Fatehpur News: फतेहपुर की मोहिनी ने तोड़ दिया दम ! दो घंटे बिना इलाज के डॉक्टरों ने रोका, फिर किया रैफर
Fatehpur News In Hindi
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में एक सात वर्षीय मासूम ने इलाज के अभाव में जिला अस्पताल में दम तोड़ दिया. घटना हुसैनगंज थाना (Husainganj Thana) क्षेत्र के बरौहा गांव की है.
Fatehpur News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के फतेहपुर (Fatehpur) में इलाज के अभाव में सात वर्षीय मोहिनी ने जिला अस्पताल में दम तोड़ दिया. मामला हुसैनगंज थाना (Husainganj Thana) क्षेत्र के बरौहा गांव का है.
जानकारी के मुताबिक मासूम बच्ची तेज बुखार में अचानक बेहोश हो गई और उसी अचेतन अवस्था में परिजनों ने उसे पानी पिला दिया जिससे उसकी हालत बिगड़ गई. आनन-फानन में उसे सीएचसी हुसैनगंज ले जाया गया जहां से उसे जिला अस्पताल और सदर अस्पताल से कानपुर हैलेट के लिए रैफर किया गया लेकिन हैलेट जाने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया.
दो घंटे सीएचसी हुसैनगंज में तड़पती रही मासूम
फतेहपुर (Fatehpur) के हुसैनगंज थाना (Husainganj Thana) क्षेत्र के बरौहा के रहने वाले जगदीश चौहान की सात वर्षीय बेटी मोहिनी को अचानक पैर में फाइलेरिया की शिकायत हुई उसका बायां पैर फूलने लगा था. जगदीश ने पहले झाड़ फूंक का सहारा लेते हुए उसका इलाज करवाया.
बताया जा रहा है कि अचानक बच्ची को बीमारी की वजह से तेज बुखार हो गया. जानकारी के मुताबिक बुखार इतना तेज था कि मोहिनी अचेत हो गई तभी ना समझी में परिजनों ने उसे पानी पिला. बताया जा रहा है कि पानी पिलाते ही उसकी हालत गंभीर हो गई और उसकी सांस उखड़ने लगी. आनन-फानन में उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हुसैनगंज ले जाया गया.
जगदीश आरोप लगाते हुए कहते हैं कि सीएचसी में करीब दो घंटे वो रहे लेकिन डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार करना भी मुनासिब नहीं समझा बाद में जिला अस्पताल के लिए उसे रैफर कर दिया गया. जगदीश ने बताया कि जिला अस्पताल में प्राथमिक उपचार करते हुए गंभीर हालत में कानपुर हैलेट के लिए रैफर किया गया लेकिन जाने से पहले ही उनकी बेटी ने दम तोड़ दिया.
जानकारी का अभाव, डॉक्टरों की लापरवाही, मेडिकल कॉलेज की दुर्दशा, सब जिम्मेदार हैं मोहिनी की मौत के
जीवन जीने से पहले मौत को गले लगाने वाली मोहिनी ने आज दम नहीं तोड़ा उसने इस भ्रष्ट व्यवस्था को आइना दिखाया है. सीएचसी हुसैनगंज में डॉक्टरों की लापरवाही हो या मेडिकल कॉलेज के नाम का सदर अस्पताल जहां इतने बरस के बाद भी न तो वेंटीलेटर है ना ही ट्रेंड डॉक्टर.
बताया जा रहा है Expiration Condition की जिस स्थिति में मोहिनी पहुंची थी उसे अगर तुरंत सटीक इलाज मिल जाता तो शायद उसकी जान बच जाती. लेकिन नाम के मेडिकल कॉलेज में वो व्यवस्था कहां. पहले परिजनों की झाड़ फूंक और बेहोशी में पानी पिलाने की ना समझी फिर डॉक्टरों की लापरवाही सब जिम्मेदार हैं मोहिनी की मौत के.