CSJMU Action On Students : कानपुर यूनिवर्सिटी की इस नई सजा से उद्दंड और अराजकता फैलाने वाले विद्यार्थियों में दहशत
विश्वविद्यालय के छात्र कक्षा से गायब हुए ,झगड़ा किया, गुंडागर्दी की या अन्य कोई अराजकता फैलाई तो ऐसे शरारती और उद्दंड छात्रों को अब कानपुर विश्वविद्यालय इस तरह की सख्त सजा देने जा रहा है, शिक्षाविदों की माने तो ऐसी सजा मिलने के बाद पूरी उम्मीद है कि छात्र अपने जीवन अपने व्यक्तित्व को सुधारने का प्रयास करेंगे.
हाईलाइट्स
- कानपुर विश्वविद्यालय उद्दंड छात्रो को देगी ये सख्त सजा
- अब सजा के तौर पर बुजुर्गों की सेवा ,मंदिर की साफ सफाई कराया जाएगा
- शिक्षाविदों की माने तो ऐसा करने से उद्दंड छात्रो के व्यक्तित्व में परिवर्तन सम्भव है
Kanpur University will give strict punishment to defiant students : छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की इस पहल ने पहली दफा एक सकारात्मक कदम उठाते हुए शरारती और उद्दंड छात्रों को सुधारने का बीड़ा उठाया है, यदि छात्र कक्षा से गायब हुए ,झगड़ा फसाद करना या अन्य अराजकता फैलाई जिसके बाद उन्हें सजा के तौर पर अबतक अर्थदंड ,उनका निलंबन या निष्कासन किया जाता था ,लेकिन अब ऐसा नहीं होगा,इनको सजाएं तो अब बहुत सख्त मिलेगी जिससे ये अपनी व्यक्तित्व जीवन शैली में परिवर्तन कर सकें , माना जा रहा कि ऐसी सजाओ से उनमें सुधार की शत प्रतिशत सम्भावना है.
सजा के तौर पर वृद्धाश्रम में कराएगा बुजुर्गों की सेवा
दरअसल विश्वविद्यालय अब ऐसे उद्दंड और अनुशासनहीन छात्रों को सजा के तौर पर वृद्धआश्रम में बुजुर्गों की सेवा कराएगा,मंदिर की साफ सफाई, पशु पक्षियों की सेवा, इस्कॉन में भक्ति ,योग और गांव में समाज सेवा के कार्य कराएगा, जिससे उनके व्यक्तित्व में अवश्य परिवर्तन होने की पूरी संभावना है इसके लिए विश्वविद्यालय ने वृद्ध आश्रम ,योग केंद्र और इस्कॉन से समझौते भी किए हैं. विश्वविद्यालय ने इन 20 दिन में 24 छात्रो पर कड़ा एक्शन लिया है,
पहले उद्दंड के मामले में ऐसे छात्रो का निलंबन,फाइन व निष्काषित जैसे दंड दिए जा रहे थे उसमें भय तो रहता है लेकिन परिवर्तन नही आता और अभिभावकों पर भी अर्थ दंड का भार पड़ता है जिससे उन्हें भी परेशानी होती है इन्ही सब बिन्दुओ को ध्यान में रखकर ऐसे अनुशासनहीनता फैलाने वाले छात्रों को सजा तो मिलेगी लेकिन सजा की कैटेगरी अलग होगी.
शिक्षाविदों ने दिया सुझाव
कानपुर विश्वविद्यालय की इस पहल ने सकारात्मक कदम उठाया है, अनुशासनहीन छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखकर उनके व्यक्तित्व में परिवर्तन हो जिसको लेकर शिक्षाविदों की बात को समझते हुए यह निर्णय लिया है. अभिभावकों पर भी छात्रो के अर्थदंड का प्रभाव न पड़े क्योंकि सबसे ज्यादा परेशानियां गार्जियन्स को आती है. कुलपति प्रो विनय पाठक की माने तो ये पहल ऐसे उद्दंड छात्रो की उद्दंडता दूर करने का एक प्रयास है जिससे सेवा भाव उनके मन मे विकसित हो, और वे अपने व्यक्तित्व में परिवर्तन कर सकें.जल्द ही इसे हम लागू करेंगे.