कोरोना वायरस:चीन और अमेरिका एक दूसरे पर साध रहे निशाना..कौन सी चर्चाएं हो रहीं हैं..जानें..!
कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच पूरे विश्व में कई तरह की चर्चाएं हो रहीं हैं..चीन से फैले इस वायरस को लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर क्या कुछ कहा जा रहा है..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट।
डेस्क:पूरा विश्व इस समय कोरोना वायरस को लेकर चिंतित है।लगातार कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अलर्ट घोषित किया गया है।भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 83 हो गई है।भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2 हो गई है। (corona virus bilogical weapon)
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चीन और अमेरिका एक दूसरे पर साध रहे निशाना..
कोरोना को लेकर इस समय कई तरह की चर्चाएं हो रहीं हैं।कुछ लोग इसे चीन के जैविक हथियार के रूप में देख रहे हैं।जिसको वुहान शहर की एक लैब में तैयार किया जा रहा था लेक़िन वहाँ कुछ ऐसा हुआ जिससे यह वायरस वही ब्लास्ट हो गया।
बीते महीने वॉशिंगटन टाइम्स के रिपोर्टर बिल गेर्ट्ज़ को एक रेडियो शो ''वॉर रूम पैनडेमिक'' में बतौर गेस्ट बुलाया गया था जिसमें उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे कि चीन जैव युद्ध प्रोग्राम के तहत एक वायरस बना रहा था।
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फॉक्स न्यूज़ ने भी इस थ्योरी का ज़िक्र किया और इसे आगे बढ़ाने का काम किया।एक आर्टिकल में फॉक्स न्यूज़ ने 1980 के दशक में लिखी गई एक किताब का ज़िक्र किया जिसने कथित तौर पर कोरोना वायरस का अंदाज़ा लगाया था।यह किताब चीनी सेना की उन लैब के बारे में है जो जैव हथियार बनाती हैं।
वहीं कोरोना वायरस की शुरुआत को लेकर चीन की तरफ़ से नई थ्योरी दी जा रही है।चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि यह अमरीकी बीमारी है जो शायद अक्टूबर में चीन के वुहान में आए अमरीकी सैनिकों से फैली है।
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हालांकि इस नई थ्योरी के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया गया है।कोरोना वायरस को लेकर अमरीकी सैनिकों पर आरोप चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता चाओ लिजियान ने ट्वीट कर लगाया है।कोरोना वायरस को लेकर अप्रमाणिक रूप से कई बातें पहले भी कही गई हैं।
इससे पहले अमरीकी सीनेटर टॉम कॉटन ने आशंका जताते हुए कहा था, ''संभव है कि कोरोना वायरस चीन का जैविक हथियार हो और इसे वुहान लैब में विकसित किया जा रहा हो।''
कॉटन ने कहा था, ''हमारे पास इस बात के सबूत नहीं हैं कि ये बीमारी यहीं पनपी है।लेकिन शुरुआत से ही चीन का जो रवैया और छल की भावना है उसे देखते हुए हमें एक ही सवाल पूछने की ज़रूरत है कि सबूत क्या कहते हैं और चीन फ़िलहाल उस सवाल पर कोई सबूत नहीं दे रहा।''