Fatehpur UP News: फतेहपुर में मजदूर की मौत ! जेई और लाइनमैन पर दर्ज हुई एफआईआर
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में बिजली का काम करने वाले मजदूर की मौत के बाद मलवां (Malwan) उपकेंद्र के जेई और लाइनमैन के खिलाफ कोर्ट आदेश पर गैर इरादतन हत्या की एफआईआर दर्ज की गई है. मलवां पुलिस इस पूरे मामले की जांच में जुट गई है.
फतेहपुर में बिजली मजदूर की मौत, जेई लाइनमैन पर एफआईआर
यूपी के फतेहपुर (Fatehpur) में बिजली विभाग की मजदूरी करने वाले संदीप कुमार की मौत के बाद कोर्ट के आदेश पर मलवां उपकेंद्र में तैनात जेई सुंदरम यादव और लाइनमैन ऋतिक कुमार के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मुकदमा मलवां थाने में दर्ज कर लिया गया है. 21 जुलाई 2023 को लाइन सुधारते समय संदीप बिजली की चपेट में आ गया था. मृतक की पत्नी दीपिका पिछले कई महीनों से संबंधित जेई और लाइनमैन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही थीं लेकिन मुकदमा नहीं लिखा गया. पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज करते हुए जांच में जुट गई है.
सात महीने बाद दर्ज हुई जेई लाइनमैन के खिलाफ एफआईआर
फतेहपुर में मलवां उपकेंद्र के जेई सुंदरम यादव और लाइनमैन ऋतिक कुमार के खिलाफ सात महीने बाद कोर्ट के आदेश पर गैरइरादतन हत्या का मुकदमा मलवां थाने में दर्ज कर लिया गया है. जानकारी के मुताबिक मलवां थाने के झाऊमेदनीपुर निवासी मृतक संदीप पटेल पुत्र रामशंकर 33/11 केवीए विद्युत उपकेंद्र मलवां में बिजली कर्मी के रूप में मजदूरी करता था. बताया जा रहा है 27 जुलाई 2023 को सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे करसवां गांव में बिजली खराब होने पर जेई और लाइनमैन के मौखिक आदेश पर कार्य कर रहा था.
मृतक की पत्नी दीपिका एफआईआर में कहती हैं कि जेई सुंदरम यादव और लाइनमैन ऋतिक कुमार ने लापरवाही करते हुए बिजली चालू करवा दी जिसके कारण पति संदीप की उसी समय मौत हो गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी करेंट से मौत का कारण स्पष्ट हुआ है. मृतक की पत्नी दीपिका ने मलवां थाने में तहरीर दी लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई चारो ओर दौड़ भाग करने के बाद अंत में कोर्ट की शरण लेनी पड़ी और सात महीने के इंतजार के बाद कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया.
बिजली विभाग के दबाव में पुलिस नहीं दर्ज कर रही थी एफआईआर
मृतक संदीप की पत्नी दीपिका ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिजली विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के दबाव के कारण पुलिस वालों ने मुझे खूब दौड़ाया और एफआईआर दर्ज नहीं की. दीपिका कहती हैं कि मेरी 6 माह की अबोध बच्ची थी और मुझ विधवा को पुलिस वाले परेशान कर रहे थे. लगातार एफआईआर ना दर्ज कराने का दबाव बनाया जा रहा था जिसकी वज़ह से मुझे कोर्ट की शरण लेनी पड़ी और सात महीने की कड़ी मेहनत के बाद आख़िर एफआईआर हुई है लेकिन अभी न्याय मिलना बाकी है.