lockdown:शराब की दुकानों को खोलने में सरकार ने क्यों दिखाई जल्दबाजी.यूपी सरकार के मंत्री ने क्या कहा.जानें..!
लॉकडाउन का तीसरा चरण चार मई से शुरू हो गया है।इस तीसरे चरण में सरकार ने हॉटस्पॉट इलाकों को छोड़कर बाकी सभी जगहों पर शराब की दुकानों को खोल दिया है..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट।
लखनऊ:सोमवार से जैसे ही शराब की दुकानें खुली हर जगह शराब खरीदने वालों की भारी भीड़ जमा हो गई।ज्यादातर जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग बेमानी साबित हुई।कई जगहों पर शराब लेने के लिए लोग लम्बी लम्बी कतारों में लगे हुए दिखे।
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लॉकडाउन का तीसरा चरण 4 मई से प्रारम्भ हो गया है।केंद्र सरकार की तरफ़ से शराब की बिक्री को लेकर दी गई छूट के बाद राज्य सरकारों ने भी शराब बिक्री के लिए एडवाइजरी जारी कर दुकानों को खोलने का आदेश दे दिया।
सोशल मीडिया में आज पूरे दिन शराब की दुकानों को खोले जाने को लेकर चर्चा बनी रही।ज्यादातर लोग सरकार के इस निर्णय के विरोध में रहे।लोगों का मानना है कि जब कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इसी के चलते लॉकडाउन लगाया गया है तो फ़िर सरकार ने शराब की दुकानों को क्यों खुलवा दिया।
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देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी सोमवार से शराब की दुकानें खुल गईं।यूपी सरकार में आबकारी मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री एक मीडिया संस्थान से बातचीत करते हुए कहते हैं 'शराब के ठेके खोलने के निर्णय में लोगों की सुविधा का भी ध्यान रखा गया है।'
सोशल डिस्टेंसिंग के सवाल पर वो कहते हैं, 'ठेकों के पास क़ानून व्यवस्था और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए पुलिस तैनात की गई है।'
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अग्निहोत्री कहते हैं, 'उत्तर प्रदेश सरकार को शराब की बिक्री बंद होने से प्रति माह पौने तीन हज़ार करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान हो रहा था।'
ये पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने राजस्व वसूली के उद्देश्य से ही ठेके खोले हैं, अग्निहोत्री कहते हैं, 'राजस्व वसूली तो एक मक़सद है ही लेकिन जनता की ज़रूरत का भी ध्यान रखा गया है।'
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आपको बता दें कि साल 2018-19 में उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब की बिक्री से 23,918 करोड़ रुपए का टैक्स वसूला था।इस समय उत्तर प्रदेश में ही शराब की 18 हज़ार से अधिक दुकानें हैं।
जिन राज्यों में शराब बिकती हैं वहां सरकार के कुल राजस्व का पंद्रह से पच्चीस फ़ीसदी हिस्सा शराब से ही आता है।यही वजह है कि लॉकडाउन के बावजूद राज्य सरकारों ने शराब बेचने में जल्दबाज़ी दिखाई है।यूपी, कर्नाटक और उत्तराखंड अपने कुल राजस्व का बीस फ़ीसदी से अधिक सिर्फ़ शराब की बिक्री से हासिल करते हैं।