Narsimha Jayanti 2024: कब है नरसिंह जयंती ! भक्त प्रह्लाद की रक्षा और राक्षस हिरण्यकश्यप के अत्याचारों का अंत करने के लिए भगवान ने धारण किया नरसिंह अवतार
भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का चौथा अवतार नरसिंह भगवान (Lord Narsimha) का है. जिन्होंने अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा और हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए यह अवतार लिया था. वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती (Narsimha Jayanti) मनाई जाती है. जो इस बार 21 मई 2024 को पड़ रही है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु के इस अवतार की विधि-विधान से पूजन व व्रत करने वाले जातकों के समस्त संकट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं. उनके अंदर का भय भी दूर होता है.
21 मई को मनाई जायेगी नरसिंह जयंती
हमारे हिंदू धर्म में व्रत-पूजन और भगवान की जयन्तियों का बड़ा ही महत्व है. 21 मई 2024 को नरसिंह जयंती (Narasimha Jayanti) का पर्व मनाया जाएगा. चलिए आपको बताएंगे कि नरसिंह जयंती के पूजन का शुभ मुहूर्त कितने बजे से शुरू होगा और कब तक यह मुहूर्त रहेगा. साथ ही नरसिंह जयंती से जुड़ी एक पौराणिक कथा को भी इस आर्टिकल के जरिए आपको बताएंगे..
भगवान विष्णु ने लिया नरसिंह अवतार
जब-जब धरती पर प्रकोप बढ़ने लगता है तब-तब भगवान अवतार लेते हैं. नरसिंह भगवान का अवतार भगवान विष्णु का चौथा अवतार माना जाता है. हालांकि देशभर में नरसिंह भगवान के ज्यादातर मंदिर दक्षिण में दिखाई देंगे. नरसिंह भगवान की पूजा विशेष फलदायी होती है कोई भी जातक विधि-विधान और व्रत वा भजन करता है. प्रभू उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं. यही नहीं उन्हें हर संकट से बचाते हैं.
पूजन का शुभ मुहूर्त और कब तक रहेगा मुहूर्त
नरसिंह जयंती की बात करें तो 21 मई शाम 05 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 22 मई 2024 को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर होगा. नरसिंह जयंती पर भगवान नरसिंह की पूजा सायं काल में करने का विधान है. इस दिन आप पूजा शाम को 04 बजकर 24 मिनट से शाम 07 बजकर 09 मिनट तक के बीच में कर सकते हैं. 21 मई को नरसिंह जयंती मनाई जाएगी.
भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए खम्भा फाड़कर प्रकट हुए नरसिंह भगवान
नरसिंह भगवान का अवतार कब हुआ और किस लिए हुआ था पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह बताया जाता है कि भगवान विष्णु के एक परम भक्त प्रहलाद थे. उस समय हिरण्यकश्यप राक्षस का प्रकोप हुआ करता था हिरण्यकश्यप प्रहलाद के पिता भी थे. जो हमेशा प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोका करते थे. हिरण्यकश्यप को मिले वरदान के अनुसार वह अपने आप को ही भगवान समझ बैठा था, लेकिन प्रहलाद के मन में कम उम्र से ही केवल एक ही नाम बसा हुआ था वह केवल भगवान विष्णु का मंत्र का ही जाप करते रहते थे. जिससे कई बार उन्हें संकटों का भी सामना करना पड़ा लेकिन हर बार प्रहलाद के आराध्य भगवान विष्णु ने उनकी रक्षा की.
हिरण्यकश्यप के बढ़ते अत्याचार को किया समाप्त
हिरण्यकश्यप के बढ़ते अत्याचार के बाद आखिरकार भगवान विष्णु ने अपने चौथा अवतार लिया. यह अवतार भगवान का नरसिंह अवतार था हिरण्यकश्यप के महल के खंभे को फाड़ कर निकले थे. जहां उन्होंने प्रहलाद की रक्षा करते हुए घर की दहलीज पर अपनी जांघ पर हिरण्यकश्यप को लिटा कर अपने नखों से उसका पेट फाड़ कर उसका वध किया था. हिरण्यकश्यप को वरदान था कि उसे मनुष्य या जानवर, दिन या रात में, अस्त्र या शस्त्र से नहीं मारा जा सकता था. तभी भगवान ने यह अनोखा स्वरूप धारण किया था. जिस दिन भगवान ने ये अवतार धारण किया था उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी.
विधि-विधान से करें व्रत पूजन
नरसिंह जयंती के दिन जातकों को सुबह प्रातः काल स्नान करते हुए साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर भगवान की आराधना करनी चाहिए. नरसिंह भगवान की पूजा और व्रत करने से अंदर का भय दूर होता है और हमेशा जातकों पर उनकी कृपा बनी रहती है इसके साथ ही जीवन में आने वाले समस्त संकटों का नाश होता है, क्योंकि प्रभू खुद अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. यह विशेष दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है इस दिन भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा की जाती है.