Paush Putrada Ekadashi 2024: कब है पौष पुत्रदा एकादशी ! इस व्रत का क्या है महत्व, नोट कर लें तारीख़, मुहूर्त और पूजा विधि
Putrada Ekadashi 2024 Kab Hai
पौष पुत्रदा एकादशी (Paush Putrda Ekadashi) का व्रत (Fast) 21 जनवरी को रखा जाएगा. पौष मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को पौष पुत्रदा एकादशी कहते हैं. हमारे हिन्दू धर्म में कई एकादशी के व्रत (Fast) हैं जिनका बड़ा ही महत्व है. इसी तरह पौष पुत्रदा एकादशी का भी बड़ा महत्व है. साल में दो बार आने वाली यह एकादशी का व्रत रखने वालों को संतान सुख का वरदान (Blessings Of Child Happiness) मिलता है.
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत
भगवान श्री हरि (Lord Vishnu) को प्रसन्न करने के लिए एकादशी का व्रत किया जाता है. इन्हीं में से एक एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी (Paush Putrada Ekadashi) भी है जिसका अलग ही पौराणिक महत्व है और व्रत रखने से वरदान (Blessings) मिलता है. चलिए आपको बताएंगे कि पौष पुत्रदा एकादशी कब है, क्या इसका मुहूर्त है इसके साथ ही इस एकादशी का क्या महत्व है, यह सब इस लेख के जरिये देखें. सबसे पहले तो आप सभी लोगों को बताना चाहेंगे कि यह पौष पुत्रदा एकादशी (Paush Putrada Ekadashi) साल में दो बार आती है.
एक तो श्रावण मास में दूसरा पौष मास के शुक्ल पक्ष में यह पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है. प्रभू को प्रसन्न करने के लिए इससे अच्छा दिन और कोई नहीं हो सकता. इस बार पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 21 जनवरी रविवार (Sunday 21 January) को रखा जाएगा. बहुत ही शुभ योग में पुत्रदा एकादशी होगी. ब्रह्म योग बन रहा है यह बड़ा शुभ संकेत है.
क्यों रखा जाता है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत और क्या है महत्व?
पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है एक श्रावण मास वाली पुत्रदा एकादशी, दूसरी पौष मास वाली पुत्रदा एकादशी यह एकादशी का नाम भी संतान से सम्बन्धित लगता है. ऐसा बताया जाता है कि यह व्रत संतान सुख के लिए किया जाता है. भगवान विष्णु के पूजन-अर्चन विधि विधान से करें. संतान कल्याण व दीर्घायु के लिए भी व्रत रखा जाता है.
इस एकादशी के पीछे एक कथा प्रचलित है. प्राचीन समय में भद्रावती नगरी में सुकेतुमान नाम का एक राजा हुआ करता था. सबकुछ होने के बाद बस उसकी कोई संतान नहीं थी जिससे वह और उसकी पत्नी व पितृगण भी बहुत परेशान रहते थे. आखिर कोई संतान नही है तो पूर्वजों को कौन पिंडदान देगा. उसे चिंता थी कि बिना पुत्र के पितरों और देवताओं से ऋण चुकता नहीं हो सकता. दुखी मन से घोड़े राजा घनघोर जगंल स्थित सरोवर के पास पहुंच गया.
जहां 4 से 5 मुनियों की कुटी बनी देखी राजा वहां पहुंचा और सभी मुनियों से हाथ जोड़कर पूछा आप सभी कौन हैं. मुनियों ने कहा राजन आप किस चिंता में है. उन्होंने फिर मुनियों को अपनी व्यथा बताई, उस दिन पुत्रदा एकादशी भी थी. मुनियों ने राजा से कहा आज आप एकादशी का व्रत करें, भगवान हरि की आराधना करें, उनकी असीम अनुकम्पा से आपके घर पुत्र प्राप्त अवश्य होगा. कुछ दिनों बाद ही भगवान की कृपा से रानी ने गर्भधारण किया और राजा को संतान के रूप में तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई.
ऐसा रहेगा मुहूर्त
पौष पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी को है, पंचांग अनुसार 20 जनवरी शाम 7:26 से 21 जनवरी 7:26 शाम तक रहेगी. व्रत पारण का समय 22 जनवरी को 6:56 सुबह से 9:05 है.
ये है पूजा विधि (Putrada Ekadashi 2024 Kab Hai)
पौष पुत्रदा एकादशी (Paush Putrada Ekadashi) तिथि वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान हरि का ध्यान कर प्रणाम करें. गंगा जल युक्त स्नान-ध्यान करें. पूजन स्थल पर आचमन कर व्रत संकल्प लें और पीले रंग का नवीन वस्त्र धारण करें. सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें. इसके पश्चात विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें. भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए पीले रंग का फूल, फल और मिष्ठान अर्पित करें. पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ करें. अंत में आरती करें और सुख-समृद्धि, पुत्र प्राप्ति की कामना करें. दिन भर उपवास रखें, संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें. एकादशी तिथि पर जागरण करें, इसलिए रात्रि में कम से कम एक प्रहर तक विष्णु जी का ध्यान अवश्य करें. व्रत का पारण स्नान ध्यान कर करें. दान पुण्य जरूर करें.