Who Is Avimukteshwaranand: कौन हैं शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ! जो अपने प्रखर बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
Avimukteshwaranand Swami Biography In Hindi: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद न केवल सनातन धर्म के सिद्धांतों का पालन करने वाले संत हैं, बल्कि वे अपने विचारों को पूरी स्पष्टता के लिए हमेशा विवादों से घिरे रहते हैं. महाकुंभ 2025 के दौरान उनके बयान मीडिया की सुर्खी बने हुए हैं. जानिए कौन हैं शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती.
Who Is Avimukteshwaranand: आध्यात्मिक जगत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद एक बड़ा नाम हैं.वे ज्योतिष्पीठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य हैं और अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में महाकुंभ 2025 (Mahakumbh) के दौरान उनकी टिप्पणियों ने संत समाज और सरकार के बीच हलचल मचा दी है.
उनका मानना है कि सनातन धर्म की परंपराओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही अस्वीकार्य है और इसी सोच के चलते वे हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.
कौन हैं शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Who Is Avimukteshwaranand)
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का जन्म 15 अगस्त 1969 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील के ब्राह्मणपुर गांव में हुआ था. उनका मूल नाम उमाशंकर पांडेय (Uma Shankar Pandey) था. उनका परिवार एक धार्मिक पृष्ठभूमि से जुड़ा था. पिता पंडित राम सुमेर पांडेय और माता अनारा देवी धर्म-कर्म में आस्था रखने वाले थे.
बाल्यकाल से ही धर्म में रुचि रखने वाले उमाशंकर ने मात्र 9 वर्ष की उम्र में गुजरात जाकर गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने का निर्णय लिया. वहां उन्होंने धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी रामचैतन्य के सानिध्य में संस्कृत और वेदों का गहन अध्ययन किया. इस शिक्षा ने उनके जीवन की दिशा बदल दी.
इसके बाद वे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य बन गए और उन्हीं के मार्गदर्शन में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए. वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री और आचार्य की शिक्षा ग्रहण की है. पढ़ाई के दौरान वो छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे. बताया जा रहा है कि उन्होंने 1994 में छात्रसंघ का चुनाव भी जीता था.
अविमुक्तेश्वरानंद का शंकराचार्य बनने का सफर
साल 2022 में जब स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ब्रह्मलीन हुए, तो उनके उत्तराधिकारी के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को ज्योतिष्पीठ बद्रीनाथ का शंकराचार्य नियुक्त किया गया. यह न केवल उनके लिए बल्कि प्रतापगढ़ और पूरे हिंदू समाज के लिए गर्व की बात थी.
महाकुंभ में उनके बयानों पर चर्चा
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Avimukteshwaranand) अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में महाकुंभ 2025 के दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन पर अव्यवस्थाओं का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन पहली बार ऐसा हुआ जब संतों को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का अवसर नहीं मिला. इसके अलावा, उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर भी कुछ टिप्पणियां कीं, जिससे संत समाज में मतभेद उभर आए.
क्या है अविमुक्तेश्वरानंद पारिवारिक जीवन?
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का परिवार आज भी प्रतापगढ़ में रहता है. उनके बड़े भाई गिरिजा शंकर पांडेय एक प्रसिद्ध कथावाचक हैं, जबकि उनके भतीजे जयराम पांडेय भागवत कथा और राम कथा कहते हैं.
हालांकि, संन्यास लेने के बाद से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने गांव ब्राह्मणपुर में कदम नहीं रखा. जब वे प्रयागराज या अयोध्या जाते हैं, तो ग्रामीणों के आग्रह के बावजूद अपने गांव नहीं जाते और हाईवे पर ही लोगों से मिलते हैं.
सनातन धर्म के लिए क्या है योगदान?
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हिंदू धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं. वे गौ-रक्षा, सनातन परंपराओं की पुनर्स्थापना, मंदिरों की स्वतंत्रता और धर्मशास्त्र के प्रचार के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब बनारस में विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए मंदिर तोड़े गए तो उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी का विरोध किया. यहां तक कि उनके विरोध में उम्मीदवार उतारने की कोशिश की. जानकारी के मुताबिक साल 2008 में गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित करने के लिए लंबे समय तक अनशन किया. बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया.