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कानपुर कांड:क्या विकास दुबे की गिरफ्तारी पूर्व नियोजित थी..उज्जैन डीएम ने सुनाई ये कहानी..!
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे अंततः एमपी के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया.लेक़िन उसकी गिरफ्तारी को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं..पढ़ें युगान्तर प्रवाह की ये रिपोर्ट।
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लखनऊ:सात दिनों से जिस विकास दुबे को खोजने में यूपी, एमपी, राजस्थान, दिल्ली, सहित कई राज्यों की पुलिस, और स्पेशल पुलिस फोर्स की टीमें लगीं हुईं थीं।आखिरकार वह मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार हो गया।
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लेक़िन सोशल मीडिया में गिरफ्तारी के वक़्त के समय के जिस प्रकार के वीडियो वायरल हुई हैं उससे यह साफ़ झलकता है कि दुर्दांत विकास दुबे ने अपनी मर्जी से सरेंडर किया है।
खबरों की मानें तो गुरुवार सुबह वह महाकाल मंदिर पहुँचता है, वहां दर्शन करता है, इसके बाद बाहर निकल कर मंदिर परिसर में मौजूद मंदिर के निजी सुरक्षा गार्ड को बताता है कि वह विकास दुबे है कानपुर वाला।इसके बाद गार्ड पुलिस को सूचना देता है और विकास दुबे गिरफ्तार होता है।एमपी पुलिस विकास दुबे को भले ही गिरफ्तार करने का दावा करती हो।लेक़िन उसकी गिरफ्तारी सरेंडर ही है!
विकास दुबे की गिरफ्तारी के सम्बंध में उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह ने ‘इंडिया टुडे’ से बातचीत करते हुए बताया कि-"9 जुलाई को सुबह लगभग आठ बजे के आसपास वो मंदिर पहुंचा।वहां एक दुकान है, जिसे सुरेश नाम के दुकानदार चलाते हैं। सुरेश से विकास ने पूछा कि दर्शन के लिए पर्चियां कहां मिलती हैं।सुरेश को विकास पर शक हुआ तो उसने महाकाल मंदिर के सिक्योरिटी कर्मचारी राहुल को खबर की,बताया कि जो फोटो चल रही है कई दिनों से, उस तरह का संदिग्ध व्यक्ति दिखाई दे रहा है।लोगों ने फिर उसे ट्रैक करना शुरू कर दिया।तब तक विकास ने 250 रुपए की पर्ची भी कटवा ली थी।दर्शन के बाद जब वो बाहर निकलने लगा तो उसे रोककर पूछताछ की गई।ID कार्ड मांगा गया।उसने किसी और की आईडी दिखाई।उसके बाद वो हाथापाई करने लगा।सिक्योरिटी ने उसे पकड़कर पुलिस को जानकारी दी।फिर महाकाल मंदिर थाने में उसकी गिरफ्तारी हुई।"।
हालांकि कि पूरे घटनाक्रम को देखते हुए उज्जैन प्रशासन की तरफ़ से विकास की गिरफ्तारी के सम्बंध में जो कहानी बताई जा रही है।उसपर पूरी तरह से यकींन कर पाना मुश्किल नज़र आ रहा है।