Kanpur Lok Sabha MP List In Hindi: कानपुर के पहले सांसद हरिहरनाथ शास्त्री से सत्यदेव पचौरी तक का सफ़र ! जानिए लोकसभा सीट का अब तक का पूरा इतिहास
Kanpur News In Hindi
कानपुर लोकसभा (Kanpur Loksabha) का इतिहास 1952 से चला आ रहा है. इस दरमियां इस लोकसभा क्षेत्र ने बड़े-बड़े महारथी देखे हैं. कानपुर के राजनीतिक सफर की बात की जाए तो अब तक कानपुर सीट ने 11 सांसद दिए लेकिन एक ऐसा सांसद जो निर्दलीय रहकर कानपुर लोकसभा से लगातार चार बार सांसद बना आज तक उनकी बराबरी अबतक यहां कोई न कर सका है. 3-3 बार बीजेपी के जगतवीर द्रोण और कांग्रेस के श्री प्रकाश जयसवाल सांसद रहे.
कानपुर शहर क्रांतिकारियों का गढ़
कानपुर शहर (Kanpur City) एक औद्योगिक नगरी और जिसे उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है. गंगा (Ganga) की अविरल धारा के किनारे बसा कानपुर शहर का जुड़ाव देश की आजादी (Freedom) से भी जुड़ा हुआ है. 1857 की क्रांति से इस शहर का जुड़ाव रहा है. यहाँ क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को धूल चटाते हुए बलिदान (Sacrifice) दिया था. तो कई स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी को लेकर अपने प्राण न्योछावर कर दिए.
इसी शहर से बड़े-बड़े राजनेता शीर्ष कुर्सी तक पहुंचे. जिसमें से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath kovind) शामिल है. इसके साथ ही कानपुर को चमड़ा कारोबार में ख्याति प्राप्त है देश-विदेश में यहां का चमड़ा प्रसिद्ध है. भारतवर्ष का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग का कारोबार कानपुर में ही है. बड़ी-बड़ी धरोहर लाल इमली के रूप में मौजूद है. इसके साथ ही बिठूर का ब्रह्मावर्त घाट यहां की संस्कृति को और बढ़ाता है.
1952 में पहले सांसद हरिहरनाथ शास्त्री, उपचुनाव के बाद बदले सांसद
कानपुर के राजनीतिक सफर की बात करें अगर तो कानपुर के पहले सांसद के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में हरिहरनाथ शास्त्री ने वर्ष 1952 में चुनाव जीता था उस वक्त कानपुर सेंट्रल सीट हुआ करती थी. फिर उसी दरमियान ही दो उपचुनाव के दौरान कांग्रेस के ही शिवनारायण टंडन सांसद बने, और प्रसोपा के प्रोफेसर राजाराम शास्त्री भी सांसद बने. फिर 1957 में शहर की राजनीति आबोहवा बदल गयी.
1957 से लगातार 4 बार निर्दलीय सांसद बने एसएम बनर्जी
कानपुर की राजनीति में नया मोड़ 1957 में आया जब यह सीट कानपुर के नाम से हो गई. यह कहना गलत नहीं होगा कानपुर के मतदाताओं को 19 बार लोकसभा चुनाव में वोट डालने का मौका मिला है, क्योंकि पहली लोकसभा चुनाव में दो उपचुनाव हुए थे. जिसकी वजह से यह आंकड़ा बढ़ा. वर्ष 1957 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एसएम बनर्जी मैदान में उतरे और वह लगातार चार दफा कानपुर से सांसद बने. बनर्जी 1957, 1962, 1967 और फिर 1972 में निर्दलीय सांसद बने.
उन्होंने चार चुनाव लगातार जीतते हुए तीन चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों को हराया. 1957 में सूर्य प्रसाद अवस्थी को तो 1962 में कांग्रेस के ही विजय सिंह को हराया. पांचवें चुनाव के दौरान 1977 में जनता पार्टी के मनोहर लाल ने चुनाव जीता जिसमें बनर्जी को मात्र 5035 वोट मिले थे. फिर 1980 में कांग्रेस से आरिफ मोहम्मद खान सांसद बने 1984 में कांग्रेस के ही नरेश चंद्र चतुर्वेदी जबकि 1989 में सुभासिनी अली सांसद बनी.
पहली दफा 1991 में बीजेपी के पाले में आई ये सीट, लगातार 3 बार जीते द्रोण, कांग्रेस के श्रीप्रकाश भी 3 बार
कानपुर की राजनीति में फिर से एक बार नया मोड़ आया जब अबकी दफा राम मंदिर आंदोलन का समय चल रहा था तभी जगतवीर सिंह द्रोण भाजपा की ओर से खड़े हुए और उन्होंने 1991 से लेकर 1998 तक तीन चुनाव जीते. यही नहीं जगतवीर सिंह द्रोण कैप्टन थे.
फिर से एक बार राजनीति ने करवट ली और 1999 में जगतवीर सिंह द्रोण कांग्रेस के श्री प्रकाश जायसवाल से पराजित हो गए. 1999 में ही देश में अटल जी की सरकार भी बनी थी. इसके बाद 2004 और 2009 में भी कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल इस सीट से जीते और कांग्रेस की सरकार आने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री का बड़ा कद भी दिया गया था.
2009 के बाद से फिर से एक बार कांग्रेस की आबोहवा में संकट के बादल छाए और भाजपा ने 2014 में फिर से वापसी करते हुए कानपुर की सीट पर भाजपा के बड़े दिग्गज नेता डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को टिकट दिया जहां उन्होंने इस चुनाव में श्री प्रकाश जायसवाल को हरा दिया. भाजपा की लहर में ही 2019 में कानपुर सीट से सत्यदेव पचौरी भी खड़े हुए और वह भी जीत कर कानपुर लोकसभा से सांसद बने.
4 जून को नया सांसद मिल जाएगा कानपुर शहर को
अब 2024 लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है कानपुर में 13 मई को वोटिंग है फिर 4 जून को कानपुर लोकसभा को एक नया सांसद भी मिल जाएगा. हालांकि कानपुर लोकसभा सीट से इस बार कोई नया नाम भी सामने आ सकता है हाल ही में कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय कपूर भी बीजेपी में शामिल हुए हैं अब देखना यह होगा कि कानपुर की राजनीति में कानपुर लोकसभा सीट के लिए अभी तक बीजेपी ने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, जबकि सपा-कांग्रेस का गठबंधन है ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्षी गठबंधन दल किस प्रत्याशी पर मुहर लगाएगा यह जल्द ही पता चला जायेगा.