फतेहपुर:कर्ज़ में डूबकर किसान की मौत!हत्या या आत्महत्या जिम्मेदार कौन..?
गाजीपुर थाना क्षेत्र के बरुहा गाँव मे बीते रविवार देर रात कर्ज़ के बोझ में दबे एक किसान ने फाँसी लगा अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली..पढ़े दिल को झकझोर देने वाली घटना पर युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट।
फ़तेहपुर: एक ओर सरकारी दावों की आंधी चलती है दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही स्थित बयां कर रही है।किसानों की आय दो गुनी कब और कैसे हो गई यह तो आज तक किसानों को भी पता नहीं चल सका है।अन्यथा वो क्यों थोड़े से कर्ज के चक्कर मे अपनी जान गंवाते।ऐसी मौतों पर आप किसे जिम्मेवार ठहराएंगे सरकार को बैंकों को या उस महाजन को जो किसान द्वारा समय से कर्ज न चुकाने के चलते धमकी देता है कि अपनी बेटी को बेचो या बीबी को मुझे तो पैसे चाहिए।तब यह सवाल अनायास ही खड़ा हो जाता है कि क्यों न इन आत्महत्याओं को सीधे तौर पर हत्या कहा जाए।
मामला गाजीपुर थाना क्षेत्र के बरुहा गाँव का है जहां बीते रविवार देर रात को कर्ज में डूबे किसान कृष्ण चन्द्र शुक्ला (50) ने फांसी लगा आत्महत्या कर ली।स्थानीय ग्रामीणों की माने तो मृतक कृष्ण चन्द्र शुक्ला के ऊपर बैंक और महाजनों का मिलाकर क़रीब दस लाख बकाया हो गया था।जिसके चलते वो काफ़ी दिनों से अवसाद में था इसी के चलते बीते रविवार की रात उसने अपने खेतो में जाकर बबूल के पेड़ में फांसी पर लटकर अपनी जान गंवा दी।किसान के मरने के बाद से पूरा परिवार गहरे सदमे में है।
पहले बेटे की बीमारी फ़िर छोटी बेटी की मौत...
किसान कृष्ण चन्द्र शुक्ला के ऊपर मानो दुखों की बरसात हो रही थी,किसानी में लगातार हो रहे घाटे के बीच क़रीब दो साल पहले छोटे बेटे गोपाल की तबियत अचानक बिगड़ने लगी,डॉक्टरो ने बताया कि गोपाल के दोनों वाल्व खराब हो चुके हैं। गोपाल के इलाज के लिए उसने कई जगह से लाखों रुपए का कर्ज लिया फिर भी गोपाल की जान न बच सकी और क़रीब एक साल तक बीमारी से जूझते हुए उसकी पिछले बरस मौत हो गई।
मृतक किसान कृष्ण चंद्र शुक्ला की मुसीबतें अभी यहीं से खत्म नहीं हुई थी छोटे बेटे गोपाल की मौत से पहले उसकी एक बेटी रचना की भी मौत बीमारी के चलते हो गई थी।
तंगहाली,मुफ़्सली और कर्ज़ के बोछ के बीच कृष्ण चन्द्र शुक्ला लगातार दबता रहा।
बेटी को बेचो या बीवी को..?
कुछ स्थानीय लोगों की माने तो किसान कृष्ण चन्द्र ने जिस महाजन से बेटे व बेटी की बीमारी के लिए कर्ज के तौर पर रूपये लिए थे।वह लगातार पैसे वापस करने के लिए मृतक के ऊपर दबाव बना रहा था उसने अभी कुछ दिनों पहले यहां तक कह दिया कि अपनी बेटी को बेचो या बीबी को मुझे तो पैसे चाहिए। जिसके बाद से वह गहरे सदमे में चला गया और अपनी जान दे दी।
सरकारी मदद के नाम पर कुछ नहीं मिला...
मृतक किसान के बड़े बेटे आशीष ने युगान्तर प्रवाह से बातचीत करते हुए बताया कि भाई व बहन की बीमारी के चलते पिताजी ने कई जगह से कर्ज लिया था जिसको वापस करने के लिए साहूकारों व सरकारी बैंक के कर्मचारियों की तरफ से दबाव बनाया जा रहा था।पर हम लोगो की स्थित खेती में हो रहे घाटे के चलते लगातार बिगड़ती जा रही थी।इसी वजह से पिताजी लगातार मानसिक दबाव में थे और उन्होंने फांसी लगा जान दे दी।बेटे ने बताया कि हमारा परिवार एक कच्ची कोठरी में छप्पर डाल के रह रहा है प्रधानमंत्री आवास व कर्ज़ माफी के लिए पिताजी ऑफिसो का चक्कर काट रहे थे हर तरह से प्रयास किया पर सरकार की तरफ से उन्हें व उनके परिवार को किसी भी तरह का कोई सरकारी लाभ नहीं मिला।
परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे सपा नेता संतोष द्विवेदी ने कहा कि कहाँ है वह प्रधानमंत्री आवास,कर्ज़ माफी,किसान सम्मान निधि योजना व आयुष्मान योजना व किसानों की दुगनी आय जिसको मोदी जी हर भाषणों में कहते हैं।एक किसान कर्ज के बोछ तले दबकर अपनी जान गवां देता है और प्रधानमंत्री किसानों की दुगनी आय होने का झूठा दम्भ भरते हैं।