Who Is Yash Pratap Singh UP Board Topper: यूपी बोर्ड में यश ने किया कमाल ! जानिए एक छोटे से गांव से कैसे पहुंचे प्रदेश की सूची में
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यूपी बोर्ड 10वीं के टॉपर यश प्रताप सिंह ने 97.83% अंक हासिल कर बिना कोचिंग प्रदेश में पहला स्थान पाया. जालौन के उमरी गांव निवासी यश के पिता स्कूल प्रिंसिपल हैं. सिविल सेवा का सपना रखने वाले यश अब लाखों छात्रों के लिए मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास की प्रेरणा बन गए हैं.

UP Board 10th Topper 2025: यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा 2025 का परिणाम आते ही एक नाम पूरे प्रदेश में चर्चा का केंद्र बन गया—यश प्रताप सिंह. जालौन जनपद के उमरी गांव के रहने वाले यश ने 97.83 प्रतिशत अंक हासिल कर पूरे उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया.
सबसे खास बात यह है कि यश ने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के पाई है. उनके पिता विनय प्रताप सिंह उसी स्कूल में प्रिंसिपल हैं, जहां यश पढ़ते हैं. यश की मेहनत, आत्मनियंत्रण और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें यह ऐतिहासिक मुकाम दिलाया. अब वे लाखों छात्रों के लिए एक जीती-जागती प्रेरणा बन गए हैं.
पिता स्कूल के प्रधानाचार्य, बेटे ने रचा इतिहास
यश के पिता विनय प्रताप सिंह उसी विद्यालय में प्रधानाचार्य हैं, जहां यश पढ़ते हैं—स्व० श्रीमती रसकेंद्रीय इंटर कॉलेज, उमरी में पढ़ाई का माहौल घर से स्कूल तक फैला हुआ था, लेकिन यश ने कभी इसका अनुचित लाभ नहीं उठाया.
उन्होंने खुद को सामान्य छात्र की तरह रखा और हर दिन 7 घंटे की सख्त सेल्फ स्टडी की. यश ने बताया कि उनके पिता हमेशा पढ़ाई को लेकर अनुशासन में रहने की सीख देते थे. पिता के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत के बल पर यश ने पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त कर न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे जनपद का नाम रोशन किया है.
पढ़ाई के साथ कार्टून और क्रिकेट का शौक
टॉपर यश पढ़ाई के अलावा टीवी पर कार्टून देखना और क्रिकेट खेलना भी पसंद करते हैं. उनका मानना है कि लगातार पढ़ाई के दबाव से बचने के लिए दिमाग को हल्का रखने की ज़रूरत होती है. लेकिन इस सबके बीच उनका ध्यान कभी लक्ष्य से नहीं भटका.
यश ने हर दिन पढ़ाई के लिए निश्चित समय तय किया और उस अनुशासन को ईमानदारी से निभाया. मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी और अपना पूरा फोकस पढ़ाई और आत्मविकास पर रखा. आज उनकी यही आदतें उन्हें टॉपर के मुकाम तक ले आईं.
टॉपर्स की सूची में कड़ी टक्कर, इन होनहारों ने भी बढ़ाया मान
जहां यश ने पहला स्थान प्राप्त किया, वहीं दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले छात्रों की मेहनत भी किसी से कम नहीं रही. दूसरे स्थान पर दो छात्र - अंशी और अभिषेक कुमार यादव ने 97.67% अंक प्राप्त किए. वहीं, तीसरे स्थान पर ऋतु गर्ग, अर्पित वर्मा और सिमरन गुप्ता ने 97.50% अंक हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.
इन सभी छात्रों ने यह साबित कर दिया कि मेहनत, समर्पण और निरंतर अभ्यास से कोई भी छात्र ऊँचाई तक पहुंच सकता है. यूपी बोर्ड के इस साल के परिणाम ने यह संदेश दिया कि ग्रामीण और शहरी, सभी छात्रों के पास बराबर अवसर हैं.
छोटे गांव से बड़े सपने तक की प्रेरक कहानी
उमरी गांव का नाम आज हर किसी की जुबान पर है, और उसकी वजह है यश प्रताप सिंह. गांव में जन्मे, सरकारी स्कूल में पढ़े और बिना किसी विशेष सुविधा के, यश ने वह कर दिखाया जिसकी कल्पना बड़े शहरों के छात्र करते हैं.
उन्होंने साबित कर दिया कि संघर्ष कभी रास्ता नहीं रोकता, बल्कि रास्ता बनाता है. यश का सपना है IAS अधिकारी बनकर देश और समाज की सेवा करना. उनके शब्दों में—"अगर लगन सच्ची हो और दिशा सही हो, तो मंज़िल कितनी भी दूर क्यों न हो, मिल ही जाती है"