Eid-Ul-Fitr Ka Matlab Kya Hai: ईद क्यों मनाई जाती है? त्याग और समर्पण से क्यों जोड़ा जाता है
पवित्र रमजान माह (Holy Month of Ramadan) अंतिम पड़ाव पर है और शव्वाल (Shavval) की पहली तारीख ईद-उल-फितर (Id-ul-fitra) के रूप में मनाया जाता है. मुस्लिम धर्म मे ईद का पर्व, आपसी भाईचारे, प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. चांद नजर आते ही ईद के पर्व का ऐलान किया जाता है. इस बार 11 अप्रैल को ईद का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन सुबह की नमाज पढ़कर लोग घर में मिष्ठान, सेवइयां बनाते हैं इसके साथ ही एक दूसरे को गले मिलकर ईद की बधाइयां भी देते हैं. चलिए इस आर्टिकल के जरिए आपको बताएंगे ईद क्यों मनाई जाती है.
शव्वाल की पहली तारीख को मनाई जाती है ईद
रमजान (Ramadan) का पवित्र महीना अंतिम पड़ाव (The Last Stop) पर है. रमजान में इस्लाम धर्म के लोग अल्लाह की इबादत करते हैं. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान का नवां महीना बहुत पवित्र (Holy Month) माना गया है. दसवें महीने के शव्वाल के चांद वाली रात ईद (Eid) की रात कही जाती है इस ईद को मीठी ईद (Mithi eid) भी बोला जाता है, तो वही ईद-उल-फितर भी कहा जाता है. इस बार ईद-उल-फितर (Eid-ul-Fitr) का पर्व 11 अप्रैल को मनाया जाएगा यानी 10 अप्रैल की रात को चांद देखने के बाद ईद का ऐलान कर दिया जाएगा.
मुस्लिम धर्म में ईद का पर्व खुशी का प्रतीक माना गया है. इसके साथ ही आपसी भाईचारे व सौहार्दपूर्ण तरीके से इस्लाम धर्म के लोग ईद मनाते हैं ईद का पावन पर्व त्याग और समर्पण का भी प्रतीक है. सऊदी अरब समेत कुछ देशो में 10 अप्रैल को तो भारत में 11 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी. भारत मे रमजान का माह सऊदी से एक दिन बाद शुरू हुआ माना जाता है.
अल्लाह की इबादत करने वाला पवित्र महीना
रमजान का महीना जो इस्लाम धर्म में सबसे पाक और पवित्र महीना (Holy Month Of Ramadan) माना जाता है इसमें लोग रोजे रखते हैं और लोग अल्लाह की इबादत (Worship Of Allah) करते हैं. यही नहीं परवरदिगार का शुक्रिया भी करते है कि आपने इतने दिन रोजे रखने की आपने ताकत (Power) दी जिसे हम कर पाए. इसके साथ ही इस माह में रोजे रखने को फर्ज नाम से भी जाना जाता है. रमजान के आखिरी दिन दसवें महीने के शव्वाल की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है.
ईद-उल-फितर भी कहा जाता है
रमजान के अंतिम दिन अल्लाह (Allah) एक दिन अपने बंदों को बख्शीश और इनाम देते हैं, जिसे ईद और ईद-उल-फितर भी कहते हैं. ईद में जकात के रूप में जरूरतमंदों को दान दिया जाता हैं. जकात का अर्थ है किसी जरूरतमंद को दान देना. यह दान दो किलोग्राम कोई भी प्रतिदिन खाने की चीज़ का हो सकता है, जैसे आटा, या फिर उन दो किलोग्रामों का मूल्य भी, यह ज़कात ईद की नमाज़ से पहले ग़रीबों में बाँटा जाता है.
क्यों मनाई जाती है ईद?
इस्लाम धर्म में पहली बार ईद-उल-फितर पैगंबर मोहम्मद (Paigambar Mohammad) जंग-ए-बदर के रूप में मनाया गया था. तब से यह परंपरा ईद मनाने की चली आ रही है. सन् 624 ईस्वी में पैगंबर हजरत मोहम्मद ने निहत्थी सेना के साथ बद्र के युद्ध में जीत हासिल की थी. उनके साथ निहत्थे लोग थे फिर भी वह जीते. विजयी होने की खुशी में इस दिन को ईद के त्योहार के रूप में याद करते हुए खुशियां मनाई जाती है. इस जीत के बाद एकदूसरे को मिठाईयां खिलाई गई तबसे इसे मीठी ईद भी कहा जाने लगा.
वैसे ईद एक अरबी शब्द है जिसे खुशी के पर्व के रूप में जाना जाता है. यानि वह खुशी का दिन जो बार-बार आए. इसके अलावा, ईद को प्रेम का त्योहार भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन सभी गिले शिकवे भुलाकर नमाज में नमाज़ी सभी की सलामती की दुआएं करते है. सभी मुस्लिम लोग आपस में गले मिलते हैं और अपनी सारी नाराजगी दूर करते हैं. ईद के दिन सुबह इस्लाम धर्म के लोग स्नान कर मस्जिदों में सुबह की नमाज अदा करने से पहले जकात देते हैं.
विशेष पकवान बनाये जाते हैं
ईद खुशियों का पर्व है इस दिन मुस्लिम धर्म के लोग नए कपड़े पहनते हैं इत्र लगाकर पुरुष मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ते हैं और आपसी सौहार्द व भाईचारे को लेकर दुआएं भी करते हैं. इसके साथ ही घरों में विशेष प्रकार के पकवान भी बनाए जाते हैं. जिसमें ईद में खासतौर पर मीठी सेवइयां (Sweet Sevai) जिसे सभी पसंद करते हैं इसके साथ ही अन्य पकवान भी इस दिन बनाए जाते हैं. सेवइयां इसलिए क्योंकि रिश्तों में मिठास बनी रहे. इस दिन मुस्लिम लोग अपने रिश्तेदारो को दावत पर आमंत्रित करते हैं. बच्चों को ईदी देते हैं और ईद की बधाई भी देते हैं.