फतेहपुर:ढ़ाई महीने बाद नसीब हुआ एक बदनसीब बाप को बेटे का शव..गाँव में होगा अंतिम संस्कार..!
लॉकडाउन के चलते ढाई महीने से फतेहपुर के रहने वाले एक युवक का शव रियाद देश मे फँसा हुआ था।शुक्रवार को शव दिल्ली एयरपोर्ट पहुँचा जहाँ से शनिवार को एम्बुलेंस द्वारा फतेहपुर आया..पढ़े पूरी खबर विस्तार से युगान्तर प्रवाह पर।
फतेहपुर:लॉकडाउन लागू होने से न जाने कितने ही लोगों को बहुत कष्टकारी दिन देखने पड़े हैं।फतेहपुर की खागा तहसील के ऐराया विकास खण्ड के विक्रमपुर निवासी पीताम्बर लाल ऐसे ही एक बदनसीब बाप हैं।जिनके पुत्र की मौत अरब देश रियाद में बीते पांच मार्च को हो गई थी।तब से शव लॉकडाउन के चलते वहीं अटका हुआ था।(इस खबर की मूूूल ख़बर आप नीचे दी हुई लिक पर पढ़ सकते हैं)
ये भी पढ़े-lockdown:फतेहपुर में एक पिता को है दो महीने से..अपने बेटे के शव का इंतजार..!
भारत सरकार द्वारा वंदे भारत मिशन के तहत विदेशों में फंसे नागरिकों को वापस देश लाने का काम शुरू हुआ है जिसके क्रम में पीताम्बर के बेटे का शव भी 22 मई को दिल्ली एयरपोर्ट पहुँचा उसके बाद शनिवार 23 मई को गांव पहुँचा है।जहाँ अब अंतिम संस्कार होगा।
क्या है पूरा मामला
जनपद के खागा तहसील क्षेत्र के विक्रमपुर विकास खण्ड ऐराया निवासी पीताम्बर लाल का 26 वर्षीय पुत्र जय नरायण मौर्य बीते 4 सितंबर 2019 को मुंबई से फ्लाइट से वाया शारजाह , दमाम होते हुए रियाद (सऊदी अरब) एक कम्पनी में काम करने के लिए गया हुआ था।बीते दो महीने पहले उसकी तबियत अचानक से बिगड़ गई जिसके बाद उसे रियाद में ही कम्पनी द्वारा सनद नामक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।लेक़िन इलाज़ के बावजूद उसे डॉक्टर बचा नहीं सके और जय नरायण की सांसें बीते पांच मार्च को थम गई।
ये भी पढ़े-यूपी में लागू हुआ एस्मा क़ानून आख़िर है क्या..!
जय नरायण की मौत की सूचना भारत में उसके परिजनों तक पहुँची।जिसके बाद परिवारी जनों का हाल बेहाल हो गया।अब बारी आई शव को भारत लाने की।लेकिन कई तरह की जरूरी क़ानूनी कार्यवाही पूरी होने पर कुछ एक दिनों का समय लग गया औऱ इसी बीच कोरोना ने भारत में तेज़ी के साथ दस्तक देनी शुरू कर दी।और भारत सरकार ने सभी तरह के विदेशी आवागमन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया।
क़रीब ढाई महीने बीत जाने के बाद शव मृतक के गाँव पहुँचा है।परिजनों को जयनरायण की मौत का गम तो बहुत है।लेक़िन इतने दिनों के इतंजार के बाद शव मिला है तो उसका अपने रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कर पाने की संतुष्टि का भाव भी परिजनों के चेहरे में देखने को मिल रहा है।