Kanpur Night blindness: अच्छी खबर-रतौंधी जैसी लाइलाज बीमारी होगी दूर ! कानपुर के डॉक्टर की कई वर्षों की मेहनत लाई रंग, केंद्र ने पेटेंट की दी स्वीकृति
अब रतौंधी जैसी जन्मजात और लाइलाज बीमारी भी ठीक की जा सकेगी.यह पहल कानपुर के जीएसवीएम कॉलेज ने की है.यहां के नेत्र रोग विशेषज्ञ डाक्टर परवेज खान ने एक ऐसी नीडल तैयार की है.जिसमें दवा के जरिये जो आंखों की रेटिना के अंदरूनी सतह और हर परत तक जाकर रोगियों को लाभ पहुंचाएगी.जिससे रतौंधी से भी छुटकारा मिल सकेगा.
हाईलाइट्स
- कानपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर परवेज खान की सराहनीय पहल,ढूंढ लिया रतौंधी का इलाज
- कई वर्षों से शोध कर बनाई एक खास नीडल, जो आंखों की अंदरूनी परत तक इसकी दवा अंदर पहुंचेगी
- केंद्र ने पेटेंट को दी मंजूरी, अबतक 5 हज़ार मरीजों पर हो चुका है प्रयोग
Dr Parvez Khan of Medical College Kanpur made a special needle : आंखें कितनी अनमोल हैं,बिन आंखे सब अधूरा है.जिनकी नहीं हैं उनसे पूछे वो कैसे इस अंधकार में जीते हैं.आंख हैं तो इस खूबसूरत दुनिया को देख सकते हैं.आजकल नेत्र सम्बन्धी समस्याएं काफी उत्तपन्न होने लगी हैं. पुरष ,बच्चे और महिलाएं सभी पीड़ित हैं. कोई न कोई आंखों की समस्या बनी रहती है.रतौंधी जिसे जन्मजात व लाइलाज बीमारी कहा जाता है.
अब कानपुर ने इसका इलाज ढूंढ लिया है.यहां के मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर परवेज़ खान ने कई वर्षों के शोध के बाद एक डिवाइस कहे या विशेष नीडल तैयार किया है.इस पेटेंट को केंद्र की ओर से मंजूरी दे दी गई है.आपको बताते हैं इससे आंखों में क्या फायदे होंगे.
रतौंधी का इलाज हुआ आसान,कई वर्षों की मेहनत के बाद तैयार की नीडल
कानपुर के डॉक्टर ने अपने कई वर्षों के शोध के बाद आंखों की सबसे गंभीर बीमारी रतौंधी उसका इलाज ढूंढ लिया है. उन्होंने ऐसी डिवाइस और नीडल तैयार की है.जिसमें दवा भरकर सीधे आंखों की रेटिना के अंदरूनी सतह तक इसे पहुंचाया जा सकेगा जिससे रोगियों को रतौंधी से छुटकारा मिलेगा.इस नीडल को सुपर ख्योरायदल नीडल का नाम दिया गया है.
कानपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने तैयार की विशेष नीडल
डॉक्टर परवेज़ खान गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ है.उन्होंने यह नीडल 2018 में तैयार कर ली थी.केंद्र ने उनके इस पेटेंट की स्वीकृति के साथ सर्टिफिकेट भी दे दिया है.जल्द ही इस पेटन्ट को दिल्ली में बड़े पैमाने पर सेमिनार में जगह दी जाएगी.जिसमें देश विदेश के डॉक्टर भी हिस्सा लेंगे. इसका प्रयोग करीब पांच हजार लोगों पर हो चुका हैं. सफल प्रयोग के बाद ही इसे केंद्र के पास भेजा गया था.स्वीकृति मिलने के बाद अब जल्द ही इसे पूरे देश में लाया जाए.उसको देखते हुए सेमीनार होगा. इसके लिए कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर संजय काला ने डाक्टर परवेज खान को सर्टिफिकेट भी प्रदान किया.
रेटिना के अंदरूनी सतह तक इस नीडल के जरिये पहुंचेगी दवा
रतौंधी जैसी जन्मजात बीमारी का इलाज ढूंढ लेना सच में उन लोगों के लिए वरदान है.जिन्हें यह बीमारी है.डाक्टर परवेज खान ने बताया कि इसमें 1800 माइक्रोन की एक निडिल लगी हुई है. रतौंधी का इलाज सही मायने में अबतक नहीं मिल पा रहा था. उसकी वजह है कि रेटिना की जिस परत तक दवा को पहुंचना चाहिए, दवा वहां तक नहीं पहुंच पा रही थी. जो ये नीडील है बहुत ही साफ्ट है और महीन है.इस नीडल में दवा भरने के बाद इसे आंखों की उन अंदरूनी सतह तक पहुंचाया जा सकेगा.जहां इसकी जरूरत होती है.और यह आंखों को कोई हानि भी नहीं पहुंचाएगी. इसके जरिये रतौंधी जैसी बीमारी पर निजात पाई जा सकती है.