Muharram 2020:मुहर्रम क्यों मनाया जाता है..क्या है इसका इतिहास..!
मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला मुहर्रम पर्व इस बार 21 या 22 अगस्त से शुरू होगा(चांद दिखने के अनुसार) युगान्तर प्रवाह की इस रिपोर्ट में पढ़ें इससे जुड़ा इतिहास..!
डेस्क:मुस्लिम धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाला मुहर्रम (Muharram) का पर्व ग़म और मातम का पर्व है।खासकर शिया समुदाय के लोग मुहर्रम के दस दिनों तक मातम मनाकर इसे मनाते हैं।मुहर्रम महीने को इस्लामिक वर्ष( Islamic New Year ) का पहला महीना कहा जाता है।यह पर्व मोहर्रम की पहली तारीख़ से लेकर दशवीं तारीख़ तक प्रमुख रूप से मनाया जाता है।
मुहर्रम का क्यों मनाया जाता है
मुस्लिम धर्म की जानकारी रखने वाले जानकर बताते हैं कि मुहर्रम मातम का महीना है।इस्लामिक कलेंडर के अनुसार सन 61 हिजरी में कर्बला (वर्तमान में सीरिया) का बादशाह यजीद नाम का बादशाह था।उसने स्वयं को खलीफा घोषित कर लिया और प्रजा पर जुल्म ढाने लगा।कहा जाता है कि इस बीच मुस्लिम धर्म के पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ इराक की तरफ़ जाने लगे।यजीद को इसकी जानकारी हो गई उसे आशंका थी कि यदि इमाम हुसैन यहां से जाते हैं तो पूरे राज्य में विरोध बहुत बढ़ जाएगा।इसके लिए उसने अपने 80 हज़ार सैनिकों को भेज कर्बला के रेगिस्तान में इमाम हुसैन को उनके 72 साथियों सहित घेर लिया।Muharram kyu manaya jata h
तपते रेगिस्तान में पानी की एकमात्र झील पर यजीदी सैनिकों ने कब्ज़ा कर लिया।इमाम हुसैन अपने साथियों के सहित यजीदी सेना से लड़ते रहे।यह लड़ाई मुहर्रम की एक तारीख़ से लेकर दस तारीख़ तक हुई।मुहर्रम की दशवीं तारीख़ को इमाम हुसैन भूख और प्यास से तड़पते हुए यजीदियों से लड़ते रहे और शहीद हो गए।तभी से यह मुहर्रम मनाया जाता है।