Katni Mohas Hanuman Mandir: मध्यप्रदेश के कटनी में है एक ऐसा चमत्कारिक हनुमान मन्दिर ! जहां 'राम' नाम जप व बूटी ग्रहण करने से जुड़ जाती है टूटी हड्डियां
हनुमान मंदिर मुहास
हमारे देश में ऐसे कई रहस्यमयी व प्रसिद्ध चमत्कारिक मंदिर (Miraculous Temple) हैं. जिनकी अद्भभुत मान्यता है. इन्हीं में से एक मध्य प्रदेश के कटनी (Katni) जिले के मुहास गांव (Village Muhas) में स्थित एक प्राचीन हनुमान मंदिर है. जहां मान्यता है कि संकटमोचन हनुमान जी स्वयं डॉक्टर बनकर भक्तों की टूटी हुई हड्डियों का इलाज कर उन्हें जोड़ देते हैं. इस मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक भारी संख्या में भक्तों का आना लगा रहता है. भक्त सीता-राम का जप करते हैं यहां आये हुए भक्तो को बूटी खिलायी जाती है. यह मंदिर हड्डी जोड़ने वाले हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
हनुमान जी का कटनी स्थित चमत्कारी मन्दिर
हनुमान जी में अद्भुत शक्तियां हैं, यह तो सभी जानते हैं. त्रेतायुग में रामायण से जुड़े उनके कई चमत्कारी किस्से प्रसंगों में प्रचलित हैं. उनके पूजन में शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है. हमारे देश में कई ऐसे प्राचीन हनुमान मंदिर है जिनकी अद्भुत मान्यता है इन्हीं में से एक प्राचीन हनुमान मंदिर, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कटनी (Katni) जिले के मुहास गांव (Muhas) में है. कहा जाता है कि यहां पर लोग दर्द से कराहते हुए आते हैं और जब यहां से दर्शन करके जब वे लौटते हैं तो मुस्कुराते हुये निकलते हैं. आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए इस प्राचीन चमत्कारिक हनुमान मंदिर के बारे में बताएंगे कि इसकी क्या मान्यता है और इसके पीछे का क्या पौराणिक महत्व है.
बैसाखी, स्ट्रेचर और प्लास्टर बांधे पहुंचते हैं मन्दिर भक्त
मध्य प्रदेश के कटनी जिले के रीठी तहसील के पास एक मुहास गांव है जहां एक प्राचीन हनुमान मंदिर है. आपको इस मंदिर में आने वाले भक्त बैसाखी, व्हील चेयर और स्ट्रेचर या एम्बुलेंस से आते हुए दिखाई देंगे. अब आप सोच रहे होंगे कि मंदिर में आख़िर इस तरह से भक्त क्यों पहुंचते हैं. दरअसल इस मंदिर में ये भक्त इलाज के लिए पहुंचते हैं. यहां के डॉक्टर और कोई नहीं बल्कि स्वयं हनुमान जी हैं. यहां भक्त अपनी टुटी हड्डियों के इलाज के लिए पहुंचते हैं.
टूटी हड्डियां जाती हैं जुड़, मंगलवार-शनिवार विशेष दिन
इस हनुमान मंदिर की ऐसी मान्यता है कि डाक्टर्स और विज्ञान भी हैरान है. दरअसल यहां ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी के दर्शन के बाद एक बूटी औषधि के रूप में जोड़ो के दर्द व टुटी हड्डियों वाले भक्तों को दी जाती है. उसे हनुमानजी के सामने ही खाना होता है. कहते हैं कि इस बूटी के ग्रहण करने से दर्द में राहत और टूटी हुई हड्डियां जल्द जुड़ जाती है और इस बात के कई प्रमाण भी सामने आए हैं. एक्सरे जब लोग डॉक्टर के पास कराने पहुंचते हैं तो हड्डी जुड़ी मिली. तबसे यह मंदिर चर्चा में आ गया. दूर-दूर से भक्तों का आना रहता है.
इस मंदिर में भक्तों की अपार भीड़ सुबह से रात तक उमड़ती है. टूटी हुई हड्डियों के साथ भक्त प्लास्टर बांधकर, व्हीलचेयर व स्ट्रेचर पर आता है, कहते हैं हनुमान जी खुद ही उन मरीजों का इलाज कर देते हैं. खास तौर पर मंगलवार और शनिवार के दिन यहां भारी भीड़ रहती है यह दोनों ही दिन हनुमान जी के हैं और इस दिन जो भी भक्त इस बूटी को ग्रहण करता है उस दिन ये औषधि ज्यादा कारगर साबित होती है. इस बूटी को खिलाने के लिए पुजारी मौजूद रहते हैं.
राम नाम जप और बूटी खिलाई जाती है
बूटी का कोई भी शुल्क नहीं लगता है बल्कि भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार दान पेटी में दान कर देते हैं. मन्दिर आये हुए लोगों को कहना है कि बूटी को खाने के बाद उन्हें काफी आराम भी मिला है. वहीं टुटी हड्डियां जुड़ने वाली बात से चिकित्सक और साइंस भी हैरान है. हनुमान जी के मंदिर को हड्डी जोड़ने वाले हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर में यदि कोई भी भक्त प्रवेश करता है तो सबसे पहले उसे राम-नाम जाप करने की सलाह दी जाती है और फिर पुजारी पीड़ित भक्तों को बूटी खिलाते हैं और साथ ही कुछ बातों और परहेज करने के लिए भी कहा जाता है तत्काल उनसे पूछा भी जाता है कि अब आपको कैसा लग रहा है तो कई लोगों ने यह बताया है कि उन्हें काफी आराम तत्काल ही मिला है.
सिद्ध साधू ने दी थी बूटी
यहां के पुजारी सरमन पटेल बताते हैं उनके पिता अधारी लाल पटेल को कई वर्षों पहले एक घनघोर जंगल में उन्हें एक सिद्ध साधु मिले थे जिन्होंने उन्हें एक बूटी दी थी और कहा कि इसे जनकल्याण और लोगों के भला करने के लिए लगाओ तब उन्होंने सबसे पहले इसका प्रयोग अपनी गाय की हड्डी जोड़ने में किया था, गाय की हड्डियां जब जुड़ गई थी तो उन्होंने हनुमान मंदिर के चबूतरे में बैठकर ये बूटी लोगों को देने लगे जिससे लोगों को काफी लाभ भी मिला. फिर बाद में दूर-दूर से यहां भक्त पहुंचने लगे.