जय अम्बे गौरी आरती लिखित में: Jay Ambe Gauri Arati Likhit Me अंबे माता जी की आरती

जय अंबे गौरी आरती लिखित में

Jay Ambe Gauri Arati Likhit Me: नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए वैसे तो कई आरतियां पढ़ी जाती है. लेकिन सबसे अधिक चर्चित आरती 'जय अम्बे गौरी' है.पढ़ें पूरी आरती. Jay Ambe Gauri Arati In Hindi अंबे माता जी की आरती

जय अम्बे गौरी आरती लिखित में: Jay Ambe Gauri Arati Likhit Me अंबे माता जी की आरती
Jay Ambe Gauri Arati likhi Hui

हाईलाइट्स

  • मां दुर्गा जी की आरती से बनते हैं बिगड़े काम
  • जय अम्बे गौरी आरती मय्या के सौम्य स्वरूप को वर्णित करता है
  • मां दुर्गा की आरती करते समय वाद्य यंत्रों के साथ हांथ से ताली बजाकर करें

दुर्गा जी की आरती Jay Ambe Gauri Arati

जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥ओम जय अंबे गौरी

मांग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्जवल से दो‌उ नैना, चन्द्रवदन नीको॥

ओम जय अंबे गौरी (अंबे माता जी की आरती)

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥

ओम जय अंबे गौरी Jay Ambe Gauri Arati

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केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी। सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥

ओम जय अंबे गौरी (अंबे माता जी की आरती)

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कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥

ओम जय अंबे गौरी Durga Ji ki arati

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शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥

ओम जय अंबे गौरी (अंबे माता जी की आरती)

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ओम जय अंबे गौरी Jay Ambe Gauri Arati

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी। आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥

ओम जय अंबे गौरी jay ambe gauri maiya jay shyama gauri

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूं। बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥

ओम जय अंबे गौरी (अंबे माता जी की आरती)

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्‍तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥

ओम जय अंबे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी। मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥

ओम जय अंबे गौरी (अंबे माता जी की आरती)

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥

ओम जय अंबे गौरी (अंबे माता जी की आरती)

श्री अम्बेजी की आरती, जो को‌ई नर गावै। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥

ओम जय अंबे गौरी, ओम जय अंबे गौरी (अंबे माता जी की आरती)

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