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Who Is Umar Gautam: फतेहपुर का मौलाना उमर गौतम कौन है? जिसने पिता धनराज सिंह के अंतिम संस्कार में नहीं दिया था कंधा

Fatehpur News In Hindi

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) का रहने वाला मौलाना उमर गौतम (Umar Gautam) 1984 में धर्म परिवर्तन कर क्षत्रिय से मुस्लिम बना था इसके बाद इसने एक हजार से ज्यादा लोगों का अवैध धर्म परिवर्तन कराया था. जानिए श्याम प्रताप सिंह गौतम (Shyam Pratap Singh Gautam) से कैसे बना उमर गौतम (Umar Gautam) जिसको कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा...पूरी कहानी

Who Is Umar Gautam: फतेहपुर का मौलाना उमर गौतम कौन है? जिसने पिता धनराज सिंह के अंतिम संस्कार में नहीं दिया था कंधा
फतेहपुर का श्याम प्रताप सिंह गौतम कैसे बना मो. उमर गौतम जानिए इसकी पूरी कुंडली: Image Credit Original Source

Who Is Umar Gautam: यूपी के फतेहपुर (Fatehpur) का रहने वाला मौलाना उमर गौतम अवैध धर्म परिवर्तन के काले कारनामे का ऐसा मास्टर माइंड है जिसने नौकरी और बीबी के लिए अपना धर्म परिवर्तित कर लिया. साथियों के साथ मिलकर संगठन बनाया और दिव्यांग मूक-बधिर बच्चों के साथ गरीब लोगों को लालच देकर उनको मुस्लिम बनाने का काम करने लगा.

फतेहपुर (Fatehpur) जिले के पंथुआ मजरे रमवा गाँव के क्षत्रिय परिवार में जन्मा उमर गौतम (Umar Gautam) का असली नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम है. परिवार के लोग अब इसकी सूरत भी नहीं देखना चाहते हैं. जानिए आजीवन कारावास की सजा पाने वाले उमर गौतम की पूरी कुंडली

फतेहपुर के पंथुआ का रहने वाला है उमर गौतम (Who Is Umar Gautam)

फतेहपुर (Fatehpur) के पंथुआ मजरे रमवा गाँव का रहने वाला मौलाना उमर गौतम (Umar Gautam) का जन्म साल 1964 को हुआ था. उसका असली नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम है. पिता स्व. धनराज सिंह एक बड़े लंबरदार थे. पंचायत सचिव की नौकरी करने वाले धनराज एडीओ पंचायत भी रहे.

जानकारी के मुताबिक धनराज के छः बेटों में से श्याम उर्फ उमर गौतम चौथे नंबर का है. बड़ा बेटा उदय राज प्रताप सिंह, दूसरा उदय प्रताप सिंह, तीसरा उदय नाथ सिंह, चौथा उमर उर्फ श्याम प्रताप सिंह, पांचवां श्रीनाथ सिंह और छठा स्व. ध्रुव प्रताप सिंह.

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बताया जा रहा है कि क़रीब एक हजार की आबादी वाले इस गाँव में ठाकुर, यादव, दलित, मौर्य औऱ कुछ अन्य पिछड़ी जातियों के लोग रहतें हैं. जबकि इस गाँव में मुसलमानों की आबादी शून्य है. श्याम उर्फ उमर की आठवीं तक कि पढ़ाई पड़ोस के गाँव सुभाष जूनियर हाईस्कूल से हुई इसके बाद सर्वोदय इंटर कालेज से 12 वीं किया.

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बताया जा रहा है कि इसी बीच उसकी शादी क्षत्रिय परिवार में राजेश्वरी से कर दी गई लेकिन उमर आगे की पढ़ाई करने के लिए पंतनगर चला गया औऱ फ़िर एग्रीकल्चर से बीएससी करने के बाद दिल्ली पहुँच गया. 

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मुस्लिम महिला के संपर्क में आने बाद बदला धर्म 

पंथनगर में श्याम उर्फ उमर कई मुस्लिम दोस्तों के संपर्क में रहा. जानकारों की माने तो एग्रीकल्चर से बीएससी करने के दौरान ही उसका झुकाव मुस्लिम धर्म की ओर हो गया.

वहीं कुछ का कहना है कि अलीगढ़ में उमर किसी मुस्लिम महिला के संपर्क में आने के बाद उसको धर्म परिवर्तन और प्रोफेसर बनने का लालच दिया गया. बताया जा रहा है कि श्याम प्रताप ने मुस्लिम धर्म अपनाते हुए साल 1984 महिला से शादी कर ली.

जब परिवार ने किया बेदखल, पत्नी राजेश्वरी से बनी रजिया 

श्याम प्रताप सिंह गौतम मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद उसी भेषभूषा में अपने गांव पांथुआ आया. परिवाद और ग्रामीण यह देख कर चौंक गए. घर परिवार के लोगों ने उसे बहुत समझाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माना. फतेहपुर के उसके ससुर ने भी उसे समझाते हुए एक ईंट भट्ठा खोलने के बात कही जिसपर भी वो तैयार नहीं हुआ.

उसके पिता धनराज सिंह और परिजनों ने उसे घर से बेदखल कर दिया. लेकिन उसकी पत्नी राजेश्वरी उसी के साथ रहना चाहती थी. उमर अपनी पहली पत्नी को साथ लेकर चला गया. जानकारी के मुताबिक उसने राजेश्वरी का भी धर्म परिवर्तन कराते हुए रजिया बना दिया. 

मां के मरने और पिता की मौत के दो महीने बाद आया था गांव 

श्याम उर्फ मौलाना उमर गौतम घर से बेदखल होने के बाद अपने गांव नहीं आया. साल 2021 दिल्ली से उमर की गिरफ्तारी के बाद गांव में एटीएस की टीम आई थी तभी उमर के चचेरे भाई राजू सिंह ने युगान्तर प्रवाह से बातचीत करते हुए कहा था कि श्याम और वो हमजोली के हैं.

धर्म परिवर्तन के बाद परिवार से उसका कोई रिश्ता नहीं है. उन्होंने कहा था कि क़रीब दस साल पहले मां के मरने पर औऱ दो साल पहले जब पिता धनराज सिंह की मौत हुई थी तो मौत के क़रीब दो महीने बाद वह गांव आया था. लेकिन बमुश्किल क़रीब वह 30 मिनट ही रुका था.

उसके चेहरे में कोई सिकन तक नहीं थी कि उसके पिता उसके ही कारण दुनिया छोड़ गए. उन्होंने कहा उसके साथ अन्दौली के कुछ रसूखदार मुसलमान भी थे जिसके साथ वो आया था. 

फतेहपुर से रहा गहरा नाता, विद्यालयों में होती थी फंडिंग

उमर के भाई राजू सिंह कहते हैं कि उमर गांव नहीं आया लेकिन उसका आस-पास के गांवों में हमेसा आना जाना रहा. नाम न छापने की शर्त पर कुछ ग्रामीण बताते हैं कि उमर गौतम के प्रभाव में अन्दौली,हंसवा, हथगाम, खागा, सनगांव आदि के कई पैसे वाले मुस्लिम धर्म के लोग संपर्क में रहे.

इन लोगों के माध्यम से अंदर ही अंदर पूरे ज़िले में धर्मांतरण का खेल चलता रहा है. उमर के जब भी गांव आया इलाक़े के रसूखदार मुस्लिम उसके साथ मौजूद रहते थे. जानकारी के मुताबिक उमर जिले में तकरीरे पढ़ने आता था. कई विद्यालयों को फंडिंग भी करता था.

नूरुलहुदा विद्यालय की शिक्षिका कल्पना सिंह ने धर्म परिवर्तन को लेकर सदर कोतवाली में एक एफआईआर भी दर्ज करवाई थी. लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन करने का काला कारनामा लंबे समय से तक चलता रहा. जिले के कई गरीब हिन्दुओं को इसने अपने जाल में फसाते हुए उनका धर्म परिवर्तन किया. 

एनआईए ATS लखनऊ कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

साल 2021 में एटीएस की रडार में फसने के बाद उमर गौतम की कुंडली खगालने के लिए एटीएस महीनों तक जिले में पड़ी रही. उमर का नेटवर्क भारत सहित पाकिस्तान से भी जुड़े होने की चर्चा लागतार होती रही.

संगठन के माध्यम से इसने करीब एक हजार से ज्यादा दिव्यांग मूक-बधिर बच्चों सहित गरीबों का धर्म परिवर्तन कराया. बीते मंगलवार को एनआईए एटीएस कोर्ट लखनऊ ने इसको दोषी पाया है. बुधवार को कोर्ट ने उमर गौतम सहित 12 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है जबकि 4 लोगों को 10 साल की सजा के साथ जुर्माना लगाया है.

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