Manoj Roy Pk Movie: दिल्ली की सड़कों पर भीख मांगकर गुजारी रातें ! आमिर खान की फ़िल्म PK में भिखारी के 5 सेकंड के रोल ने बदल दी किस्मत, जानिए कौन है ये शख्स?
Manoj Roy Pk Movie Begger
कहते हैं कि समय सबका बदलता है लेकिन यह कब होगा किसी को नहीं मालूम उसके लिए भी कठिन परिश्रम (Work Harder) करना पड़ता है तो कभी-कभी जिंदगी में कुछ ऐसा हो जाता है कि जब रातों-रात किस्मत (Luck) ही बदल जाती है जिसका जीता-जागता उदाहरण मनोज राय (Manoj Roy) नाम का एक शख्स है जिसने मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान (Amir Khan) की साल 2014 में रिलीज हुई फिल्म पीके (Pk) में केवल 5 सेकंड का रोल निभाया था आज उसके पास वह सब कुछ है जिसकी आम आदमी को जरूरत होती है.
फ़िल्म पीके में 5 सेकंड के रोल ने बदली जिंदगी
इतिहास गवाह है कि फिल्मी दुनिया (history of film industry) के जाने-माने चेहरे जो कभी छोटी-मोटी नौकरी करते थे जिनमें से साउथ इंडस्ट्री के भगवान कहे जाने वाले रजनीकांत (Rajnikant) कभी बस कंडक्टर हुआ करते थे तो वही बॉलीवुड में 80 और 90 में अपनी एक्टिंग से लोहा मनवाने वाले जैकी श्रॉफ (Jacky Shroff) कभी झुगी झोपड़ियां में यहां करते थे लेकिन एक के बाद एक फिल्मों में सफलता मिलने के बाद उनका रहन-सहन बदल गया आज वह बॉलीवुड के जाने-माने स्टार हैं.
आज के इस आर्टिकल के जरिए हम आपको एक ऐसे आम इंसान की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसका बॉलीवुड इंडस्ट्री से कोई ताल्लुक नहीं था और ना ही वह किसी फिल्मी घराने से था, दरअसल वह अंधे की एक्टिंग कर सड़कों पर भीख (Beggar) मांग कर अपना पेट पालता था लेकिन उसकी किस्मत तब पलटी जब आमिर खान (Amir Khan) की ब्लॉकबस्टर फिल्म पीके (Pk) में उसे महज 5 सेकंड का रोल निभाने का मौका मिला. फिर क्या था इस रोल के बाद तुरंत उसकी किस्मत पलट गई जी हां उसे शख्स का नाम है मनोज राय (Manoj Roy) जिसकी कहानी बहुत ही दिलचस्प है.
अंधे न होकर भी अंधे बनकर मांगते थे भीख (Manoj Roy Pk Movie)
दरअसल असम (Assam) के सोनितपुर (Sonitpur) जिले के मैडिटी का रहने वाला मनोज राय (Manoj roy) एक मजदूर का बेटा है. बचपन से ही मनोज ने अपने जीवन में केवल स्ट्रगल करना ही सीखा था. खेलने-कूदने की उम्र में उन्होंने सबसे पहले अपनी मां को खो दिया आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. पिता मजदूरी करते थे. धीरे-धीरे समय आगे बढ़ता गया और उनके पिता भी बीमार पड़ गए. इसी के चलते मनोज ने स्कूल जाना भी छोड़ दिया अपनी जिंदगी से हताश और परेशान मनोज ने भीख मांगने का काम शुरू कर दिया लेकिन मनोज को मालूम था कि गांव में रहकर भीख मांगने का काम भी नहीं हो सकेगा.
इसलिए उन्होंने दिल्ली की ओर रुख कर लिया लेकिन बचपन से उनके अंदर एक्टिंग का कीड़ा था इसलिए उन्होंने दिल्ली में आकर अंधे ना होते हुए भी अंधे बनकर भीख मांगना शुरू कर दिया उन्होंने मीडिया में दिए गए एक इंटरव्यू में बताया कि जब वह दिल्ली में भीख मांग रहे थे कि तभी उनके पास दो लोग आए और पूछा क्या तुम अभिनय कर सकते हो तो उन्होंने कहा कि साहब मैं अंधा नहीं हूं लेकिन दो वक्त की रोटी के लिए मैं अंधा बनकर भीख मांगता हूं इसके बाद उन्होंने मुझे एक फोन नंबर और 20 रुपये देकर वहां से चले गए.
ऑडिशन के दौरान 6 लोगों को किया था बीट
वहीं जब उस नंबर पर मनोज ने कॉल किया तो उन्हें ऑडिशन के लिए नेहरू स्टेडियम बुलाया गया जहां पर आमिर खान की फिल्म पीके के रोल को पाने के लिए उनके साथ 6 और भिखारी का ऑडिशन लिया गया जो सभी नेत्रहीन थे उन्होंने यह भी बताया कि उनके मन में केवल यह चल रहा था कि उन्हें रोल मिले या ना मिले इसी बहाने 7 दिनों तक भर पेट खाना तो मिलेगा ही आखिरकार मनोज राय को डायरेक्टर राजकुमार हिरानी की फिल्म पीके में 5 सेकंड का रोल निभाने की भूमिका मिल गई.
जिसमें उन्होंने अंधे न होने के बावजूद एक अंधे भिखारी का रोल निभाया था इस सीन में उन्हें हाथ में कटोरा लेकर आंखों में चश्मा और छड़ी लेकर खड़ा होना था जिसमें आमिर खान पीके के अवतार में जाकर उनके कटोरा से सिक्के निकाल लेते थे यह सीन काफी हिट हुआ वहीं पीके फ़िल्म उस समय दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय रही यही कारण है कि इस फिल्म को ब्लॉकबस्टर का खिताब मिला.
पेमेंट लेकर पहुँच गए गांव
भिखारी का रोल निभाने वाले मनोज राय ने बताया की पीके फिल्म में काम करने के बाद रातो-रात उनकी किस्मत बदल गई. फिल्म में काम करने के बाद उन्हें जो भी पेमेंट मिला उसे लेकर वह अपने गांव चले गए जहां पर उन्होंने एक दुकान खरीदी अब उनका कहना है कि दुकान के साथ अब एक अच्छी नौकरी और महिला मित्र भी है. इस फिल्म में काम करने के बाद आप उन्हें गांव के लोग Pk हनी सिंह के नाम से संबोधित करते हैं जो उन्हें काफी अच्छा भी लगता है.