Shardiya Navratri 2023

अध्यात्म 

Harisiddhi Mata Shaktipith: उज्जैन नगरी में सिद्ध शक्तिपीठ हरिसिद्घि माता के करें दर्शन, यहाँ माता के हाथ की गिरी थी कोहनी

Harisiddhi Mata Shaktipith: उज्जैन नगरी में सिद्ध शक्तिपीठ हरिसिद्घि माता के करें दर्शन, यहाँ माता के हाथ की गिरी थी कोहनी Harisiddhi Mata Shaktipith: उज्जैन नगरी महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग की वजह से प्रसिद्ध है, यहां 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ यहां पर भी है. जिसे हरसिद्धि माता मन्दिर शक्तिपीठ कहते हैं. देवी सती के जब शरीर के अंग जगह-जगह गिरे तो वह शक्तिपीठ बन गया. यहां माता के हाथ की कोहनी गिरी थी. राजा विक्रमादित्य भी इन्ही देवी के उपासक थे. नवरात्रि के दिनों में माँ के दर्शन करना फलदायी है. यहां माता हरि श्रीयंत्र पर विराजमान हैं. माता के सच्चे मन से पूजन से हर प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है.
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जय अम्बे गौरी आरती लिखित में: Jay Ambe Gauri Arati Likhit Me अंबे माता जी की आरती

जय अम्बे गौरी आरती लिखित में: Jay Ambe Gauri Arati Likhit Me अंबे माता जी की आरती Jay Ambe Gauri Arati Likhit Me: नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए वैसे तो कई आरतियां पढ़ी जाती है. लेकिन सबसे अधिक चर्चित आरती 'जय अम्बे गौरी' है.पढ़ें पूरी आरती. Jay Ambe Gauri Arati In Hindi अंबे माता जी की आरती
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Shardiya Navaratri Paran Kab Hai 2023: शारदीय नवरात्रि व्रत का पारण कब है ! जानिए क्या है शुभ मुहूर्त और डेट

Shardiya Navaratri Paran Kab Hai 2023: शारदीय नवरात्रि व्रत का पारण कब है ! जानिए क्या है शुभ मुहूर्त और डेट Shardiya Navaratri Paran Kab Hai 2023: शारदीय नवरात्रि के पावन 9 दिन चल रहे हैं, नवरात्रि के प्रत्येक दिन माता की उपासना और पूजन करने का दिन होते हैं. माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा का महत्व है. नवरात्रि में कुछ भक्त पहला और आख़िरी व्रत रखते हैं.जबकि कुछ पूरे 9 दिन व्रत रहते हैं.पारण के लिए जो अष्टमी को व्रत है वे नवमी के दिन पारण करें, और जो लोग पूरे 9 दिन का व्रत हैं उन्हें दशमी के बजाय इस दफा मंगल होने के कारण नवमी में पारण करना होगा.
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Kangda Jwala Devi Shaktipith: जानिए कांगड़ा में माँ 'ज्वाला देवी' शक्तिपीठ का पौराणिक महत्व ! मन्दिर में जलती रहती है अलौकिक दिव्य ज्योत

Kangda Jwala Devi Shaktipith: जानिए कांगड़ा में माँ 'ज्वाला देवी' शक्तिपीठ का पौराणिक महत्व ! मन्दिर में जलती रहती है अलौकिक दिव्य ज्योत आदिशक्ति माता के 51 शक्तिपीठों के दर्शन का विशेष महत्व है. इन्हीं में से एक सिद्ध शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में भी है, यह शक्तिपीठ ज्वाला देवी के नाम से विख्यात है. यहां माता सती की जिह्वा गिरी थी. यहां तबसे मन्दिर में बिना घी,तेल और बाती के ज्वाला जलती आ रही है, इस ज्वाला देवी मंदिर में 9 ज्वालाएं जलती है. आजतक वैज्ञानिक भी हैरान है कि इस तरह से ज्योत कैसे जल रही है. नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है.इन ज्योत के दर्शन से इच्छा पूर्ण होती है.
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Shardiya Navratri Kalratri Devi: जानिए माँ के सप्तम स्वरूप देवी 'कालरात्रि' के पूजन का महत्व ! पूजन से शारीरिक-मानसिक कष्टों का होता है निवारण

Shardiya Navratri Kalratri Devi: जानिए माँ के सप्तम स्वरूप देवी 'कालरात्रि' के पूजन का महत्व ! पूजन से शारीरिक-मानसिक कष्टों का होता है निवारण Navratri 7th Day: शारदीय नवरात्रि के 7वें दिन माता के इस भयावह और उग्र स्वरूप देवी कालरात्रि के दर्शन-पूजन का विधान है. माँ का स्वरूप उग्र और वर्ण काला है, काले रंग वाली, बाल बिखरे और नाक से आग की लपटों के रूप में सांसें निकालने वाली देवी का भयावह स्वरूप भयभीत करने वाला है, माता के पूजन करना बेहद फलदायी है. इससे शत्रुओं पर अजय, शारिरिक-मानसिक कष्ट दूर होते हैं. माता को भोग में गुड़ का भोग लगाएं,नारियल अर्पित करें जिससे माता प्रसन्न होती हैं.
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Kaushambi Sheetla Mata Shaktipith: 'कड़ा' धाम शक्तिपीठ माँ शीतला देवी मन्दिर का जानिए पौराणिक महत्व

Kaushambi Sheetla Mata Shaktipith: 'कड़ा' धाम शक्तिपीठ माँ शीतला देवी मन्दिर का जानिए पौराणिक महत्व उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के सिराथू में सिद्ध शक्तिपीठ है, यह 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है जिन्हें शीतला देवी माता के नाम से जाना जाता है. इस जगह को कड़ा धाम कहा जाता है, देवी माता का मन्दिर गंगा किनारे स्थित है. माता सती का हाथ इस जगह पर गिरा था, तभी से यह शक्तिपीठ बन गया, नवरात्रि के दिनों में लाखों की संख्या में कई राज्यों से भक्त यहाँ दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भक्तों की शीतला माता मंदिर से अटूट और गहरी आस्था जुडी हुई है.
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Shardiya Navaratri Katyayani Devi: नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की करें उपासना, जानिए क्या है पौराणिक महत्व

Shardiya Navaratri Katyayani Devi: नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की करें उपासना, जानिए क्या है पौराणिक महत्व Shardiya Navaratri Katyayani Devi: शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. यह पवित्र 9 दिन माता का ध्यान,आराधना और उपासना करने से माँ प्रसन्न होती हैं. नवरात्रि का छठा दिन माता दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी का है, इस दिन माता कात्यायनी की पूजा करना लाभकारी होता है.मां की आराधना से विवाह में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है. माता ने ऋषि कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था तभी से माता का नाम कात्यायनी देवी पड़ गया.
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उत्तर-प्रदेश  कानपुर 

Kanpur Tala Wali Devi: शहर की तंग गलियों में 300 वर्ष पुराना माता काली का है यह अनूठा मंदिर, 'ताला वाली देवी' के नाम से है प्रसिद्ध

Kanpur Tala Wali Devi: शहर की तंग गलियों में 300 वर्ष पुराना माता काली का है यह अनूठा मंदिर, 'ताला वाली देवी' के नाम से है प्रसिद्ध Kanpur Tala Wali Devi: कानपुर के बंगाली मोहाल की तंग गलियों में माँ काली का सैकड़ों वर्ष प्राचीन मंदिर है, भक्तों में इस मंदिर के दर्शन को लेकर विशेष गहरी आस्था है, यहां मान्यता है कि मन्नत के लिए भक्त मन्दिर प्रांगण में ताला लगाते हैं, यहां भारी संख्या में भक्तों की मन्नत वाले ताले लगे हुए हैं, उसकी चाभी भक्तों के पास रहती है,जब मुराद पूरी हो जाती है तो भक्त वही ताला खोलने आते हैं और मां से आशीर्वाद लेते हैं.तबसे यहां ताला लगाने की परंपरा बनी हुई है. इस देवी मन्दिर को ताला वाली देवी भी कहा जाता
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Mahalaxmi Mandir Kolhapur: जानिए कोल्हापुर के इस सिद्ध शक्तिपीठ का पौराणिक महत्व ! असुर के नाम से पड़ा था स्थान का नाम

Mahalaxmi Mandir Kolhapur: जानिए कोल्हापुर के इस सिद्ध शक्तिपीठ का पौराणिक महत्व ! असुर के नाम से पड़ा था स्थान का नाम Ambabai Temple Kolhapur: माँ दुर्गा के कई स्वरूप वाले मन्दिर देश व विदेशों में भी हैं, महाराष्ट्र के कोल्हापुर में भी एक शक्तिपीठ है, 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ कोल्हापुर में भी हैं, यहां देवी सती के त्रिनेत्र गिरे थे तबसे यह शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. इस मंदिर को महालक्ष्मी या अंबाबाई मन्दिर कहा जाता है.
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Brahmacharinni Devi: नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी (तपश्चारिणी) की करें उपासना ! तप, संयम और दीर्घायु में होती है वृद्धि

Brahmacharinni Devi: नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी (तपश्चारिणी) की करें उपासना ! तप, संयम और दीर्घायु में होती है वृद्धि Navratri 2nd Day: शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी मां का दिन होता है, इनके पूजन का विशेष महत्व है, माँ का यह स्वरूप भक्तों को अनंत फल देने वाला है. माता की उपासना से तप, त्याग, ब्रह्मचर्य और संयम की वृद्धि होती है. भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने हज़ारो वर्ष कठोर तपस्या की थी, इन्हें तपश्चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली देवी और ब्रह्मचारिणी भी कहा जाता है.
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Kalighat Kali Temple: 51 शक्तिपीठों में से एक कोलकाता में कालीघाट काली मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ, जानिए पौराणिक महत्व

Kalighat Kali Temple: 51 शक्तिपीठों में से एक कोलकाता में कालीघाट काली मंदिर सिद्ध शक्तिपीठ, जानिए पौराणिक महत्व History of Kali Shakti Peeth: शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो चुके हैं हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिनों का विशेष महत्व है, मां दुर्गा के यह 9 दिन विशेष आस्था, भक्ति और साधना के दिन है. कोलकाता स्थित कालीघाट काली मंदिर के दर्शन की विशेष मान्यता है,यह देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, नवरात्रि के दिनों में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है. यहां देवी काली की प्रचंड रूप की प्रतिमा स्थापित है.यहाँ माता सती के दाई पैर की उंगलियां गिरी थी. तबसे यह शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है.
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Navratri 1st Day: माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों के प्रथम स्वरूप के करें दर्शन ! वाराणसी में है यूपी का एकमात्र माता शैलपुत्री का मन्दिर

Navratri 1st Day: माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों के प्रथम स्वरूप के करें दर्शन ! वाराणसी में है यूपी का एकमात्र माता शैलपुत्री का मन्दिर Shailputri Temple In Varanasi: शारदीय नवरात्रि को लेकर प्रथम दिन देवी मन्दिरों में जय माता दी के जयकारों के साथ देर रात से ही देश के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है. माता के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है, यह नवरात्रि माँ की भक्ति और साधना के दिन हैं. प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है, वाराणसी की काशी नगरी में अलईपुर में माता शेलपुत्री का प्राचीन और दिव्य मन्दिर हैं, यहां वैसे तो भक्तों की भीड़ रहती है है, लेकिन नवरात्रि के दिनों में भक्तों का सैलाब उमड़ता गया
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