फ़तेहपुर:साध्वी का चुनावी परिणाम तय करेगा ज़िले के भाजपा नेताओं का सियासी भविष्य..योगी कैबिनेट में भी फेरबदल की संभावना.!
फतेहपुर लोकसभा सीट पर पांचवे चरण के अंतर्गत बीते 6 मई को वोट डाले जा चुके हैं। प्रत्याशियों की जीत हार से ज्यादा भाजपा के स्थानीय नेताओं का भविष्य साध्वी की जीत हार पर आकर टिक गई है..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट।
फतेहपुर: लोकसभा चुनावों के परिणाम सबसे ज़्यादा किसी राज्य में प्रभाव डालेंगे तो वह उत्तर प्रदेश है..पूर्ण बहुमत से सूबे की सत्ता में काबिज योगी और प्रदेश भाजपा पर 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 में हुए विधानसभा चुनावों का परिणाम दोहराने का अतिरिक्त दबाव पूरी तरह से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर दिख रहा है।लेक़िन सपा,बसपा ,रालोद के मजबूत गठबंधन से यूपी में भाजपा की स्थिति पहले जैसी तो कतई नहीं दिख रही है। पांच चरणों के समाप्त हुए चुनाव के बाद आ रहीं रिपोर्ट भी कुछ इस ओर इशारा कर रहीं हैं।
आज बात करते हैं फतेहपुर लोकसभा सीट की जहां भाजपा ने दूसरी बार केंद्रीय राज्यमंत्री व सांसद साध्वी निरंजन ज्योति को दोबारा मैदान में उतारा है। साध्वी का कद भाजपा के अंदर किसी बड़े नेता से कम नहीं है।हाल ही में प्रयागराज में आयोजित कुम्भ मेले में उन्हें निरंजनी अखाड़ा का महामंडलेश्वर भी बनाया गया था।जिसके बाद उनके कद में और बढ़ोत्तरी हो गई है।इसके अलावा भाजपा के अंदर निषाद बिरादरी का एक बड़ा चेहरा मानी जाने वाली साध्वी भाजपा की स्टार प्रचारक भी हैं जो देश भर में चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशियों के लिए जनसभाओं और रोड शो के जरिए वोट की अपील भी कर रहीं हैं।ऐसे में साध्वी का फतेहपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना इस सीट को देश की वीआईपी सीटों की पंक्ति में लाकर खड़ा कर देता है। पर क्या साध्वी 2014 की तरह इस बार भी अपना प्रदर्शन दोहराने में सफ़ल हो पाई हैं।ये तो आगामी 23 मई को ही पता चल पाएगा। लेक़िन इतना तो जरूर तय है कि साध्वी की जीत या हार ज़िले में कई शीर्ष भाजपा नेताओं का सियासी भविष्य भी तय करेगा।
साध्वी की जीत से कुछ का बढ़ेगा कद तो हार तय कर देगी कुछ का भविष्य...
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा साध्वी निरंजन ज्योति को फतेहपुर लोकसभा सीट का प्रत्याशी घोषित करना एक बारगी सबको चौकानें वाला निर्णय लगा था।आपको बतादें कि निरंजन ज्योति हमीरपुर की सदर विधानसभा से 2012 में चुनाव जीत विधायक बनी थीं और उस समय तक साध्वी की गिनती भाजपा के अंदर एक औसत दर्जे के स्थानीय नेता से ज्यादा कुछ नहीं थी ऐसे में फतेहपुर लोकसभा क्षेत्र से उनका प्रत्याशी घोषित होना सबको हैरान करने वाला था लेक़िन जातीय समीकरण में फ़िट बैठीं तत्कालीन हमीरपुर सदर विधायक को भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने ज़िले के कद्दावर भाजपा नेताओं में वरीयता दे चुनाव लड़ाया और उन्होंने मोदी लहर के साथ-साथ तगड़ा जनसमर्थन हासिल कर लोकसभा का चुनाव भी जीता जिसके बाद उनको मोदी मंत्रीमण्डल में भी जगह मिली और धीरे-धीरे वह भाजपा की एक बड़ी नेता बनकर उभरी।
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लेक़िन मौजूदा लोकसभा चुनाव में साध्वी के टिकट पर संकट के बादल मंडरा रहे थे और कई भाजपा जनप्रतिनिधियों ने सीधे तौर पर साध्वी के टिकट का विरोध दिल्ली तक किया और ऐसी अटकलें भी जोर पकड़ने लगीं थीं की शायद इस बार भाजपा साध्वी का टिकट काटकर हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र या और किसी दूसरे क्षेत्र से प्रत्याशी बना दे लेक़िन ऐसा नहीं हुआ और एक बार फ़िर जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने उनको फतेहपुर से मैदान में उतार दिया। ऐसे में टिकट के दावेदार कई नेता अंदरखाने साध्वी से नाखुश हो गए। चुनाव के बीच में ही सूत्रों के हवाले से ऐसी भी खबरें आईं की चुनाव प्रचार के दौरान खागा आए सीएम योगी ने विधायकों के जमकर पेंच कसे थे औऱ यह भी कहा था कि साध्वी के परिणाम की समीक्षा विधानसभावार होगी ऐसे में यदि किसी भी विधायक के क्षेत्र से विधानसभा चुनाव 2017 के मुकाबले इस बार साध्वी को मिलने वाले वोट संतोषजनक नहीं रहे तो यूपी की कैबिनेट सहित आगामी विधानसभा चुनाव में भी टिकट को लेकर व्यापक फेरबदल किया जा सकता है।
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अब देखना यह होगा कि योगी के आदेश का असर विधायकों पर कितना हुआ है। इसके अलावा यदि ज़िले का परिणाम भाजपा के अनुकूल नहीं रहता है तो जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
साध्वी अगर लोकसभा चुनाव जीतती हैं तो जिले की क्या स्थिति बनेगी.?
साध्वी के साथ भाजपा के कुछ विधायक और एक अन्य जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि पूरे चुनाव में साध्वी के साथ नज़र आए हैं जिसका कारण यह था कि कुछ को साध्वी की जीत में अपने लिए विधानसभा का टिकट नज़र आ रहा है तो कुछ को योगी मंत्रीमंडल में मंत्री का पद दिख रहा है। और लगभग यह तय भी हो चुका है इस बार साध्वी के परिणाम काफ़ी हद तक ज़िले के भाजपा नेताओं का सियासी भविष्य तय कर देंगे...