Veer Savarkar jayanti: सावरकर को लेकर क्यों रहा है विवाद

28 मई को वीर सावरकर की जयंती है।इस अवसर पर आइए जानतें हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में. Veer savarakar birthday anniversary

Veer Savarkar jayanti: सावरकर को लेकर क्यों रहा है विवाद
Veer savarkar jayanti

Veer Savarkar: भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे वीर सावरकर की जयंती शुक्रवार को मनाई जा रही है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई बड़े नेताओं ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।

मुंबई में 28 मई 1883 को जन्मे विनायक दामोदर सावरकर क्रांतिकारी होने के साथ-साथ लेखक, वकील और हिंदुत्व की विचारधारा के बड़े समर्थक थे।स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने सावरकर को कालापानी की सजा दी थी।सावरकर का निधन 1966 में 26 फरवरी को हुआ था। Savarakar biography

सावरकर को लेकर विवाद क्यों..

सावरकर को लेकर शुरू से ही विवाद है।उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से ज्यादा कट्टरवादी हिन्दू नेता के रूप में जाना जाता है।साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के छठवें दिन विनायक दामोदर सावरकर को गाँधी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के लिए मुंबई से गिरफ़्तार कर लिया गया था। हाँलाकि उन्हें फ़रवरी 1949 में बरी कर दिया गया था।लेकिन गाँधी की हत्या में शामिल होने का शक हमेशा से उनके ऊपर बना रहा है।

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सबसे ख़ास बात यह भी है कि सावरकर कभी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ के सदस्य नहीं रहे लेकिन फिर भी उनका नाम संघ परिवार में बहुत इज़्ज़त और सम्मान के साथ लिया जाता है। savarakar biography full information veer savarkar birthday anniversary

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वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने तत्कालीन राष्ट्पति केआर नारायणन के पास सावरकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' देने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया था।

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2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से एक बार फ़िर से सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठती रही है।

पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने एक भाषण में वीर विनायक दामोदर सावरकर को कुछ इस तरह परिभाषित किया था, 'सावरकर एक व्यक्ति नहीं हैं, एक विचार हैं।वो एक चिंगारी नहीं हैं, एक अंगार हैं।वो सीमित नहीं हैं, एक विस्तार हैं।'

प्रख्यात ब्रिटिश-भारतीय अर्थशास्त्री लॉर्ड मेघनाद देसाई लिखते हैं कि जब नेहरू आजाद भारत के प्रधानमंत्री बनें तो यह समय उनके लिए आसान नहीं था। विश्व के बराबर भारत को खड़ा करने की चुनौती, सबसे बड़ी थी।तो नेहरू ने इस चुनौती का सामना कैसे किया?

आश्चर्य जनक ढंग से इस सवाल का जवाब वीर सावरकर ही मिलेगा। आजादी के बाद वाले भारत में पं. नेहरू ने सावरकर का दिखाया रास्ता अपनाया और गांधी (महात्मा) को भी परे रखते हुए यूरोपीय तौर-तरीकों के साथ आधुनिक भारत का निर्माण किया।

भले ही आज सावरकर के जीवन को लेकर कुछ चीजें विवादस्पद रहीं हों लेकिन यह कभी नहीं भुलाया जा सकता है कि सावरकर भारत के प्रथम पंक्ति में खड़े स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक थे।

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