Uttarakhand News: उत्तराखंड के 4 जिलों में 17 जगहों के बदले नाम ! औरंगजेबपुर से बना शिवाजी नगर
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उत्तराखंड (Uttarakhand) में 17 जगहों के नाम बदलकर भाजपा सरकार ने हिंदुत्व और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने का संदेश दिया, लेकिन विपक्ष इसे विकास से भटकाने की साजिश बता रहा है. जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया है कुछ इसे गौरवपूर्ण बदलाव मान रहे हैं, तो कुछ इसे सिर्फ चुनावी हथकंडा कह रहे हैं.

Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य के चार जिलों—हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में 17 स्थानों के नाम बदलने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बदलाव को भारतीय संस्कृति और जनभावना के अनुरूप बताया, जबकि विपक्ष ने इसे सरकार की नाकामी छुपाने का प्रयास करार दिया है.
हरिद्वार जिले में 8 जगहों के नाम बदले
हरिद्वार जिले में निम्नलिखित स्थानों के नाम बदल दिए गए हैं:
- औरंगजेबपुर → शिवाजी नगर
- गाजीवाली → आर्यनगर
- चांदपुर → ज्योतिबा फुले नगर
- मोहम्मदपुर जट → मोहनपुर जट
- खानपुर कुर्सली → अंबेडकर नगर
- इदरीशपुर → नंदपुर
- खानपुर → श्रीकृष्णपुर
- अकबरपुर फाजलपुर → विजयनगर
देहरादून में 4 जगहों को नया नाम मिला
देहरादून जिले में चार स्थानों का नाम बदला गया है:
- मियांवाला (देहरादून नगर निगम ब्लॉक) → रामजीवाला
- पीरवाला (विकासनगर ब्लॉक) → केसरी नगर
- चांदपुर खुर्द (विकासनगर) → पृथ्वीराज नगर
- अब्दुल्लापुर (सहसपुर ब्लॉक) → दक्षनगर
नैनीताल और उधमसिंह नगर में भी बदलाव
- नवाबी रोड (नैनीताल) → अटल मार्ग
- पनचक्की से आईआईटी मार्ग → गुरु गोलवलकर मार्ग
- नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी (उधमसिंह नगर) → कौशल्या पुरी
सीएम धामी ने दिया बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, यह बदलाव केवल नामों का नहीं, बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति और विरासत को सम्मान देने का एक प्रयास है. यह महापुरुषों से प्रेरणा लेने और उनके योगदान को याद रखने का एक जरिया है.
कांग्रेस ने उठाए सवाल
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाने की रणनीति बताया. कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा, भाजपा के पास कोई वास्तविक विकास कार्य दिखाने को नहीं है, इसलिए वे नाम बदलने का नाटक कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रिया
सरकार के इस फैसले पर सोशल मीडिया पर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कुछ लोग इसे भारतीय संस्कृति के सम्मान में उठाया गया कदम बता रहे हैं, तो कुछ इसे केवल चुनावी एजेंडा मान रहे हैं.