
Azamgarh News: यूपी फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाला ! एडी बेसिक समेत 9 लोगों पर मुकदमा, अन्य जिलों में जांच शुरू
UP Teacher Bharti Scam
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आजमगढ़ (Azamgarh) में फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले ने सूबे में तहलका मचा दिया है. बीएसए की तहरीर पर एडी बेसिक सहित 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है. इस प्रकरण ने अन्य जिलों में हलचल मचा दी है.

Azamgarh Teacher News: आजमगढ़ के सरदहा बाजार स्थित श्रीमती परमा देवी जायसवाल बालिका जूनियर हाईस्कूल में पांच शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति ने प्रदेश में हलचल मचा दी है. बताया जा रहा है कि पूरा फर्जीवाड़ा कोविड काल के दौरान अंजाम दिया गया, जब शिक्षण संस्थान बंद थे और प्रशासनिक कार्य सीमित थे. इस मामले में बीएसए राजीव पाठक की तहरीर पर एडी बेसिक, विद्यालय प्रबंधक, बीएसए कार्यालय के दो बाबुओं समेत कुल नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
शिकायत से हुआ घोटाले का खुलासा

शिकायत में बताया गया कि भर्ती प्रक्रिया में कई अनियमितताएं बरती गईं, और नियुक्त किए गए शिक्षकों की नियुक्ति संदिग्ध तरीके से की गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच संयुक्त शिक्षा निदेशक को सौंपी गई.
जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा
संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा की गई जांच में यह सामने आया कि कोविड-19 महामारी के दौरान एक फर्जी साक्षात्कार दिखाकर पांच शिक्षकों की भर्ती कर दी गई थी. वास्तविकता यह थी कि उस समय स्कूल बंद थे और किसी प्रकार की कोई भर्ती प्रक्रिया नहीं हुई थी. लेकिन कागजों में ऐसा दिखाया गया कि सभी शिक्षकों का विधिवत साक्षात्कार लिया गया और उन्हें मेरिट के आधार पर चयनित किया गया.
जांच में यह भी सामने आया कि इस भर्ती प्रक्रिया को मंजूरी दिलाने के लिए प्रधानाध्यापिका और पर्यवेक्षक के फर्जी हस्ताक्षर तैयार किए गए. अनुमोदन के लिए तत्कालीन बीएसए अंबरीश कुमार के नाम से कूटरचित हस्ताक्षर कर दिए गए. इसके अलावा, बीएसए कार्यालय के रिकॉर्ड में भी छेड़छाड़ की गई और डिस्पैचर रजिस्टर में गलत प्रविष्टियां दर्ज की गईं ताकि यह लगे कि पूरी प्रक्रिया वैध है.
जांच रिपोर्ट के आधार पर जब शिक्षा निदेशक (बेसिक) के प्रयागराज स्थित शिविर कार्यालय को इस घोटाले की जानकारी दी गई, तो उच्चस्तरीय जांच शुरू की गई और पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए संबंधित अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराया गया.
फर्जीवाड़े को अंजाम देने की साजिश
इस घोटाले को कोविड-19 के दौरान योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया. जब महामारी के कारण स्कूलों में किसी प्रकार की नियमित गतिविधियां नहीं हो रही थीं, तब फर्जी शिक्षकों की भर्ती कर दी गई. इस दौरान पूरी प्रक्रिया को कागजों में वैध दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए और उच्च अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर कर अनुमोदन लिया गया.
इसमें सबसे बड़ा खेल यह था कि डिस्पैचर रजिस्टर से छेड़छाड़ कर फर्जी दस्तावेजों को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कराया गया ताकि भविष्य में यदि कोई जांच हो तो नियुक्तियों को सही साबित किया जा सके. विद्यालय प्रबंधक, बीएसए कार्यालय के बाबुओं और एडी बेसिक की मिलीभगत से इस पूरी साजिश को अंजाम दिया गया.
नामजद आरोपी
इस मामले में नौ लोगों को नामजद करते हुए पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है.
- मनोज कुमार मिश्र (एडी बेसिक एवं तत्कालीन बीएसए)
- जयकिशन लाल गुप्ता (विद्यालय प्रबंधक)
- बीएसए कार्यालय के तत्कालीन पटल सहायक
- डिस्पैच सेक्शन का पटल सहायक
- नमिता जायसवाल (सहायक अध्यापिका)
- चंदा शुक्ला (सहायक अध्यापिका)
- उर्मिला यादव (सहायक अध्यापिका)
- वंदना यादव (सहायक अध्यापिका)
- सुमन यादव (सहायक अध्यापक)
शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप, अन्य जिलों में भी जांच शुरू
इस घोटाले के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. मामला सामने आते ही शिक्षा निदेशालय ने अन्य जिलों में भी इसी तरह की फर्जी नियुक्तियों की जांच शुरू कर दी है. इस घोटाले के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि अन्य जिलों में भी इसी तरह की फर्जी नियुक्तियां हुई होंगी और यदि गहन जांच की जाए, तो इस तरह के कई और मामले सामने आ सकते हैं.
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के बीएसए को अपने-अपने यहां नियुक्तियों से जुड़े रिकॉर्ड की जांच के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा, विभागीय स्तर पर एक टीम गठित की गई है, जो इस तरह की नियुक्तियों से जुड़े कागजातों की गहराई से पड़ताल कर रही है.
अधिकारियों की भूमिका पर सवाल, कार्रवाई की तैयारी
जांच में यह साफ हो चुका है कि यह घोटाला अकेले विद्यालय स्तर पर नहीं हुआ, बल्कि इसमें शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों की मिलीभगत रही. यह घोटाला इतना बड़ा था कि बिना बीएसए कार्यालय और उच्च अधिकारियों की अनुमति के इसे अंजाम नहीं दिया जा सकता था.
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन सिर्फ निचले स्तर के अधिकारियों और विद्यालय प्रबंधक पर ही कार्रवाई करेगा, या फिर इसमें शामिल बड़े अधिकारियों पर भी शिकंजा कसेगा?
पुलिस द्वारा अब इन आरोपियों की भूमिका की गहराई से जांच की जा रही है. संभावना जताई जा रही है कि आगे और भी बड़े नाम इस घोटाले में सामने आ सकते हैं. इसके अलावा, सभी दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच कराने की भी तैयारी की जा रही है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कब और कैसे दस्तावेजों में हेरफेर किया गया.
