता स्वर्गीय कृष्ण बहादुर सिंह किसान थे और माता स्वर्गीय शांति देवी गृहिणी थीं.
अरुण देव सिंह (IPS Arun Dev Gautam) पांच भाइयों और एक बहन के बीच पले-बढ़े. उनके बड़े भाई गिरिजा शरण सिंह इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील हैं. उनके छोटे भाई दयाशंकर सिंह किसान हैं, अनिल कुमार सिंह सेवानिवृत्त क्षेत्रीय रोजगार अधिकारी (रीजनल एम्प्लॉयमेंट ऑफिसर) हैं, और जनमेजय सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हैं. उनकी बहन का नाम साधना है.
उनके छोटे भाई जनमेजय सिंह बताते हैं कि उनके बड़े भाई ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं, जिसकी वजह से उन्हें यह महत्वपूर्ण पद सौंपा गया है. उनके प्रमोशन से न केवल परिवार बल्कि पूरे जिले में हर्ष का माहौल है.
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
अरुण देव सिंह गौतम की प्राथमिक शिक्षा उनके गाँव अभयपुर के प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल में हुई. इसके बाद, उन्होंने सेवा समिति विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से 9वीं और 10वीं की पढ़ाई पूरी की.
12वीं की पढ़ाई राजकीय इंटर कॉलेज, इलाहाबाद से करने के बाद, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. किया. इसके बाद, उन्होंने प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली से राजनीति विज्ञान (Political Science) में एम.ए. किया.
बी.ए. की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) की तैयारी शुरू कर दी थी. जैसे ही उन्होंने अपनी एम.ए. की पढ़ाई पूरी की, उनका आईपीएस (Indian Police Service) में चयन हो गया और उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिला.
आईपीएस बनने की राह: 1992 बैच के अधिकारी
अरुण देव गौतम 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने 12 अक्टूबर 1992 को आईपीएस सेवा ज्वाइन की. शुरुआत में उन्हें मध्य प्रदेश कैडर आवंटित हुआ था.
उनकी पहली पोस्टिंग ट्रेनी आईपीएस के रूप में जबलपुर में हुई. इसके बाद वे बिलासपुर में सीएसपी (City Superintendent of Police) बने. फिर वे एसडीओपी कवर्धा के रूप में नियुक्त हुए. कुछ समय बाद, वे भोपाल में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एडिशनल एसपी) बने और मध्य प्रदेश पुलिस की 23वीं बटालियन के कमांडेंट का भी कार्यभार संभाला.
छत्तीसगढ़ कैडर में स्थानांतरण और योगदान
साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, तब अरुण देव गौतम ने छत्तीसगढ़ कैडर चुन लिया. इस राज्य में उन्होंने कोरिया, रायगढ़, जशपुर, राजनंदगांव, सरगुजा और बिलासपुर जिलों में एसपी (SP) के रूप में अपनी सेवाएं दीं.
छत्तीसगढ़ में उनका कार्यकाल चुनौतीपूर्ण रहा, खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में. 2009 में, राजनांदगांव जिले में नक्सली हमले में 29 पुलिसकर्मियों और एसपी की शहादत के बाद, उन्हें जिले का पुलिस अधीक्षक (SP) नियुक्त किया गया. उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया.
डीआईजी, आईजी और अन्य महत्वपूर्ण पद
डीआईजी (DIG) बनने के बाद, उन्हें पुलिस मुख्यालय, सीआईडी, वित्त एवं योजना, प्रशासन, और मुख्यमंत्री सुरक्षा विभागों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गईं.
आईजी (IG) बनने के बाद, वे छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स के प्रमुख बने और फिर बिलासपुर रेंज के आईजी के रूप में कार्यरत रहे.
2013 में, झीरम नक्सली हमला, जिसमें कांग्रेस नेताओं की हत्या कर दी गई थी, के बाद उन्हें बस्तर आईजी बनाया गया. इस दौरान, उन्होंने सफलतापूर्वक विधानसभा चुनावों (2013) को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न करवाया और मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई.
वे रेलवे, प्रशिक्षण, भर्ती और यातायात शाखाओं के प्रभारी आईजी भी रह चुके हैं. इसके अलावा, वे छत्तीसगढ़ के गृह सचिव, जेल और परिवहन विभाग प्रमुख के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. साथ ही, उन्हें नगर सेना और अग्निशमन सेवाओं का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था.
अरुण देव को मिले सम्मान और उपलब्धियां
आईपीएस अरुण देव गौतम को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं:
- संयुक्त राष्ट्र पदक (United Nations Medal) – वर्ष 2002 में संघर्षग्रस्त कोसोवा में सेवा देने के लिए.
- भारतीय पुलिस पदक (Indian Police Medal for Meritorious Service) – वर्ष 2010 में सराहनीय सेवाओं के लिए.
- राष्ट्रपति पुलिस पदक (President's Police Medal for Distinguished Service) – वर्ष 2018 में विशिष्ट सेवाओं के लिए.
व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक संबंध
छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी अरुण देव सिंह गौतम, फतेहपुर के पूर्व विधायक और भाजपा नेता विक्रम सिंह के बहनोई हैं. विक्रम सिंह की बहन ज्योति सिंह की शादी 1994 में अरुण देव गौतम से हुई थी.
खास बातचीत करते हुए विक्रम सिंह कहते हैं कि अरुण देव सिंह जी जनपद के रत्न हैं. उनका योगदान युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगा. आगे कहते हैं कि कन्या दान से बड़ा कोई दान नहीं होता बहन के घर जब खुशियां आतीं हैं भाई की ख़ुशी दोगुनी हो जाती है.
उनके दो बेटे हैं:
- अक्षत गौतम – जो भुवनेश्वर में प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं.
- डॉ. तन्मय गौतम – जो बिलासपुर के सरकारी अस्पताल में चिकित्सक के पद पर कार्यरत हैं.
मित्रों ने कहा सुर बग्घी खेलते थे डीजीपी साहब
उनके बचपन के मित्र कृष्ण कुमार सिंह और शीतल निषाद बताते हैं कि वे बचपन में धनुष-बाण और सुर बग्घी जैसे पारंपरिक खेल खेलते थे. उनके दोस्तों को आज भी वह समय याद आता है जब वे गाँव में साथ खेलते थे. उनके अनुसार, अरुण देव गौतम का इस मुकाम तक पहुँचना पूरे गाँव और जिले के लिए गर्व की बात है.
आईपीएस अरुण देव गौतम की कहानी संघर्ष, मेहनत और समर्पण की मिसाल है. किसान परिवार से निकलकर छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद तक पहुंचना उनकी कड़ी मेहनत और कर्तव्यनिष्ठा का परिणाम है.
उनकी सफलता न केवल फतेहपुर जिले बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनकी ईमानदारी, दृढ़ निश्चय और कार्य के प्रति समर्पण उन्हें एक आदर्श पुलिस अधिकारी बनाती हैं.