CAA Ka Rule Kya Hai In Hindi: केंद्र सरकार का बड़ा फैसला ! CAA का नोटिफिकेशन किया जारी, जानिए क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम?
CAA नोटिफिकेशन जारी
केंद्र सरकार (Central Govt) ने देश में सीएए (Caa) का नोटिफिकेशन जारी (Released Notification) कर दिया है. CAA नियम के तहत ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आवेदन मांगे जाएंगे. इस प्रक्रिया का काम लगभग पूरा हो चुका है. नागरिकता संशोधन अधिनियम (Caa) के नियमों के तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश जिनमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल है यहां से आए गैर मुस्लिम प्रवासी लोगों के लिए भारत की नागरिकता लेने के नियम आसान हो जाएंगे. साथ ही पड़ोसी मुल्कों से आने वाले अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी.
सीएए का नोटिफिकेशन किया जारी
केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून (CAA Ka Rule Kya Hai) का नोटिफिकेशन जारी (Notification Released) कर दिया गया है. चुनाव से ठीक पहले सरकार का यह फैसला बहुत ही अहम माना जा रहा है जिसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को बड़े ही आसानी से भारत की नागरिकता मिल सकेगी इसके लिए सरकार की ओर से बनाए गए एक ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा वहीं सरकार के द्वारा इस नोटिफिकेशन को जारी किए जाने के बाद से देश भर के तमाम शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है जिसके अंतर्गत इन शहरों में पुलिस रूट पेट्रोलिंग कर रही है.
लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का बड़ा ऐलान
साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले भी बीजेपी ने CAA को अपने अनाउंसमेंट लेटर में शामिल किया था इस कानून के तहत मुस्लिम समाज को छोड़कर, मुस्लिम बाहुल्य पड़ोसी देशों से आने वाले बाकी धर्म के लोगों को नागरिकता देने का नियम बनाया गया है जिसके लिए सरकार की ओर से एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है जिसको तहत इन पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा जिसके बाद उनकी जांच पड़ताल की जाएगी उन्हें नागरिकता दी जाएगी तो वहीं अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आये विस्थापित अल्पसंख्यको को कोई भी दस्तावेज देने की आवश्यकता नही पड़ेगी.
साल 2019 में इस नियम में किया गया था संशोधन
बताते चलें कि, साल 2019 में केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया था जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आने वाले 6 अल्पसंख्यको ईसाई, सिख, हिंदू, जैन, पारसी और बौद्ध को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था नियम के मुताबिक नागरिकता देने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के हाथ में होगा.
2014 के पहले आने वाले प्रवासी माने गए है अवैध
जैसा कि हमने आपको बताया की नागरिकता देने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास होगा ऐसे में पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदाय से आने वाले प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने के लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया गया है इस नियम के तहत ऐसे प्रवासी नागरिक जो अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर रह रहे हैं इस कानून के तहत उन्हें अवैध प्रवासी माना गया है जो भारत में बिना वीजा और पासपोर्ट के आए हुए हैं या फिर पासपोर्ट और वीजा लेकर ही क्यों ना आए हो.
भारत को स्थायी घर बनाने की करनी होगी घोषणा
अब जबकि रास्ता साफ हो गया है तो पहले भारत को स्थायी घर बनाने की घोषणा करनी होगी. घर बार छोड़कर भागने वालों के पास दस्तावेज नहीं होते अब नागरिक संशोधन कानून के तहत इन तीन देशों से होने का दस्तावेज देने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है. इसके लिए भारत में कम से कम 12 महीने का समय देना होगा फिर यहां की नागरिकता की मांग करने वाले लोगों को सीएए के तहत आवेदन के पात्र माना जाएगा.
इसके साथ ही आवेदकों को यह भी घोषणा करनी है कि वे वर्तमान नागरिकता का त्याग कर रहे हैं और भारत को स्थाई घर बनाना चाह रहे हैं. आवेदक को स्वीकार करने के बाद शपथ लेनी होगी इसके साथ ही शपथ में कानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति आस्था और निष्ठा रखेंगे साथ ही भारत के नागरिक के रूप में सभी तरह के कानून और ईमानदारी से इसका पालन करेंगे.