Salima Khan Bulandshahr Story: गज़ब है शिक्षा की ललक ! 92 साल की बुजुर्ग सलीमा ने शुरू की पढ़ाई, लोग कर रहे सलाम
Salima Khan Bulandshahr: हमारे बड़े बुजुर्ग अक्सर कहा करते है कि पढ़ने लिखने की कोई उम्र नही होती है, शिक्षा एक ऐसा वरदान है, जो कोई भी नही छीन सकता है. शायद इसीलिए शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र भी नहीं होती, बुलंदशहर में रहने वाली 92 साल की सलीमा खान महिला समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर उभरी है जो उम्र के इस उम्र में आकर अपने से 80 साल छोटे बच्चों के साथ बैठकर शिक्षा ग्रहण करती हुई नजर आ रही है.
हाईलाइट्स
- यूपी के बुलंदशहर में अजीबोगरीब मामला, 92 वर्ष की उम्र में स्कूल जाती है अम्मा
- बुजुर्ग महिला बनी मिसाल, बच्चों के साथ कक्षा में पढ़ती हैं बुजुर्ग महिला
- पहली दफा गयी स्कूल, सलीमन बहुत है खुश,बुलंदशहर में रहती है बुजुर्ग महिला
Bulandshahr a 92 year old woman went to school : आप लोगों ने अक्सर देखा और सुना होगा कि परीक्षा केंद्रों में कई बार अधेड़ उम्र के लोग परीक्षा देने आते हैं, क्या आपने कभी सुना या देखा है कि 90 वर्ष की महिला स्कूल जा कर पढ़ाई कर सकती है,सुन कर पहले तो आपका माथा चकरा जाएगा, लेकिन यह सच है, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में रहने वाली 92 साल की बुजुर्ग सलीमा खान महिला समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर उभरी है जो उम्र के इस पड़ाव में आकर अपने से 80 साल छोटे बच्चों के साथ बैठकर शिक्षा ग्रहण करती हुई नजर आ रही है.
कौन है ये बुजुर्ग महिला (Who Is Salima Khan Bulandshahr)
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में रहने वाली 92 साल की बुजुर्ग महिला जिनका नाम सलीमा खान है जिनका जन्म 1931 के आसपास हुआ था, 14 साल की अल्पायु में ही उनकी शादी हो गई थी. घर की आर्थिक स्थिति और जिम्मेदारियों के चलते वह कभी स्कूल नहीं जा सकी, जिसकी वजह से उन्हें बहुत से लोगों की आलोचनाएं भी सुनाई पड़ती थी, लेकिन अब जीवन के इस पड़ाव में आकर उन्हें यह एहसास हुआ है कि शिक्षा हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है.
जिसके चलते उन्होंने दस महीने पहले ही स्कूल में दाखिला लिया है. स्कूल में आज वे स्कूल के बच्चों के साथ क्लासरूम में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रही है. अध्यापकों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा और लगन के चलते अब उन्हें एक से लेकर 100 तक की गिनतियां और खुद का नाम भी लिखना आ गया है जिससे वह काफी खुश दिखाई दे रही है.
क्या कहती है परदादी और उनके अध्यापक
वही इस पूरे मामले पर 92 साल की बुजुर्ग परदादी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि 10 महीने पहले तक उन्हें रुपए तक गिनने नहीं आते थे, जिस वजह से उन्हें उनके पोते पोतिया ज्यादा पैसे लेने के लिए गुमराह किया करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है क्योंकि उन्हें एक से लेकर 100 तक की गिनतियां भी याद हो चुकी है. वही इस पूरे मामले पर स्कूल प्रशासन भी इस बुजुर्ग महिला का पूरी तरह समर्थन भी कर रहा है यही नहीं स्कूल प्रबंधन की ओर से उन्हें पेंशन देने की बात भी कही जा रही है.
समाज के लिए बनी मिसाल (Salima Khan Bulandshahr Story)
यह बुजुर्ग अम्मा समाज के उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणाश्रोत बनकर सामने आई है जो लोग शिक्षा के अभाव को लेकर तरह-तरह के बहाने करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उम्र का तकाजा देकर बचते हुए नजर आते हैं, कि अब इस उम्र में पढ़ाई कैसे होगी समाज क्या कहेगा या लोग क्या कहेंगे लेकिन जिस तरह से यह दादी मां खुद से 80 साल छोटे बच्चों के साथ शिक्षा ग्रहण कर रही है इस दृश्य को देखकर उनके जज्बे को सलाम करने का जी चाहता है.