
Fatehpur News: तांबेश्वर मंदिर विवाद ! भोले बाबा की ज़मीन या कब्रिस्तान पर चला दिनदहाड़े बुलडोजर
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में सिद्ध पीठ तांबेश्वर मंदिर से सटे कब्रिस्तान को दिनदहाड़े बुलडोजर से समतल कर दिया गया. घटना के बाद प्रशासन राजस्व टीम मौके पर पहुंची लेकिन अभी तक इस प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

Fatehpur News: यूपी के फतेहपुर में तांबेश्वर मंदिर से सटे कब्रिस्तान पर चले बुलडोजर ने इलाके में सनसनी फैला दी है. शनिवार दोपहर बाद अज्ञात लोगों ने दो बुलडोजरों की मदद से मजारों को तोड़कर ज़मीन समतल कर दी. इस घटना के बाद प्रशासन मौन साधे बैठा है, तो वहीं हिंदू और मुस्लिम पक्षों में बयानबाज़ी तेज़ हो गई है.
विहिप ने कहा "जिसकी ज़मीन थी, उसने ले ली"
विहिप (VHP) के प्रांतीय उपाध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय ने अपने बयान में कहा कि यह ज़मीन तांबेश्वर बाबा की थी, और अब वह वापस उन्हीं के पास आ गई है. उन्होंने दावा किया कि पहले यहां एक आम का बाग़ था, लेकिन कुछ लोगों ने षड्यंत्र कर इसे कब्रिस्तान में बदल दिया। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि आखिर ज़मीन समतल करने का काम किसने किया.
मुस्लिम पक्ष का दावा "हम सदियों से यहां क़ाबिज़"
वहीं, मुस्लिम समाज के कुछ लोग इस घटना से नाराज़ हैं. उनका कहना है कि यह कब्रिस्तान सदियों से मौजूद है और यहां उनके बुज़ुर्गों को दफनाया जाता रहा है. एक पक्षकार का दावा है कि तांबेश्वर मंदिर की स्थापना के लिए भी ज़मीन उनके बुजुर्गों ने दी थी.
प्रशासनिक चुप्पी और वायरल होते वीडियो
सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि प्रशासन इस पूरे मामले पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है. जब युगान्तर प्रवाह ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से इस पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, तो किसी ने फोन तक रिसीव नहीं किया. केवल सीओ सिटी सुशील दुबे ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि यदि राजस्व विभाग से कोई शिकायत आती है, तो एफआईआर दर्ज की जाएगी.
तालाब, बंजर ज़मीन या मंदिर की संपत्ति?
इस विवाद के बीच एक और बहस छिड़ गई है कि आखिर यह ज़मीन किसकी थी. चर्चा रही कि कुछ सरकारी अभिलेखों में यहां साढ़े सात बीघा ज़मीन तालाब के रूप में दर्ज है, जबकि कुछ लोग इसे बंजर भूमि बताते हैं. फिलहाल, किसी भी अधिकारी ने इसकी पुष्टि नहीं की है.
सोशल मीडिया पर बवाल, लेकिन कार्रवाई नदारद
इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिससे मामला और तूल पकड़ रहा है. लेकिन सवाल यह है कि जब दिनदहाड़े बुलडोजर चला, तो प्रशासन कहां था? क्या यह कोई सुनियोजित योजना थी, या फिर भोले बाबा की ही मर्ज़ी थी?
