Fatehpur News: फतेहपुर में अवैध नियुक्ति का जखीरा बना नगर पालिका ! 22 सालों से कर रहा नौकरी, भड़क गए पूर्व विधायक
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में एक शख्स अवैध नियुक्ति के बाद भी अपनी कुर्सी में जमा बैठा है. त्रिस्तरीय जांच और शासन के कड़े निर्देश के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है. मामला नगर पालिका परिषद फतेहपुर का है. जिसको लेकर पूर्व सदर विधायक विक्रम सिंह भड़क उठे
Fatehpur News: यूपी के फतेहपुर में एक शख्स पिछले लगभग 22 सालों से अवैध नियुक्ति के बल पर ताल ठोक कर नौकरी कर रहा है. सरकार बदली और निज़ाम भी बदले लेकिन इसका सिंघासन रत्ती भर भी नहीं हिला. प्रकाश की नुमाइंदगी करने वाले अली पर ऐसा वरदहस्त है कि जिसने त्रिस्तरीय जांच और शासन के निर्देश को भी धता बता दिया है.
मामला नगर पालिका परिषद फतेहपुर का है जहां लिपिक के पद पर आवेदन करने वाले दिलशाद अली (Dilshad Ali) को अवैध तरीके से प्रकाश निरीक्षक के पद पर नियुक्त कर दिया गया है.
साल 2003 में हुई थी दिलशाद अली की नियुक्ति
फतेहपुर (Fatehpur) नगर पालिका ने साल 2003 में कई नियुक्तियों के लिए विज्ञप्ति जारी की थी. जिसमें 06 लिपिक के पदों में 01 अनुसुचित जाति, 01 विकंलाग महिला और सामान्य श्रेणी के 04 पद थे. वहीं प्रकाश निरीक्षक (अके०) के लिए 01 पद, कर मोहर्रिर 01 पद, माली 01 पद, सफाई नायक 02 पद और सफाई कर्मचारी के 03 पदों पर नियुक्त होनी थी.
बताया जा रहा है कि दिलशाद अली ने लिपिक के पद पर आवेदन किया था लेकिन उसकी अवैध तरीके से प्रकाश निरीक्षक के पद पर नियुक्ति कर दी गई जबकि उसके पास संबंधित शैक्षिक योग्यता के दस्तावेज मौजूद नहीं थे.
14 सालों से कार्रवाई के लिए दर-दर भटका गोपाल रस्तोगी
फतेहपुर की नगर पालिका परिषद में प्रकाश निरीक्षक के पद पर दिलशाद अली (Dilshad Ali) की अवैध नियुक्ति के लिए चंदियाना मोहल्ला निवासी गोपाल रस्तोगी पिछले 14 सालों से लगातार लगे हुए हैं. गोपाल कहते हैं कि उनकी मां जब सभासद थीं तब भी कई शिकायती पत्र दिए गए थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
उसके बाद जब वो स्वयं सभासद बने तो कई बार पत्रकार किया लेकिन अवैध किले को ध्वस्त करने में कामयाबी नहीं मिली. गोपाल आगे बताते हैं कि तत्कालीन केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के माध्यम से तत्कालीन डीएम अपूर्वा दुबे को पत्र देकर कार्रवाई के लिए कहा गया था जिसमें शासन को रिपोर्ट भी भेजी गई थी लेकिन मामला फिर शांत हो गया.
उन्होंने कहा कि तत्कालीन सदर विधायक विक्रम सिंह से मिलने बाद मामले ने फिर तूल पकड़ा और त्रिस्तरीय जांच के बाद शासन को पत्र भेजा गया.
त्रिस्तरीय जांच में पाई गई अवैध नियुक्ति, भेजी 33 पन्नों की रिपोर्ट
सभासद गोपाल रस्तोगी और जनपद के जगतपुर गांव निवासी कुलदीप सिंह तोमर ने कई शिकायती पत्र दिए. बताया जा रहा है कि कुलदीप सिंह तोमर ने प्रयागराज मंडलायुक्त से शिकायत की थी. जिसके बाद तत्कालीन भाजपा सदर विधायक विक्रम सिंह भी इस प्रकरण में लगे रहे.
साल 2022 में डीएम श्रुति ने त्रिस्तरीय कमेटी गठित करते हुए ए0एसडीएम प्रथम, सदर तहसीलदार, सहायक कोषाधिकारी से जांच करवाई जिसमें पाया गया कि दिलशाद अली (Dilshad Ali) ने 2003 में लिपिक के पद के लिए आवेदन किया था जबकि उनकी नियुक्त अवैध तरीके से प्रकाश निरीक्षक के पद पर कर दी गई.
पत्रावली में कहा गया कि प्रकाश निरीक्षक के पद के लिए इलेक्ट्रिकल (आईआईटी) डिप्लोमा और अनुभव की आवश्यकता थी जो कि दिलशाद के पास नहीं थी. डीएम श्रुति ने प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन नगर विकास को 33 पन्नों की रिपोर्ट भेजते हुए इस नियुक्ति को अवैध बताया था.
तत्कालीन विधायक ने मुख्यमंत्री से की शिकायत
सदर विधानसभा के पूर्व विधायक विक्रम सिंह ने कार्रवाई ना होने के चलते मुख्यमंत्री से इस मामले पर शिकायत की थी. जिसके बाद बीते 6 जनवरी 2025 को रविंद्र सिंह अनु सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने जिलाधिकारी को पत्र लिखते हुए कार्रवाई करने के लिए कहा था.
विक्रम सिंह कहते हैं कि पूरी नगर पालिका भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. प्रशासन भी सबकुछ जानते हुए भी कुछ नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि सपा सरकार के कार्यकाल से वो इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं ये बीजेपी की जीरो टॉलरेंस की नीति का समय है कोई बचने वाला नहीं है. पूर्व विधायक कहते हैं कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो कोई भी बख्शा नहीं जाएगा
भाजपा नेता कहते हैं कि बीजेपी गरीब मजलूमों के लिए काम कर रही है और नगर पालिका भ्रष्टाचार का केंद्र बन गई है. उन्होंने कहा कि जब परते खुलेंगीं तो कई इसके जद में आएंगे. आगे बेबाकी से बोलते हुए विक्रम सिंह कहते हैं कि नीचे से लेकर ऊपर तक सभी अधिकारी भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं. उन्होंने कहा कि तत्काल अवैध नियुक्ति को निरस्त करते हुए रिकवरी की जाए
क्या कहते हैं नगर पालिका के जिम्मेदार?
शासन के पत्राचार और कार्रवाई के संबंध में जब ईओ नगर पालिका रविंद्र कुमार से जानकारी की गई तो उन्होंने कहा कि पत्र के अनुसार पत्रावली बनाकर नियुक्ति अधिकारी अध्यक्ष नगर पालिका को भेज दी गई है.
वहीं अध्यक्ष एड.राजकुमार मौर्य ने कहा कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी प्राप्त हुई है अभी तक उनके पास कोई पत्रावली नहीं आई है. शासन के निर्देश के आधार पर समुचित कार्रवाई की जाएगी. आपको बतादें कि कार्रवाई के जद में तत्कालीन अध्यक्ष, नगर पालिका ईओ और सदस्य भी जद में हैं जिन्होंने इस अवैध नियुक्ति का अनुमोदन किया था.