UPPSC PCS 2021 Interview : यमुना कछार से निकली मेधा ने बढ़ाया फतेहपुर का मान,पान की दुकान से सफलता के शिखर तक पहुँचने की संघर्षपूर्ण गाथा

फतेहपुर के बेहद पिछड़े इलाक़े से ताल्लुक रखने वाले शिवाकांत तिवारी यूपी पीसीएस में चयनित हुए हैं.74 वीं रैंक हासिल करने वाले शिवाकांत ने युगान्तर प्रवाह से एक्सक्लुसिव बातचीत करते हुए संघर्ष से सफलता तक की अपनी जो दास्तां सुनाई है, उसको जान शायद आपके भी आँसू निकल पड़ें, उनकी सफलता लाखों करोड़ों प्रतियोगी छात्र-छत्राओं के लिए एक सीख है.

UPPSC PCS 2021 Interview : यमुना कछार से निकली मेधा ने बढ़ाया फतेहपुर का मान,पान की दुकान से सफलता के शिखर तक पहुँचने की संघर्षपूर्ण गाथा
शिवाकांत तिवारी ( बाएं ) , पान की दुकान में बैठे पिता राजेन्द्र प्रसाद

UPPSC PCS Topper 2021 Shivakant Tiwari Interview : 'परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है,ज़मीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है.' कुछ ऐसी ही प्रेरणा देती है दोआबा के लाल की संघर्षपूर्ण सफलता की गाथा. 

उत्तर प्रदेश पीसीएस परीक्षा 2021 के अंतिम परिणाम ( UPPSC PCS Result 2021 ) जारी हुए कई ऐसे अभ्यर्थी चयनित हुए हैं जिनको इस मुकाम तक पहुँचने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा.

लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी अंततः सफलता का मुक़ाम छुआ.ऐसे ही एक सफ़ल अभ्यर्थी हैं फतेहपुर के शिवाकांत प्रसाद तिवारी (Shivakant Prasad Tiwari Fatehpur PCS Result 2021) अभावों में रहकर भी अपनी लगन औऱ हार न मानने की जिद से किस तरह सफलता अर्जित की जा सकती है.शिवाकांत की सफलता की कहानी पढ़ जाना जा सकता है. (UPPSC PCS Result 2022)

युगान्तर प्रवाह से साक्षात्कार के दौरान शिवाकांत ने क्या कुछ बताया.आइए जानते हैं.

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सवाल- शिवाकांत जी अपनी पृष्ठभूमि के बारे में बताइए?

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जवाब- मैं मूल रूप से यमुना किनारे बसे असोथर विकास खण्ड के उरौली गांव का रहने वाला हैं.पिताजी का नाम श्री राजेन्द्र प्रसाद तिवारी औऱ माता का नाम गोमती देवी है. गांव में थोड़ी बहुत खेती है, जिसको बाबा जी करते हैं,पिता जी रोजी रोटी के लिए गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बहुआ कस्बे में आकर क़रीब 40 साल पहले एक छोटी सी पान की दुकान खोलते हैं जो वर्तमान समय में भी चल रही है. पिताजी ने फिर बहुआ में ही निवास बना लिया,हम लोगों को भी अपने पास ले आए.मैं बड़ा बेटा हूँ, दो छोटे भाई हैं,माँ गृहणी हैं.इंटर तक की पढ़ाई कलावर्ग से बहुआ कस्बे के ही इंटर कॉलेज से पूर्ण की.इंटर तक की पढ़ाई के दौरान मैं भी दुकान में बैठता था.इसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीए फिर एमए किया.

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सवाल-यूपी पीसीएस की तैयारी कब से शुरु की?

जवाब- मैंने 1996 में हाईस्कूल, 1998 में इंटर, और फिर 2004 में एमए की पढ़ाई पूरी कर ली थी.इसके बाद से सिविल सेवा परीक्षाओं की तरफ़ रुझान बढ़ा.लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी कि मैं तैयारी के लिए कोचिंग जा सकूं, पिता जी पान की दुकान से किसी तरह इलाहाबाद में रहने पढ़ाई आदि का खर्च देते थे.इस लिए खुद से ही पढ़ाई करता था.

सवाल- आप वर्तमान में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हैं, कभी लगा नहीं की ठीक ठाक सैलरी मिल रही है.क्यों अधिकारी बनने के पीछे भागना?

जवाब- तैयारी के बीच में नौकरी करना मजबूरी थी.प्रवक्ता से पहले मैंने 5 साल प्राइमरी शिक्षक की भी नौकरी की है.दरअसल हम लोगों की आर्थिक स्थिति ऐसे नहीं थी कि मैं लगातार इलाहाबाद में रहकर पढ़ सकूं.पिताजी पर कब तक बोझ डालता,पिताजी भी कहते थे कि जो मिले पहले उसको कर लो,फिर तैयारी करते रहना.इसी लिए मैंने एमए के बाद बीएड किया.फिर 2007 के विशिष्ट बीटीसी के तहत प्राइमरी स्कूल में 2009 में अध्यापक के पद पर नियुक्ति हुई. 2014 तक हरदोई में प्राइमरी शिक्षक की नौकरी की.इस बीच मेरा चयन 2015 में डायट प्रवक्ता के पद पर हो गया. और फिर राज्य शैक्षणिक संस्थान प्रयागराज में बतौर प्रवक्ता के पद पर वर्तमान में कार्यरत हूँ.इन सब के बीच मैंने अपनी तैयारी जारी रखी.नौकरी के बाद जो भी समय मिलता उसमें पढ़ाई करता,क्योंकि ये सब नौकरी तो घर की परिस्थितियों की वजह से करना पड़ा मेरा सपना आईएएस, पीसीएस बनना था.

सवाल- 2012 में आपकी शादी हो गई. कई तरह की जिम्मेदारी हो जाती हैं. ऊपर से नौकरी भी कैसे मैनेज करते थे?

जवाब- पत्नी का पूरा सपोर्ट रहा.कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि मेरी शादीशुदा जिंदगी पढ़ाई के बीच में आड़े आ रही है.

सवाल- आपकी उम्र 40 के ऊपर हो गई है.यह आखरी मौक़ा था, क्या चल रहा था दिमाग में?

जवाब- हां कभी कभी ऐसा डर आता था मन में क्योंकि मैं लगातार पीसीएस के मेंस तक पहुँच रहा था, लेकिन हर बार इंटरव्यू तक पहुँचने से चूक जाता था, दो बार यूपीएससी ( UPSC ) के मेंस तक भी पहुँचा हूँ. इस बार पहली बार इंटरव्यू तक पहुँचा औऱ सफल हो गया. ( UPPSC PCS Result 2021 )

सवाल- सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण किसे मानते हैं?

जवाब- अपनी मेहनत को मैं सफलता का सबसे बड़ा कारण मानूं, कहना गलत होगा, मेरी इस सफ़लता के असली हकदार मेरे पिताजी हैं,जिन्होंने छोटी सी पान की दुकान चलाकर पढ़ाई के लिए मुझे इलाहाबाद भेजने की हिम्मत की.

सवाल- प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब- परिस्थितियां सबसे बड़ी प्रेरणा होती हैं, जब आपके समक्ष केवल एक ही रास्ता बचता है तो वही आपके लिए प्रेरणा बन जाता है.बाकी इलाहाबाद की धरती, यहां रहने वाले प्रतियोगी छात्र आपको लगातार प्रेरणा देते रहते हैं.

सवाल-आरक्षण को लेकर सवाल उठते हैं, सिविल सेवा परीक्षाओ में आरक्षण को कैसे देखते हैं?

जवाब- आरक्षण को लेकर पक्ष औऱ विपक्ष में कई तरह की बातें होती हैं, मेरा ऐसा मानना है कि आरक्षण जिस सोच के साथ संविधान में रखा गया था, उसका पालन होना चाहिए, समाज के अंतिम पायदान में खड़े व्यक्ति के उत्थान के लिए उसको आरक्षण देकर अच्छी से अच्छी मुफ़्त शिक्षा दिलाई जाए.आरक्षण का लाभ उनको न मिले जो वर्तमान समय में उसके पात्र नहीं है.आरक्षण में सुधार की जरूरत है तभी इसका लाभ असली ज़रूरतमन्दों तक पहुँच पाएगा.

सवाल- अधिकारी बनने जा रहे हैं, समाज के लिए क्या कुछ करेंगें?

जवाब- सबसे महत्वपूर्ण है मुझे जो ड्यूटी दी गई है, उसका ईमानदारी से पालन हो, मेरे पास जो भी पीड़ित अपनी समस्या को लेकर पहुँचें तो उसको ऐसा महसूस न हो कि सरकारी ऑफिसों में काम नहीं होता,उनकी सुनवाई नहीं होती.पीड़ित की समस्या का समाधान हो.

सवाल- जो छात्र छात्राएं तैयारी कर रहें हैं उन्हें क्या सन्देश देना चाहेंगें?

जवाब- सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, आपकी मेहनत, लगन ही आपको सफ़ल बनाती है. जहां तक तैयारी का सवाल है, पढ़ाई के कोई घण्टे निश्चित नहीं होते, आप कितनी देर मन लगाकर पढ़ते हैं यह महत्वपूर्ण है. खासकर जिस विषय को पकड़िए उसको छोड़िए नहीं, लगे रहिए.असफलताओ से घबराना नहीं है?

सोहन लाल द्विवेदी जी कविता की पंक्तियां हैं- 'असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.' 

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