Akbarpur Loksabha Devendra Singh Bhole: बीजेपी ने अनुभव को दी प्राथमिकता ! जानिए कौन हैं देवेंद्र सिंह भोले, जिन्हें अकबरपुर लोकसभा से तीसरी दफा बनाया गया प्रत्याशी
Kanpur Dehat News
बीजेपी (Bjp) ने लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. अकबपरपुर लोकसभा (Akbarpur Loksabha) से कयास लगाए जा रहे थे कि अबकी दफा नया चेहरा सामने आएगा. कई दावेदारों का नाम चल रहा था. ऐसी सभी अटकलों पर विराम लग गया. वो कहते है न अनुभव और तज़ुर्र्बा बहुत काम आता है जिसे यहां प्राथमिकता दी गयी. आख़िरकार देवेंद्र सिंह भोले (Devendra Singh Bhole) पर तीसरी दफा पार्टी ने भरोसा जताकर एकबार फिर टिकट दिया है.
तीसरी दफा देवेंद्र सिंह भोले को टिकट
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश की 51 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. अकबरपुर लोकसभा से कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार पार्टी किसी नए चेहरे पर विचार कर सकती है. लेकिन पार्टी ने फिर से एक बार तजुर्बा और अनुभव को प्राथमिकता दी और तीसरी दफ़ा देवेंद्र सिंह भोले को फिर से टिकट देकर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया. पार्टी की नजर में देवेंद्र सिंह भोले काफी पुराना और क्षेत्र का प्रसिद्ध चेहरा है और क्षेत्र में उनकी सक्रियता व लोकप्रियता काफी है. इन सभी बातों को समझते हुए उनपर पार्टी ने तीसरी दफा भरोसा जताया है.
कौन हैं देवेंद्र सिंह भोले?
अकबरपुर लोकसभा से दो बार से बीजेपी सांसद देवेंद्र भोले और अब तीसरी दफा उन्हें इसी लोकसभा के लिए टिकट दिया गया है. भोले का जन्म वर्ष 1954 में मधवापुर गांव इटावा जिले में हुआ था. वर्तमान में यह गांव औरैया जिले में आता है. 1988-1992 तक झींझक में भोले ब्लॉक प्रमुख रहे. फिर बीजेपी से डेरापुर विधानसभा क्षेत्र से 1991 में चुनाव लड़े थे और जीते. 1996 में वे विधानसभा पहुंचे जहां वे स्वास्थ्य राज्य मंत्री बने. अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र काफी बड़ा है. आपको बताते चले इस सीट पर कई दावेदार अपनी दावेदारी ठोंक रहे थे.
दो बार से इसी संसदीय सीट से हैं सांसद
सूत्रों की माने तो युवा चेहरा अभिजीत सिंह सांगा का नाम तेजी से उठ रहा था, लेकिन देवेंद्र सिंह भोले सब पर भारी पड़ते हुए नजर आए. आखिरकार एक बार फिर से लोकसभा का टिकट पाने में भोले सफल हुए. भोले यहां से 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. आरएसएस से शुरुआत से भोले का जुड़ाव रहा है. खास तौर पर वह यह भी बताया जा रहा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के काफी करीबी माने जाते हैं.
देवेंद्र सिंह भोले लगातार लोकसभा टिकट को लेकर मंच पर कई दफा आश्वस्त भी दिखाई दिये. उन्होंने कई बार कहा पार्टी मुझे टिकट मेरे काम को देखकर देगी और टिकट का ऐलान होने के बाद वे खुश हैं. एलान होते ही भोले आनंदेश्वर और पनकी मन्दिर मत्था टेकने पहुंच गए. जहाँ प्रभू के दर्शन कर आशीर्वाद लिया.
राजनीतिक सफर है ऐसा
बात की जाए देवेंद्र सिंह भोले की तो उनका राजनीतिक सफर कुछ इस तरह का है. वे किसान के घर से भी आते हैं. 1991 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा पहली बार भाजपा की टिकट पर देवेंद्र सिंह भोले ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद वह 1996 में विधानसभा पहुंचे जहां वह स्वास्थ्य राज्य मंत्री भी रहे. वर्ष 2014 मोदी लहर में उन्हें फिर से टिकट मिला और उन्हें यह टिकट अकबरपुर लोकसभा से दिया गया. यहां पर उन्होंने बसपा प्रत्याशी अनिल शुक्ला वारसी को हराकर जीत दर्ज की थी.
फिर पार्टी ने 2019 में इन पर भरोसा जताया यहां पर भी देवेंद्र सिंह भोले ने बसपा की निशा सचान को बंपर वोटो से हराकर जीत दर्ज की और एक बार फिर से पार्टी ने तीसरी दफा इन पर भरोसा जताया है. दरअसल क्षत्रिय कार्ड को देखते हुए बीजेपी ने कहीं न कहीं फिर इन पर भरोसा जताया है. क्षेत्र में सक्रियता और लोकप्रियता के चलते ही इन्हें टिकट दिया गया. यदि इनकी जगह किसी और चेहरे को टिकट मिलता तो कहीं न कहीं आपसी मनमुटाव की संभावना थी जो बीजेपी नहीं चाहती इसलिए पुराने और अनुभवी चेहरे को ही प्रत्याशी बनाया है.