यूपीएससी में सामान्य वर्ग की आयु कम करने पर विपक्ष का वार-भविष्य बर्बाद करने वाले का वर्तमान खराब कर दे युवा।
सिविल सर्विसेज की परीक्षा को लेकर नीति आयोग ने एक व्यापक रणनीति बनाने की हिमाकत की है।इस सिफारिश के तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की आयु 32 वर्ष से 27 वर्ष करने की बात कही गई है।आम चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला कहीं भाजपा के लिए ताबूत की कील न साबित हो जाए..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट...
फ़तेहपुर:पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी भाजपा ने सबक नहीं लिया और सामान्य वर्ग को निराश करने की एक नई हिमाकत कर डाली।विधानसभा चुनाव से पहले एससीएसटी और किसानों की समस्याओं के मद्दे ने जहां तीन राज्यों में भाजपा सरकार की नींव हिलाकर उन्हें मूकी खाने पर मजबूर कर दिया वहीं नीति आयोग द्वारा सिविल सर्विसेज में सामान्य वर्ग की आयु घटाकर देश में एक नई बहश छेड़ दी है।
क्या है नीति आयोग की सिफारिश..?
नीति आयोग ने अपनी सिफारिश में न्यू इंडिया के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की है इसमें सिविल सर्विसेज की परीक्षा से लेकर बुनियादी शिक्षा में भी कई बदलाव करने की बात कही गई है। साथ ही नीति आयोग ने सिविल सर्विसेज के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु कम करने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है कि सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं में हिस्सा लेने वाले सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की वर्तमान अधिकतम आयु 32 से घटाकर 27 साल कर दी जानी चाहिए।साथ ही आयोग ने इसे 2022-23 तक लागू करने की सिफारिश की है।नीति आयोग की रिपोर्ट 'स्ट्रैटेजी फॉर न्यू इंडिया @75' में सुझाव दिया गया है कि सभी सिविल सेवाओं के लिए केवल एक ही परीक्षा ली जानी चाहिए।
विपक्ष ने भाजपा पर साधा निशाना..
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और विमर्श के संयोजक संतोष द्विवेदी ने युगान्तर प्रवाह से ख़ास बातचीत करते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा दुराग्रह पूर्ण भावना के तहत यह निर्णय लिया गया है जिसमें जातीय विद्वेष का जहर परिलक्षित हो रहा है।उन्होंने कहा कि भारत का युवा ही इनकी साजिस का पर्दाफाश करेगा।और जिन नौजवानों का भविष्य मोदी सरकार ने बर्बाद किया है वहीं इनका आने वाले समय में वर्तमान ख़राब कर देंगे।