UP:फतेहपुर के इस प्रसिद्ध शिव मंदिर के ऊपर गिरी आकाशीय बिजली..लोगों के बीच रही यह चर्चा..!
यूपी के फतेहपुर ज़िले में शनिवार भोर पहर आकाशीय बिजली ज़िले के एक प्रसिद्ध शिव मंदिर पर गिर गई..पढ़े पूरी खबर युगान्तर प्रवाह पर।
फतेहपुर:शनिवार भोर पहर मौसम का मिजाज अचानक बदल गया सुबह आसमान में काले बादल छाए हुए थे।गनीमत यह रही कि बारिश तेज़ नहीं हुई।हालांकि गड़गड़ाहट के साथ आकाशीय बिजली जरूर गिरी।
ज़िले के गाजीपुर थाना क्षेत्र अन्तर्गत गाजीपुर अशोथर मार्ग पर स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर जागेश्वर धाम में शनिवार सुबह आकाशीय बिजली गिर गई।बिजली गिरने की वजह मंदिर का ऊपरी हिस्सा छतिग्रस्त हो गया है।इसके अलावा बिजली की धमक से मंदिर के अंदर स्थापित शिवलिंग के चारों ओर संगमरमर के लगे पत्थर का कुछ हिस्सा भी टूट गया।
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हालांकि लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान शंकर की ऐसी महिमा थी कि पूरी तरह से मंदिर के ऊपर आकाशीय बिजली गिरने के बावजूद मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित बच गया है।fatehpur news jageshwar dham shiva temple
मंदिर पर बिजली गिरने की सूचना पर गाजीपुर थाना अध्यक्ष आशीष सिंह मय फोर्स पहुँचे थे।उन्होंने बताया कि मंदिर के ऊपर आकाशीय बिजली गिरने की वजह मंदिर के ऊपर हिस्से का गुम्मद थोड़ा सा दरका है।बाकी मंदिर और उसमें स्थापित मूर्ति पूरी तरह से सुरक्षित है।
आइये जानते हैं मंदिर से जुड़ा इतिहास...
जागेश्वर मन्दिर का इतिहास क़रीब 150 वर्ष पुराना है।स्थानीय लोग बताते हैं कि यहाँ कभी घनघोर जंगल हुआ करता था लोग इस जंगल में अपने मवेशियों को चराते थे।और शिवलिंग को मात्र एक पत्थर समझते थे।धीरे धीरे लोगों को जब यह पता चला कि यह कोई साधारण पत्थर नहीं पाताल से निकली साक्षात भगवान शिव की मूर्ति शिवलिंग है तो लोगों ने पूजना शुरू कर दिया औऱ यह बात धीरे धीरे पूरे क्षेत्र भर में फैल गई।
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शिवलिंग की जानकारी जब तत्कालीन अशोथर स्टेट के राजा को हुई तो उन्होंने शिवलिंग को अपने राज्य अशोथर में ले जाने की सोची और कई लोगों से शिवलिंग को निकलवाने की कोशिश की इतना ही नहीं उन्होंने शिवलिंग में जंजीरों को बांधकर हांथी से भी खिंचवाया फ़िर भी वह शिवलिंग को निकलवाने में असफ़ल साबित हुए।इसके बाद बताया जाता है कि शिवलिंग को खींचने का प्रयास करने वाले हाथी की वापस लौटते समय रास्ते मे ही मौत हो गई थी।इसके बाद शिवलिंग की महिमा को देखते हुए शिवलिंग की स्थापना मन्दिर निर्माण करवाकर भागलपुर के एक व्यवसायी ने करीब 125 बरस पहले कराई थी।