Shesh Narayan Singh: कोरोनो वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह।
देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है।रोज़ लाखों की संख्या में लोग इससे संक्रमित हो रहे हैं। और बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं।रोहित सरदाना के बाद वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह का भी निधन हो गया।पढ़ें युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट(Shesh Narayan Singh Journalist)
Shesh Narayan Singh: देश में बढ़ते कोरोना को लेकर स्थितियां अस्त व्यस्त हो गईं हैं।नेता अभिनेता डॉक्टर अधिकारियों सहित पत्रकार भी इससे अछूते नहीं रहे।कोरोना(Corona Virus)के इस नए बदलाव ने जीव के अंदर से जीवन को निकाल लिया है।भारत मे लग रही वैक्सीन भी पूरी तरह से प्रभावी नहीं दिख रही है।कोविड वैक्सीन की दोनों लेने के बाद भी शुक्रवार को वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह(Shesh Narayan Singh Journalistका निधन हो गया।मीडिया जगह में उनके निधन से भारी शोक व्याप्त है।
जानकारी के अनुसार नोयडा के GIMS अस्पताल में उनका इलाज़ चल रहा था।बीते दिन उन्हें प्लाज्मा थैरेपी दी गई थी।लेकिन अधिक संक्रमण होने के कारण शुक्रवार सुबह उनका निधन हो गया। मूलरूप से उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh)के सुल्तानपुर(Sultanpur)के रहने वाले शेष नारायण ने हमेशा मूल्यों की पत्रकारिता की थी।अक्सर उन्हें टीवी डिबेट में भी देखा जाता रहा है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Narendra Modi)उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh)के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath)अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav)सहित बड़ी संख्या में लोगों ने श्रद्धांजलि दी है।
देश के जानी मानी मीडिया वेबसाइट भड़ास के संपादक यशवंत लिखते हैं कि कल रात इत्मीनान से सोया। नोयडा के पुलिस कमिश्नर आलोक जी ने जानकारी दी कि शेष भैया के लिए प्लाज़्मा की अतिरिक्त व्यवस्था भी लोकल स्तर पर कर ली गई है, ज़रूरत पड़ने पर इस्तेमाल होगा। मन को संतोष हुआ। अब ठीक होकर लौटेंगे शेष भैया।
सुबह आँख खुली तो आलोक जी के मैसेज से ही पता चला शेष सर नहीं रहे। उन्होंने जानकारी दी कि बिटिया टिनी भी पॉज़िटिव हैं। उन्हें उचित इलाज दिलाया जा रहा है। शेष जी का अंतिम संस्कार यहीं नोयडा में किया जाएगा।
भड़ास जब शुरू किया था तो जिन कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने इस प्रयोग को जमकर सराहा और इस मंच के ज़रिए अपनी बात रखी, उनमें शेष जी भी थे। वे भड़ास पर रेगुलर लिखते थे। प्रोत्साहित करने और गाइड करने का काम भी लगातार करते रहते।
उन अकेलेपन और घनघोर संघर्ष के दिनों में शेष जी बड़े भाई और संरक्षक की तरह मुट्ठी बांध कर मेरे साथ खड़े रहते। पत्नी और बच्चों की भी चिंता करते क्योंकि उन्हें मेरी फ़ितरत पता थी। किसी की परवाह न करना। खुद में मगन रहना। वे मुझे घर परिवार का ध्यान रखने, परिजनों के प्रति संवेदनशील रहने के लिए प्रेरित करते। उन्हें दिल से बड़ा भाई मान लिया था।