UP Fatehpur News: फतेहपुर के सीनियर वकील शफीकुल गफ्फार का निधन ! पीएम मोदी के केस में हाजी रजा को दिलाई थी बेल, जानिए क्या था उनका मिर्जापुर कनेक्शन
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में सीनियर क्रिमिनल वकील शफीकुल गफ्फार (Shafiqul Ghaffar Khan) के निधन से अधिवक्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई. मुंबई के एक होटल में अचानक हार्ट अटैक (Heart Attack) पड़ने से उनका इंतकाल हो गया. जानिए वकील के रक्त से जन्में उस अधिवक्ता की कहानी जिनके नाम से विरोधी भी थर्राते थे.
Fatehpur News: यूपी के फतेहपुर में जब भी अपराध की दुनिया में किसी वकील की चर्चा होगी तो उसमें शफीकुल गफ्फार (Shafiqul Ghaffar Khan) का नाम लाज़िमी तौर पर लिया जाएगा. दलितों के हितार्थ समर्पित गफ्फार 73 वर्ष में दुनिया से रुख़स्त हो गए.
बताया जा रहा है कि साउथ अफ्रीका में रहने वाली बेटी को परिवार सहित मुंबई छोड़ने गए शफीकुल गफ्फार का रविवार देर रात होटल के एक कमरे में हार्ट अटैक (Heart Attack) से निधन हो गया. जानकारों की माने तो जब परिवार के लोग कमरे में पहुंचे तो बेसुध अवस्था में पाए गए. आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
हार्ट के मरीज थे शफीकुल गफ्फार पड़ चुके हैं स्टेंट
सीनियर अधिवक्ता शफीकुल गफ्फार लम्बे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे. उनके जूनियर वकील जावेद खान जानकारी देते हुए बताते हैं कि बीमारी की वजह से उनका ऑपरेशन भी हो चुका था और उनको स्टेंट भी डाले गए थे.
उन्होंने बताया कि उनके सीनियर परिवार के साथ अपनी बेटी बुशरा सफीक को मुंबई छोड़ने गए थे जिसकी सोमवार को मुंबई से साउथ अफ्रीका की फ्लाइट थी. देर रात खाना खाने के बाद वो अपने कमरे में गए और जब परिवार के लोग सुबह उनके पास पहुंचे तो उनका निधन हो चुका था.
जावेद खान कहते हैं कि डॉक्टरों ने साइलेंट हार्ट अटैक की बात कही है. उन्होंने कहा कि परिवार के लोग उन्हें लेकर फतेहपुर आ रहे हैं मंगलवार को सईद गार्डेन तुराब अली का पुरवा में उन्हें सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा.
जाने माने वकील का क्या है मिर्जापुर कनेक्शन?
क्रिमिनल लॉयर शफीकुल गफ्फार खान (Shafiqul Ghaffar Khan) मूलरूप से यूपी के मिर्जापुर जनपद के रहने वाले थे. साल 1932 में उनके वालिद एजाजुल गफ्फार खान अपने परिवार सहित माइग्रेट होकर फतेहपुर आए थे और यहीं बस गए.
जानकारी के मुताबिक एजाजुल गफ्फार खान एक एडवोकेट थे और जनपद की कचेहरी में प्रैक्टिस किया करते थे. बताया जा रहा है कि उनके साले अब्दुल रऊफ खान (Abdul Rauf Khan) भी एक सीनियर वकील थे. साले जीजा की जोड़ी ने अंग्रेजियत शासन में खूब धमाल मचाया. लोगों को न्याय दिलाने में कभी पीछे नहीं हटे.
1951 में जन्में शफीकुल, मामू बने विधायक
वकील एजाजुल गफ्फार खान के चार बेटे हुए जिनमें से शफीकुल का जन्म आज़ादी के चार साल बाद 16 जुलाई 1951 में हुआ. लाला बाजार की तंग गलियों में परिवार रहा कहता था. गुलामियत से निकला फतेहपुर आजाद भारत के सपने संजोने लगा.
एजाजुल गफ्फार के साले और शफीकुल गफ्फार के मामू साल 1951-52 में अब्दुल रऊफ खान कांग्रेस के टिकट से 163 खागा उत्तरी से विधायक बने और पहली विधानसभा का गठन हुआ. बताया जा रहा है कि विधायकी के बाद अब्दुल रऊफ खां 1964 से 71 तक फतेहपुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष भी रहे.
शफीकुल गफ्फार के मामू के बेटे इमरान मबूद खान "आईएम खान" यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष भी रहे. वकीलों की परवरिश और परिवेश के चलते शफीकुल के मन में भी वकील बनने का जज्बा जन्म लेने लगा.
कानपुर से वकालत और फतेहपुर में प्रैक्टिस
शफीकुल गफ्फार खान (Shafiqul Ghaffar Khan) की प्रारंभिक शिक्षा जनपद में ही हुई उसके बाद कानपुर के डीएवी कॉलेज से एमए इकोनॉमिक्स फिर वहीं से एलएलबी की डिग्री लेने बाद उन्होंने अपनी वकालत शुरू कर दी. बताया जा रहा है कि धीरे-धीरे इनकी प्रैक्टिस रंग लाने लगी.
लाला बाजार के किराए के मकान से निकल कर साल 2000 के आस-पास इन्होंने इमामगंज में घर बनवा लिया. फतेहपुर के क्रिमिनल सेन्सेशनल केसों में जब भी बात होती गफ्फार का नाम उसमें जरूर आता.
अगर इनके परिवार की बात करें तो इनकी पत्नी का नाम रेशमा बेगम हैं. दो संतानों में बेटी बुशरा सफीक और एक बेटा आकिब ऐजाज है जो मरीन इंजीनियर हैं बताया जा रहा है कि वो वर्तमान में अबू धाबी में कार्यरत है.
46 साल की वकालत में कई परिवारों के रहे फैमली लॉयर
शफीकुल गफ्फार खान ने 1978 से अपनी वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी और कई परिवारों के फैमली लॉयर रहे जिनमें कासिम हसन, अतहर खान, बीरन यादव, हाजी रजा सहित कई परिवार शामिल हैं. कोर्ट में इनकी जिरह से विरोधियों के पसीने छूट जाते थे.
जनपद में कई ऐसे सेन्सेशनल केस इन्होंने लड़े जिनसे इनका नाम सुर्खियों में आ गया. जावेद खान बताते हैं कि 1992 में ताराचंद्र पांडेय बनाम ठाकुर युगराज सिंह के केस में उस समय तीन लोगों की हत्या हुए थी जो कि लगातार सुर्खियों में रहा उसमें उनके सीनियर ने ताराचंद्र पांडेय की ओर से मुकदमा लड़ा था. जावेद ने कहा कि वर्तमान में पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी वाले केस में हाजी रजा (Haji Raja) को भी बेल दिखाई थी.
दलितों के उत्थान के लिए जीवन भर लड़े, विधानसभा के थे दावेदार
शफीकुल गफ्फार खान (Shafiqul Ghaffar Khan) लंबे समय से बीएसपी के सक्रिय सदस्यों में रहे. दलितों से जुड़े मामलों को वो जरूर देखा करते थे इससे उनके बीच इनकी बड़ी पैठ हो गई.
बीएसपी की सरकार में रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी जब भी फतेहपुर आते तो गफ्फार के घर आकर उनसे मुलाकात करते. जावेद कहते हैं कि उनके सीनियर साल 2012 में विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार थे हालाकि किसी कारण से उन्हें टिकट नहीं मिला लेकिन अंतिम सांस तक उन्होंने बीएसपी और दलितों का साथ नहीं छोड़ा.