राजनीति:कमलनाथ के दांव से बीजेपी के मंसूबों पर फ़िरा पानी..!
मध्यप्रदेश विधानसभा 26 मार्च तक के लिए स्थगित हो गई है।और इसी के साथ सोमवार को होने वाला फ्लोर टेस्ट भी फ़िलहाल के लिए टल गया है..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट।
भोपाल:राजनीति में हर दांव महत्वपूर्ण होता है।बीते कुछ दिनों से मध्यप्रदेश में उठा सियासी तूफ़ान फ़िलहाल के लिए थम गया है।सोमवार को मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू हुआ लेक़िन राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सत्र को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
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सोमवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना था।जिसमें राज्य की मौजूदा कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करना था।लेक़िन सत्र स्थगित होने के साथ ही फ़िलहाल के लिए फ्लोर टेस्ट भी स्थगित हो गया है।
सोमवार को ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पत्र लिखकर राज्यपाल लालजी टंडन को फ़्लोर टेस्ट नहीं कराए जाने की मांग की है।
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कमलनाथ ने अपने पत्र में लिखा, "मैं आपको स्मरण कराना चाहूंगा कि दिनांक 13 मार्च, 2020 को जब मैं आपसे मिला था तब मैंने आपको अवगत कराया था कि बीजेपी द्वारा कांग्रेस पार्टी के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखकर उन्हें विभिन्न प्रकार का बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।"
"मैंने यह स्पष्ट किया था कि ऐसी परिस्थितियों में विधानसभा में किसी भी फ़्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं होगा।और ऐसा करना पूर्ण रूप से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा।फ़्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पूर्ण रूप से दबावमुक्त हों।"
"हमारे मत में राज्यपाल और विधानसभा के बीच का संबंध संदेश भेजने के मामले में उसी हद तक सीमित है जिस हद तक मंत्रीपरिषद उचित समझे। वास्तव में हम इसके अलावा कोई अन्य निष्कर्ष निकाल ही नहीं सकते क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 175 सह पठित अनुच्छेद 163 (1) स्पष्ट रूप से यह प्रावधानित नहीं करता है कि राज्यपाल उपरोक्त शक्तियां अपने विवेकाधिकार से कर सकेंगे।"
"ऐसी स्थिति में हमें इस निष्कर्ष तक पहुंचने में कोई शंका नहीं है कि राज्यपाल द्वारा विधानसभा को भेजे जाने वाले संदेश मंत्रीपरिषद द्वारा दिए गए सलाह के अनुरूप ही होंगे। विधानसभा अध्यक्ष के कार्य में हस्तक्षेप करना राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।"