Vikram Samvat Hindu Nav Varsh 2024: विक्रम संवत की शुरुआत कब हुई? क्यों कहा जाता है इसे हिंदू नववर्ष
हिंदू नव वर्ष
भारतीय कैलेंडर पंचांग के अनुसार विक्रम संवत 2081 (Vikram Samvat 2081) और हिन्दू नव वर्ष (Hindu new Year) की शुरुआत आज हो रही है. हिन्दू नव वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (Pratipada) को मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है. यही नहीं आज से ही चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के पावन दिन भी शुरू हो रहे हैं. विक्रम संवत की शुरुआत कब हुई, किसने की आखिर हिन्दू नव वर्ष इस मास में क्यों मनाया जाता है. इन तमाम बातों का जिक्र इस आर्टिकल के जरिये करेंगे.
हिन्दू नववर्ष और विक्रम संवत 2081 हुआ शुरू
विक्रम संवत (Vikram Samvat) अंग्रेजी कैलेंडर (English Calendar) से 57 साल आगे है हम सभी यह जानते हैं कि नया वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 1 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन हिंदू कैलेंडर वर्ष के अनुसार हिंदू नव वर्ष (Hindu New year) चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ही मनाया जाता है. इस दफा संवत्सर 2081 शुरू हो गया है. संवत्सर का अर्थ होता है वर्ष चलिए आपको बताते हैं कि विक्रम संवत की शुरुआत कब हुई और किस राजा ने की थी तो विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व में हुई थी जिसकी शुरुआत करने वाले प्रतापी राजा विक्रमादित्य (Raja Vikramaditya) थे. जिसकी वजह से इसे विक्रम संवत्सर कहा जाता है
राजा विक्रमादित्य से जुड़ा है इसका इतिहास
कहा जाता है कि लगभग 2,068 वर्ष यानी 57 ईसा पूर्व में राजा विक्रमादित्य ने शकों के द्वारा किये जा रहे अत्याचारी शासन से कई राज्यों को मुक्त कराया. यही नहीं अपने साम्राज्य की जनता का हर कर्ज उन्होंने खुद चुकाया और कर्ज माफ करते हुए उन्हें बड़ी राहत दी. उस विजय स्वरूप की याद करते हुए उस दिन विक्रम संवत का भी आरम्भ हुआ था. उस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी. अब बात आती है अगर इस काल को गणितीय नजरिया से देखें तो इसके आंकड़े बिल्कुल सटीक नजर आते हैं इसे राष्ट्रीय संवत भी कहा जाता है. काल गणना के हिसाब से एकदम सटीक माना गया है.
हिन्दू नव वर्ष क्यों कहते हैं
अब एक बात और सामने आती है कि चैत्र मास में ही क्यों यह हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है, तो इसके पीछे एक पौराणिक महत्व है कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी वही राजा विक्रमादित्य ने अपने नाम से संवत्सर की शुरुआत की थी. उस दिन यही तिथि थी तभी इस हिंदू नव वर्ष को विक्रमी संवत्सर भी कहा जाता है और इस बार यह संवत्सर 2081 है जबकि 8 अप्रैल से 2080 वर्ष पूरे हो चुके हैं. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हिंदू नव वर्ष मनाए जाने की एक परंपरा यह भी है कि इस मास में प्रकृति की अद्भुत छटा दिखाई देती है यह समय पेड़ उगाने और फूल उगाने का होता है इसके अलावा मौसम फूलों से सुगन्धित रहता है.
चैत्र नवरात्रि और रामनवमी
इसके साथ ही हिंदू नव वर्ष और संवत्सर की शुरुआत जब चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होती है उसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है यानी यह नववर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है ऋषियों ने भी इस चैत्र नववर्ष को बहुत ही शुभ माना हैं वैसे भी चैत्र नवरात्रि में कोई भी कार्य करना बेहद शुभ माना गया है. एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि इस नवरात्रि की नवमी को रामनवमी भी मनाई जाती है इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अयोध्या में दशरथ के घर जन्म लिया था. इसके साथ ही हिंदू कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष पर बसन्त ऋतु का भी शुभारंभ हो जाता है.
इस संवत में राजा और मंत्री कौन हैं?
बात की जाए इस संवत की तो ज्योतिष काल की गणना के अनुसार हर वर्ष अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं, क्योंकि 9 अप्रैल से विक्रमी संवत 2081 शुरू हो गया है, इस बार नाम कालयुक्त है. हर वर्ष सम्वत के दरमियां एक राजा और एक महामंत्री के साथ पूरा मंत्रिमंडल होता है. इस सम्वत्सर में इस बार के राजा “मंगल” और मंत्री “शनि” हैं.
संवत्सर कितने होते हैं, क्या कहता है हिंदू पंचांग
संवत्सर संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार 60 संवत्सर होते हैं जो कि इस प्रकार हैं
क्रमांक | नाम | वर्तमान चक्र | पूर्व चक्र 1 |
---|---|---|---|
1 | प्रभव | 1974-1975ई. | 1914-1915 |
2 | विभव | 1975-1976ई. | 1915-1916 ई. |
3 | शुक्ल | 1976-1977 ई. | 1916-1917 ई. |
4 | प्रमोद | 1977-1978 ई. | 1917-1918 ई. |
5 | प्रजापति | 1978-1979 ई. | 1918-1919 ई. |
6 | अंगिरा | 1979-1980 ई. | 1919-1920 ई. |
7 | श्रीमुख | 1980-1981 ई. | 1920-1921 ई. |
8 | भाव | 1981-1982 ई. | 1921-1922 ई. |
9 | युवा | 1982-1983 ई. | 1922-1923 ई. |
10 | धाता | 1983-1984 ई. | 1923-1924 ई. |
11 | ईश्वर | 1984-1985ई. | 1924-1925 ई. |
12 | बहुधान्य | 1985-1986 ई. | 1925-1926 ई. |
13 | प्रमाथी | 1986-1987 ई. | 1926-1927 ई. |
14 | विक्रम | 1987-1988ई. | 1927-1928 ई. |
15 | वृषप्रजा | 1988-1989 ई. | 1928-1929 ई. |
16 | चित्रभानु | 1989-1990 ई. | 1929-1930 ई. |
17 | सुभानु | 1990-1991 ई. | 1930-1931 ई. |
18 | तारण | 1991-1992 ई. | 1931-1932 ई. |
19 | पार्थिव | 1992-1993 ई. | 1932-1933 ई. |
20 | अव्यय | 1993-1994 ई. | 1933-1934 ई. |
21 | सर्वजीत | 1994-1995 ई. | 1934-1935 ई. |
22 | सर्वधारी | 1995-1996 ई. | 1935-1936 ई. |
23 | विरोधी | 1996-1997 ई. | 1936-1937 ई. |
24 | विकृति | 1997-1998 ई. | 1937-1938 ई. |
25 | खर | 1998-1999 ई. | 1938-1939 ई. |
26 | नंदन | 1999-2000 ई. | 1939-1940 ई. |
27 | विजय | 2000-2001 ई. | 1940-1941 ई. |
28 | जय | 2001-2002 ई. | 1941-1942 ई. |
29 | मन्मथ | 2002-2003 ई. | 1942-1943 ई. |
30 | दुर्मुख | 2003-2004 ई. | 1943-1944 ई. |
31 | हेमलंबी | 2004-2005 ई. | 1944-1945 ई. |
32 | विलंबी | 2005-2006 ई. | 1945-1946 ई. |
33 | विकारी | 2006-2007 ई. | 1946-1947 ई. |
34 | शार्वरी | 2007-2008 ई. | 1947-1948 ई. |
35 | प्लव | 2008-2009 ई. | 1948-1949 ई. |
36 | शुभकृत | 2009-2010 ई. | 1949-1950 ई. |
37 | शोभकृत | 2010-2011 ई. | 1950-1951 ई. |
38 | क्रोधी | 2011-2012 ई. | 1951-1952 ई. |
39 | विश्वावसु | 2012-2013 ई. | 1952-1953 ई. |
40 | पराभव | 2013-2014 ई. | 1953-1954 ई. |
41 | प्ल्वंग | 2014-2015ई. | 1954-1955 ई. |
42 | कीलक | 2015-2016 ई. | 1955-1956 ई. |
43 | सौम्य | 2016-2017 ई. | 1956-1957 ई. |
44 | साधारण | 2017-2018 ई. | 1957-1958 ई. |
45 | विरोधकृत | 2018-2019 ई. | 1958-1959 ई. |
46 | परिधावी | 2019-2020 ई. | 1959-1960 ई. |
47 | प्रमादी | 2020-2021 ई. | 1960-1961 ई. |
48 | आनंद | 2021-2022 ई. | 1961-1962 ई. |
49 | राक्षस | 2022-2023 ई. | 1962-1963 ई. |
50 | आनल | 2023-2024 ई. | 1963-1964 ई. |
51 | पिंगल | 2024-2025 ई. | 1964-1965 ई. |
52 | कालयुक्त | 2025-2026 ई. | 1965-1966 ई. |
53 | सिद्धार्थी | 2026-2027 ई. | 1966-1967 ई. |
54 | रौद्र | 2027-2028 ई. | 1967-1968 ई. |
55 | दुर्मति | 2028-2029 ई. | 1968-1969 ई. |
56 | दुन्दुभी | 2029-2030 ई. | 1969-1970 ई. |
57 | रूधिरोद्गारी | 2030-2031 ई. | 1970-1971 ई. |
58 | रक्ताक्षी | 2031-2032 ई. | 1971-1972 ई. |
59 | क्रोधन | 2032-2033 ई. | 1972-1973 ई. |
60 | क्षय | 2033-2034 ई. | 1973-1974 ई. |