Who is Sonam Wangchuk: कौन हैं सोनम वांगचुक ! जिनके Pashmina March से डरी सरकार, Leh में धारा 144 लागू
सोनम वांगचुक
पर्यावरणविद् व क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने लेह से चीन बॉर्डर (China Border) तक गांधी जी के दांडी मार्च की तर्ज पर पशमीना मार्च (Paschmina March) निकालने का ऐलान कर दिया है. वांगचुक के इस आंदोलन की खबर लगते ही सरकार की नींद उड़ गई है. वांगचुक ने 7 अप्रैल से इस यात्रा को शुरू करने का आव्हान किया है. जिसके बाद केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (Laddakh) में प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी गई है.
सोनम वांगचुक के पशमीना मार्च पर उड़ी प्रशासन की नींद
पर्यावरणविद सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) 21 दिन के अपने भूख हड़ताल, जलवायु उपवास आंदोलन को लेकर चर्चाओं में रहे. जहां उनकी मांग थी कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (Laddakh) को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. इस आंदोलन में भारी संख्या में युवाओ और महिलाओं ने हिस्सा लिया था.
इस अनशन के बाद 10 दिन का अनशन महिलाओ ने किया था. वांगचुक ने खुद बताया कि हमारे इस अनशन में धूप हो या छांव या ठंड शांतिपूर्ण ढंग से अनशन (Anshan) किया जा रहा है. सरकार को अपने किये हुए वादों को याद दिला रहे हैं. शायद अब सरकार इस मार्च को रोकना चाहती है.
पशमीना मार्च पर प्रशासन ने धारा 144 की लागू
7 अप्रैल से गांधी जी की दांडी यात्रा की तर्ज पर लेह से 300 किलोमीटर चीनी बार्डर तक यह शांतिपूर्ण मार्च निकालने का आव्हान किया. लगता है यह सरकार को रास नहीं आया. वांगचुक के इस फैसले के बाद सरकार की हवाइयां उड़ गई, यहां का प्रशासन जबरदस्ती करने लगा, गांवों से गाड़ियों को रोककर, थाने बुलाया जा रहा है. और लद्दाख प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में धारा 144 लागू कर दी यही नहीं इंटरनेट की सेवाएं भी स्लो कर दी गई है. उधर लाउड स्पीकर और 5 से ज्यादा लोगों के एकजुट होने पर भी रोक लगा दी है. शांतिपूर्ण ढंग से अनशन किया जा रहा है उसके बावजूद भी लोगों पकड़ कर थाने क्यों ले जाया जा रहा है.
चीन अतिक्रमण करता जा रहा
सोनम वांगचुक का आरोप है कि पशमीना मार्च के मद्देनजर लद्दाख को वारजोन (Warzone) बना दिया गया है. ज्यादातर चीनी सेना ने कब्जा कर लिया है जहां पर भारतीय चरवाहों को जाने में पहले ही रोक दिया जाता है. पिछले कुछ सालों से चीन लगातार यहां पर अतिक्रमण पर अतिक्रमण करता आ रहा है और उसने काफी जमीन पर कब्जा भी कर लिया है. हम सरकार को याद दिलाने के लिए ये शांतिपूर्ण ढंग से मार्च निकाल रहे हैं. शायद ये लोग चाहते नहीं है कि यह मार्च निकले.
क्या है पशमीना मार्च?
पहले तो आपको बता दें कि पशमीना क्या है पशमीना पहाड़ी बकरियों यानी भेड़ो से मिलता है यह एक प्रकार का ऊन है. ठंडी जगहों पर पशमीना का चलन है, शॉल भी पश्मीना की बेहद प्रसिद्ध है. क्योंकि यह काफी गर्म होती है. इसका कारोबार लद्दाख और करगिल के लोगों का रोजगार का साधन है. लड़ाई इस बात की है कि ज्यादातर चरागाहों पर चीन का कब्जा होता जा रहा है. आरोप है सरकार चीन से इसे वापस नहीं ले रही है. जिस वजह से लद्दाख के लोग अपनी भेड़ों को चारागाह नहीं भेज पा रहे. जिसके बाद वांगचुक ने ये गांधीवादी रास्ता अपनाया है.
पशमीना मार्च की बात करें तो महात्मा गांधी के ऐतिहासिक दांडी नमक यात्रा से प्रेरित होकर, सोनम वांगचुक ने पशमीना मार्च का एलान किया है. दरअसल लद्दाख के चारागाह क्षेत्रों में गलत तरह से चीनी घुसपैठ के विरोध में और ईको के लिए नाजुक क्षेत्र में जमीनी हकीकत को उजागर करने के लिए यह मार्च किया जाता है.
कौन हैं सोनम वांगचुक?
क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के निदेशक हैं. इनका जन्म 1966 में हुआ था. इनका नाम तब चर्चा में आया जब साल 2009 में आई राजकुमार हिरानी की ब्लॉक बस्टर सुपर हिट मूवी '3 इडियट' (3 Idiots) में एक्टर आमिर खान ने फुंसुक वांगड़ू का करेक्टर वांगचुक के किरदार के इर्द गिर्द प्ले किया. उन्हें वर्ष 2018 में मैगसेसे पुरस्कार मिल चुका है. वांगचुक को SECMOL परिसर को डिजाइन किया इसका काम यह है कि ये सौर ऊर्जा पर चलता है और खाना पकाने, प्रकाश या हीटिंग के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करता है.