फतेहपुर:VIDEO:Exclusive शिक्षा माफियाओं के आगे नतमस्तक जिला प्रशासन.?शास्त्री की परीक्षाओं में खुलेआम कराई जा रही नक़ल!
सत्ता में आने के बाद सूबे की भाजपा सरकार ने नकलविहीन परीक्षा कराने के बड़े-बड़े दावे तो किए थे लेकिन शिक्षा माफियाओं के आगे पंगु बना जिला प्रशासन इसको रोक पाने में पूरी तरह नाक़ाम दिखाई दे रहा है।..युगान्तर प्रवाह की इस एक्सलूसिव रिपोर्ट में देखिए धरातल की असली हकीकत।
फ़तेहपुर: यूपी की भाजपा सरकार ने नकलविहीन परीक्षा कराने के बड़े-बड़े दावे तो किए थे लेकिन शिक्षा का हो चुका बाजारीकरण हर स्थित को अपने अनुरूप ढालकर काम कराने की हैशियत रखता है। पैसे के दम पर आज इंजीनियरिंग से लेकर पीएचडी तक डिग्री घर बैठे मिल जाती है।शिक्षा माफ़िया इस तरह हावी हैं कि आने वाले दिनों यह हमारे समाज को एक अपंग बेरोजगार की स्थित में छोड़ेगा।
इन दिनों संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा शास्त्री और आचार्य की परीक्षाएं कराई जा रही हैं लेकिन इनके संबद्ध महाविद्यालयों में जिस तरह से खुलेआम नकल कराई जा रही है जिसको देख कर आप दंग रह जाएंगे।मामला श्री ब्रह्म संस्कृत महाविद्यालय स्वामी बाग़ गनही विजयीपुर का है जहां शास्त्री की परीक्षाएं कराई जा रही हैं वीडियो में दिख रहा यह सख्स जो परीक्षार्थियों को बोल कर नकल करा रहा है इसका नाम रामकृष्ण द्विवेदी है जो इसी महाविद्यालय का प्रधानाचार्य है साथ ही इस परीक्षा केंद्र का केंद्र व्यवस्थापक भी है।
हर सुविधा का लगता है यहां अलग रेट...
सूत्रों की माने तो इस परीक्षा केंद्र में हर प्रकार की सुविधा का अलग रेट तय होता है सार्वजनिक रूप से बैठकर नकल करने का तीन हज़ार रुपए।स्पेशल कमरे में बैठकर लिखने के पांच हज़ार रुपए।सार्वजनिक तौर से यदि परीक्षार्थी की जगह कोई दूसरा व्यक्ति बैठेगा तो चार से पांच हज़ार रुपये। इसके अलावा सात बजे से दस और दो से पांच की पाली में होने वाली परीक्षाओं में एक स्पेशल सुविधा भी दी जाती है। वह है घर पर कॉपी लिखने की जिसका रेट आठ से दस हज़ार रुपए बताया जा रहा है।
बिना सीसीटीवी कैमरे के कराई जा रही परीक्षा...
शास्त्री-आचार्य की हो रही परीक्षाओं को जिले के कई केंद्रों में बिना सीसीटीवी कैमरे के कराया जा रहा है। जिससे नकल को बढ़ावा मिल रहा है।
उड़नदस्ता आने की सूचना पहले से देते हैं माफियाओं के गुर्गे..
सूत्रों की माने तो जब कोई अधिकारी चेकिंग करने परीक्षा केंद्र में आता है तो उसके पहले ही नकल माफियाओं के गुर्गे इसकी सूचना पहले से दे देतें हैं जिसके चलते नकल की सामग्री हटा दी जाती हैं। और उनके जाने के बाद यह सिलसिला बदस्तूर दोबारा जारी हो जाता है।
नीचे से ऊपर तक पैसे का होता है बन्दर बांट...
सूत्रों की माने तो नकल की इस भारी भरकम रकम का बन्दर बांट नीचे से ऊपर तक किया जाता है।बताया जा रहा है कि इस खेल में डीआईओएस ऑफ़िस के एक बाबू की भूमिका भी संदिग्ध है जो पैसे के एवज़ में यह काला कारनामा कराने की पूरी छूट प्रदान कर अधिकारियों को भी सेट किए रहता है।
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि आख़िर परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगाए जाते इसके अलावा परीक्षा की समाप्ति के बाद जिले में परीक्षा पुस्तिकाओं को जमा करने के लिए स्ट्रांग रूम की व्यवस्था क्यों नहीं कि जाती है।जानकारों की माने तो केंद्र के व्यवस्थापक और प्रधानाचार्य ही अपने पास परीक्षा पुस्तिकाओं को रखते हैं और परीक्षा समाप्ति के कई दिनों तक कापियां लिखाई जाती हैं और उन्हीं के द्वारा विश्वविद्यालय में जमा की जाती है। ऐसे में कैसे नकलविहीन परीक्षा की उम्मीद की जाए.?