Navratri 1st Day: माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों के प्रथम स्वरूप के करें दर्शन ! वाराणसी में है यूपी का एकमात्र माता शैलपुत्री का मन्दिर
Shailputri Temple In Varanasi: शारदीय नवरात्रि को लेकर प्रथम दिन देवी मन्दिरों में जय माता दी के जयकारों के साथ देर रात से ही देश के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है. माता के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है, यह नवरात्रि माँ की भक्ति और साधना के दिन हैं. प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है, वाराणसी की काशी नगरी में अलईपुर में माता शेलपुत्री का प्राचीन और दिव्य मन्दिर हैं, यहां वैसे तो भक्तों की भीड़ रहती है है, लेकिन नवरात्रि के दिनों में भक्तों का सैलाब उमड़ता गया
हाईलाइट्स
- शारदीय नवरात्रि में माता शैलपुत्री के करें दर्शन, प्रथम दिन माता की होती है पूजा
- यूपी का एकमात्र शैलपुत्री मन्दिर काशी के अलइपुर में, दर्शन से भक्तो की होती है मनोकामना पूरी
- सुहागिन महिलाओं और शादीशुदा जोड़ों को दर्शन करने चाहिए, होती है मनोकामना पूर्ण
Visit Mata Shailputri on the first day of Shardiya Navratri : शारदीय नवरात्रि के पावन 9 दिन वाला पर्व प्रारम्भ शुरू हो रहा है, प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भक्तो का पहुंचना शुरू हो गया है. जय माता दी के जयकारों की गूंज समस्त देवी मंदिरों में गूंजने लगी है. काशी नगरी में दिव्य,प्रसिद्घ माता के 9 स्वरूपों में प्रथम स्वरूप माँ शेलपुत्री माता का मन्दिर है. चलिए बताते है इस देवी मंदिर का पौराणिक महत्व, क्या है मान्यता और क्या कथा इसके पीछे प्रचलित है.
प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री के करें दर्शन
शारदीय नवरात्रि शुरू होने जा रहे हैं, दुर्गा माता के 9 स्वरूपों के पूजन का विशेष महत्व है, काशी नगरी वाराणसी में माता दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री का प्रसिद्ध और दिव्य मन्दिर है, जिसकी अद्भुत मान्यता है, माता शैलपुत्री का प्रथम दिन पूजन किया जाता है, सुबह से ही देवी मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है. यह 9 दिन भक्ति और साधना के लिए महत्वपूर्ण हैं, व्रत,पूजन का विशेष महत्व है. अलईपुर स्थित यह माता शैलपुत्री का दिव्य मन्दिर अपने आप में अद्भुत है.
माँ के दर्शन से होती है मनोकामना पूर्ण
आमतौर पर हर दिन यहां दर्शन के लिए भीड़ उमड़ती है, लेकिन नवरात्रि में भक्तों का हुजूम दर्शन के लिए देर रात से ही उमड़ पड़ता है. इस मन्दिर की मान्यता की बात करें तो सुहागिन महिलाओं को यहां दर्शन करना चाहिये, शादीशुदा जोड़ो को माता के समक्ष आकर दर्शन करना चाहिए, इससे उनके वैवाहिक कष्टों का निवारण होता है. इसके साथ ही विधि विधान से व्रत पूजन करने से माता प्रसन्न होती है, अपने भक्तों पर कृपा करती हैं.
शैलपुत्री माता को वृषारूढ़ा भी कहा जाता है
माँ के मन्दिर में नवरात्रि पर देर रात से भक्तो की भीड़ उमड़ पड़ती है, इस मंदिर में तीन बार आरती होती है, माँ को चढ़ावे में नारियल और सुहाग का सामान चढ़ाया जाता है. शैलपुत्री माता सदैव बैल पर विराजमान होती हैं. यही कारण है कि इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है.
एक कथा भी है प्रचलित
माँ शैलपुत्री ही माता सती है और फिर माता पार्वती वाराणसी के मां शैलपुत्री के इस प्राचीन मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है. वाराणसी में माता शैलपुत्री के इस मंदिर की अपने आप में अद्भुत मान्यता है, इसके पीछे जो कथा प्रचलित है, ऐसा कहा जाता है कि मां पार्वती ने शैलराज हिमवान के घर जन्म लिया और शैलपुत्री के नाम से जानी गईं, ऐसा भी आया है कि जब माता किसी बात पर भगवान शिव से नाराज हुई और कैलाश से काशी पहुंच गईं.
फिर भोलेनाथ भी माता को मनाने पहुंच गए, माता ने महादेव से आग्रह करते हुए कहा कि यह स्थान उन्हें बहुत प्रिय है और वह वहां से जाना नहीं चाहती जिसके बाद से माता यहीं विराजमान हो गयी. जो शैलपुत्री के नाम से प्रसिद्ध हैं. दुर्गा जी का पहला स्वरूप शैलपुत्री है. प्रथम दिन इन्हीं माता के पूजन का महत्व है.