Dacoit Seema Parihar: 13 साल की उम्र में चंबल-बीहड़ के ख़तरनाक डाकुओं के चंगुल में आई सीमा परिहार ! कैसे बनी दस्यु सुंदरी? हाथों में चूड़ियों के बजाय पहन लिए हथियार, 30 साल पुराने मामले में हुई सजा
Dacoit Seema Parihar Biography
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से सटे चम्बल बीहड़ (Chambal Ravines) के क्षेत्र में एक समय एक से बढ़कर एक कुख्यात डकैतों (Notorious Dacoit) का आतंक हुआ करता था. उन सड़कों पर आम लोग तो छोड़िए पुलिस के भी पसीने छूट जाते थे. लाला राम, निर्भय गुर्जर और फूलन देवी ये बड़े नाम रहे इसी बीच एक और दस्यु सुंदरी ने भी इनके गिरोह में एंट्री मारी. मात्र 13 साल की उम्र में औरैया की इस लड़की ने हाथों में बंदूक थाम ली. इस बीहड़ क्षेत्र से जुड़े जनपदों में सैकड़ों अपहरण व हत्याएं के मामले व 18 साल तक उस लड़की का खौफ बना रहा. यह लड़की दस्यु सुंदरी सीमा परिहार (Seema Parihar) है जिसे 20 साल बाद फिर एक मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई है.
80-90 के दशक में चंबल बीहड़ में दस्यु सुदंरी का था खौफ
70 से ज्यादा हत्याओं व करीब 200 अपहरण समेत अन्य मामलों में सीमा परिहार (Dacoit Seema Parihar) पर मुकदमा दर्ज है. इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीमा परिहार का 80 से 90 दशक में कितना आतंक रहा होगा. औरैया कोर्ट ने 30 साल पुराने किसान अपहरण मामले में सीमा परिहार समेत 4 लोगों को चार-चार साल की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया है. चलिए हम आपको इस आर्टिकल के जरिये बताएंगे छोटी सी उम्र में कैसे सीमा दस्यु सुंदरी बन गयी, सीमा परिहार ने किससे विवाह रचाया और बाद में सरेंडर कैसे किया, यही नही राजनीति में भी इन्ट्री मारी और बिग बॉस का सफर तय किया.
13 साल की उम्र में डाकुओं के गिरोह में हो गयी शामिल
एक समय चंबल से सटे बीहड़ क्षेत्रों में डकैतो की दहाड़ सुनकर लोग सिहर और कांप उठते थे. यूपी और मध्य प्रदेश से सटे चंबल व यमुना की बड़ी-बड़ी घाटियों में इन डकैतों ने अपना ठिकाना बना रखा था. गांव तो छोड़िए साहब लाला राम, निर्भय गूर्जर, फूलन देवी जैसे कुख्यात डकैतों का नाम सुन पुलिस भी इनसे खौफ खाने लगी थी. 80 के ही दशक में फूलन देवी के बाद औरैया की एक 13 साल की लड़की ने हाथों में चूड़ियां पहनने की बजाय हथियारों के गहने पहन लिए. फूलन देवी के बाद एक और चर्चित महिला दस्यु हुई उसका नाम सीमा परिहार रहा. चम्बल के बीहड़ों में करीब 18 साल तक सीमा परिहार का नाम ही गूंजता रहा. दिबियापुर में 30 साल पहले एक किसान के अपहरण के मामले में भी औरैया कोर्ट से एक बार फिर उसे 20 साल बाद सजा सुनाकर जेल भेज दिया है.
कौन है सीमा परिहार?
चम्बल बीहड़ का नाम सुन लोगों के जेहन में एक ही बात आती थी डकैत, 70-80 और 90 के दशक में कुख्यात डकैतों का आतंक हुआ करता था. डकैत फूलन देवी के बाद चर्चा में आई दस्यु सुंदरी सीमा परिहार जिसकी दहशत के आगे सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था. लालाराम जैसे डाकुओं के गैंग में शामिल सीमा परिहार ने निर्भय गुर्जर के साथ भी काम किया. सीमा परिहार का जन्म 1970 औरैया जिले के बबाइन गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था उस वक्त यहां 70-80 के दशक में बड़े से बड़े डकैतों की दहशत हुआ करती थी. चंबल और यमुना से सटे बीहड़ो पर डकैतों का ठिकाना हुआ करता था जहां पुलिस भी जाने से डरती थी.
डाकुओं ने अगवा कर किया अत्याचार, फिर सीमा ने भी थाम ली बन्दूक
सीमा परिहार जब 13 साल की थी साल 1983 में सीमा के ही गांव में दस्यु सरगना लालाराम और उसके साथियों सीमा के घर में घुस आए थे और उसके परिजनों को धमका कर सीमा को अगवा कर साथ ले गए. इस दौरान उसके साथ डाकुओ ने अत्याचार किया. सीमा ने डाकुओ के चंगुल से निकलने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह वहां से निकल नहीं सकी. क्योंकि लालाराम का कड़ा पहरा था. सरगना लालाराम का आदेश था कि अगर यह भगाने का प्रयास करें तो उसे गोली मार दी जाए. धीरे-धीरे समय बीतता गया सीमा परिहार ने अपने आपको को डकैतों वाली परवरिश में ढाल लिया. 16 साल की उम्र में सीमा ने हाथों में बंदूक थाम ली और धीरे-धीरे वह चम्बल बीहड़ की रानी बन गयी. दस्यु सुंदरी के नाम से जानी जाने लगी.
माथे पर पट्टी और डकैतों वाली वर्दी पहन कर निकलती थी, किया सरेंडर
सीमा परिहार हाथों में बंदूक, माथे पर कभी लाल तो कभी काली पट्टी और लंबी वाली वर्दी पहनकर निकलती थी. सीमा परिहार देखते ही देखते सबसे ज्यादा मोस्ट वांटेड अपराधी के रूप में चर्चित होने लगी और उस पर जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर पुलिस ने लाखों का ईनाम भी रख दिया. लालाराम के गैंग में शामिल होने के बाद सीमा को निर्भय गुर्जर डकैत से प्रेम हुआ और शादी कर ली. लेकिन दोनों का साथ लम्बा नहीं रहा. बाद में निर्भय गुर्जर को छोड़कर लालाराम से शादी कर ली जिसमें दोनों को एक बेटा भी हुआ.
वर्ष 2000 में डकैत लालाराम का एनकाउंटर में मारा गया. तब सीमा परिहार अकेली पड़ गई और उसे अपना गिरोह चलाने में भी दिक्कत आने लगी. बेटे की परवरिश की चिंता को लेकर उसने आखिरकार वर्ष 2000 में औरैया पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने वादा किया था कि सरेंडर के बाद उसे नौकरी, घर और एक बन्दूक का लाइसेंस दिया जाएगा. पर सीमा के मुताबिक ऐसा हुआ नहीं.
18 सालों तक रही दहशत, राजनीति में नहीं मिली सफलता
18 साल तक चंबल बीहड़ के क्षेत्रों पर इस दस्यू सुंदरी की दहशत रही. सीमा के करीब ऊपर करीब डकैती के 30 और डेढ़ सौ ज्यादा अपहरण केस थे. सरेंडर करने के बाद सीमा के ऊपर 29 केस दर्ज हुए थे. जिसमें सीमा को इसके बाद इटावा जेल भेज दिया गया इस दौरान उसने यहां पर 3 साल 7 महीने गुजारे और वर्ष 2004 में वह जमानत पर बाहर भी आ गई. सीमा ने जेल से बाहर आने के बाद राजनीति के ऑफर मिलने लगे लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. वर्ष 2002 में सीमा परिहार ने विधानसभा चुनाव में शिवसेना को सपोर्ट किया था.
बिग बॉस में दिखी थी सीमा, सोशलवर्क से जुड़ी रही, अब 20 साल बाद हुई सजा
फिर 2006 में इंडियन जस्टिस पार्टी से जुड़ गई यही नहीं समाजवादी पार्टी भी 2008 में उसने ज्वाइन किया, लेकिन राजनीतिक करियर में उसे सफलता नहीं मिली. फेमस शो बिग बॉस सीजन 4 में सीमा परिहार की एंट्री देख दर्शक हैरान हो गए धीरे-धीरे सीमा ने राजनीति के अलावा सोशल वर्क से भी जुड़ी रही. अब कोर्ट ने सीमा को 30 साल पहले ट्यूबवेल के पास हुए किसान अपहरण मामले में दोषी पाते हुए सीमा समेत 4 लोगों को 4 वर्ष की सजा सुनाई है और 5-5 हज़ार का जुर्माना भी लगाया है.