
Fatehpur News: फतेहपुर में शादी से पहले ही उजड़ गया घर ! सड़क हादसे में इकलौते बेटे की मौत, बेसहारा हुई मां और बहन
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) के युवक की चेन्नई में सड़क दुर्घटना में मौत के बाद घर में मातम छा गया. चार दिन बाद उसका शव गांव पहुंचा. मामला मलवां थाना (Malwan Thana) क्षेत्र के उमरगहना गांव का है. इकलौते बेटे के जाने के बाद विधवा मां और छोटी बहन बेसहारा हो गईं हैं.

Fatehpur News: खुशियों से भरे घर में अचानक मातम पसर जाए, तो उस पीड़ा को शब्दों में बयान करना मुश्किल हो जाता है. मलवां थाना (Malwan Thana) के उमरगहना गांव के रहने वाले 22 वर्षीय सुधीर सोनकर के परिवार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. रोज़ी-रोटी के लिए चेन्नई में मजदूरी कर रहे युवक की 15 मार्च को सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई. जिस घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं, वहां अब मातम और सिसकियों की गूंज है.
एक साल पहले पिता को खोया, अब इकलौते बेटे का गम

वह जल्द ही घर लौटने वाला था, लेकिन किस्मत ने उसे लौटने का मौका ही नहीं दिया. गांव के रहने वाले युवा भाजपा नेता पवन शुक्ला बताते हैं कि चेन्नई में एक स्कूटी को बचाने के चलते सुधीर बाइक से फिसले और गुजर रही बस से एक्सिडेंट हो गया. उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए.
शादी की तैयारियों के बीच पहुंचा बेटे का शव
सुधीर की शादी 13 मई को बसवानखेड़ा में होनी थी. मां और बहन शादी की तैयारियों में जुटी थीं. मां मायादेवी अपने बेटे की बारात सजाने के सपने देख रही थीं, लेकिन उनकी दुनिया ही उजड़ गई.
जब बुधवार भोर पहर चेन्नई से सुधीर का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो पूरे घर में चीत्कार गूंज उठी. मां और बहन सुधीर के शव से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगीं. गांव में जिसने भी यह मंजर देखा, उसकी आंखें नम हो गईं.
गांव में छाया मातम, हर आंख हुई नम
गांव के लोगों को भी यकीन नहीं हो रहा था कि जो सुधीर कुछ ही महीनों बाद दूल्हा बनने वाला था, अब हमेशा के लिए दुनिया छोड़ चुका है. सुधीर को आखिरी विदाई देने के लिए गांव के लोग उमड़ पड़े.
शोक में डूबे परिवार को ढांढस बंधाने की कोशिशें की गईं, लेकिन इस गहरे जख्म के लिए कोई शब्द या सांत्वना काफी नहीं थीं. पवन शुक्ला बताते हैं सुबह तकरीबन 9 बजे रेवाड़ी गांव के समशाही गंगा घाट में सुधीर का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
अब क्या होगा परिवार का?
अब इस परिवार में बस दो ही लोग बचे हैं. मां मायादेवी और सुधीर की अविवाहित छोटी बहन. घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा. सुधीर के जाने के बाद परिवार पूरी तरह बेसहारा हो गया है. गांव के लोग प्रशासन से आर्थिक मदद की मांग कर रहे हैं, ताकि किसी तरह मां और बेटी का जीवन आगे बढ़ सके.