Kanpur Buddha Devi Temple: कानपुर में दो सौ साल पुराना ऐसा देवी मंदिर ! जहां मिठाई की जगह हरी सब्जियों का लगता है भोग
History Of Buddha Devi Temple
यूं तो कानपुर (Kanpur) में देवी मां के कई मंदिर है लेकिन शहर के हटिया (Hatia) इलाके में मां बुद्धा देवी (Buddha Devi) का मंदिर है जो बाकी मंदिरों से बिल्कुल अलग है. दरअसल इस मंदिर में फूल, फल, नारियल के अलावा मिठाई के रूप में मां को हरी सब्जियों का भोग (Offered green vegetables) लगाया जाता है आईए जानते हैं इस मंदिर की क्या है मान्यताएं और क्यों यह मंदिर बाकी मंदिरों से है अलग..
एक ऐसा मन्दिर जहाँ माँ को लगाया जाता है हरी सब्जियों का भोग
देशभर में चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के चलते देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है. नवरात्रि में मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है मां के हर स्वरूपों का एक अलग मंदिर भी बना हुआ है. ऐसा ही एक मंदिर कानपुर के हटिया इलाके में स्थापित है जिसे बुद्धा देवी मंदिर (Buddha Devi mandir) कहा जाता है.
इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर फल-फूल और नारियल के साथ-साथ मिष्ठान के रूप में हरी सब्जियों (Green Vegetable) का भोग लगाया जाता है. शहर के बीचो-बीच और तंग गलियों से होकर गुजरने वाले रास्तों के बीच स्थापित इस मंदिर का बहुत ही पुराना इतिहास है वैसे तो इस मंदिर में भक्तों तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि में विशेष तौर पर यहां पर ये भीड़ कई गुना बढ़ जाती है.
परिवार रहता है हरा-भरा
कानपुर के हटिया इलाके में स्थापित इस बुद्धा देवी मंदिर में मां को मिष्ठान के रूप में हरी सब्जियों का भोग लगाया जाता है शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि भक्त माता को हरी सब्जियों का भोग लगाकर अपने बच्चों और परिवार को हरा भरा रखने की कामना करते हैं.
इसके साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि यहां पर मां की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि भक्त मां के पिंडी रूप की पूजा अर्चना करते हैं मां को हरी सब्जियां चढ़ाने की परंपरा सैकड़ो सालों से चली आ रही है जो आज भी जारी है इसलिए मंदिर के बाहर पूजा पाठ की सामग्री बेचने वाले दुकानदार भी हरी सब्जियों की टोकरिया लगाकर बेचते हैं.
200 साल पुराना है इस मंदिर का इतिहास
शास्त्रों की माने तो इस मंदिर को 200 साल पहले स्थापित किया गया था. यह मंदिर जहां पर स्थापित है वहां पर कभी हरा बगीचा हुआ करता था और यहां पर सब्जियों की पैदावार होती थी. सब्जियों की देखरेख करने वाले किसान को एक दिन सपना आया सपने में उसने देखा कि इस बगीचे के नीचे देवी माँ दबी हुई है.
इसके बाद उसने इस बगीचे को खुदवाया, खुदाई के पश्चात देवी बुद्धा मां की पिंडियों को जमीन से निकाल कर उन्हें यहां पर स्थापित कर दिया गया तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है की मां को मिष्ठान के रूप में हरी सब्जियां चढ़ाई जाती है कई श्रद्धालुओं ने बताया कि पिछले कई दशकों से वह इस मंदिर में आकर मां को हरी सब्जियों का भोग लगा रहे हैं.